भारतीय जीवन बीमा उद्योग में जब से सेवा कर लागू किया गया है तभी से निजी जीवन बीमाकर्ताओं कि मांग रही है कि सेवाकर सिर्फ निजी जीवन बीमाकर्ताओं पर ही क्यू लागू है भारतीय जीवन बीमा निगम पर क्यों नही | यह बात कई बार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर बीमा बिनियामक एवं विकास प्राधिकरण तक भी पहुचाई गयी | कई वर्षों के पश्चात यह शायद अब समय आ गया है कि अब भारतीय जीवन बीमा निगम भी अपने पालिसीधारको से सेवाकर वसूल करेगा | यह बीमा बिनियामक एवं विकास प्राधिकरण के ट्रेडिशनल उत्पाद से सम्बंधित जारी किये गये नियमों की वजह से हो रहा है जो कि एक जनवरी २०१४ से प्रभावशाली हो रहा है | कई समाचार पत्रों में यह भी सुनने को मिल रहा था कि भारतीय जीवन बीमा निगम यह सेवाकर अलग से वसूल नही करेगी, बल्कि प्रीमियम में यह शामिल कर लिया गया है | मतलब साफ़ है किसी भी रूप में यह सेवाकर वसूल करें पर अंततः सेवाकर का भार पालिसीधारको पर ही पड़ेगा | यहाँ तक कि बीमा सलाहकारों के कमीशन पर भी यह लागू होगा | निजी बीमाकर्ता सेवाकर को एक बड़ा घटक मानते है बीमा का विस्तार न होने में | आइये जानते है सेवाकर किस रूप में लागू होगा |

For all Term and Group insurance:-

Basic Service Tax                                                                -           12%
Education Cess on Service Tax                                         -           2% on 12% (0.24%)
Secondary Edu. Cess on Service Tax                              -           1% on 12% (0.12%)
Total                                                                                       -           12.36%

For all Traditional Insurance –

Service tax applicable 3.09 % for first year premium and for renewal premium 1.545%.

यह अत्यंत ही स्पष्ट है कि यूलिप जीवन बीमा उत्पाद में रिस्क प्रीमियम अलग से परिभाषित होता है अतः सेवाकर कि गणना वहाँ पर सिर्फ रिस्क प्रीमियम पर कि जाती है | सबसे अधिक सेवाकर टर्म उत्पाद पर लागू होता है क्योकि वह पर्त्येक वर्ष 12.36 पर्तिशत चार्ज किया जाता है | यदि ट्रेडिशनल उत्पाद कि बात करें तो वहाँ पर पहले वर्ष के प्रीमियम के अलावा 1.454 प्रतिशत कुल प्रीमियम का प्रतिवर्ष पालिसीधारको को देना पड़ रहा है जिससे पालिसीधारक का लाभ कम हो जाता है | सेवाकर ने निसंदेह जीवन बीमा व्यवसाय को प्रभावित किया है निजी जीवन बीमाकर्ता इसके गवाह है अब इस समस्या से देश के सबसे बड़े बीमाकर्ता को भी सामना करना पड़ेगा जिसकी बीमा बाजार में आज भी ७० प्रतिशत के आसपास हिस्सेदारी है | अभीतक के बीमा के विकास को देखते हुये ये कहा जा सकता है कि सेवाकर भारतीय जीवन बीमा निगम को भी प्रभावित करेगा भले ही एल.आई.सी. प्रीमियम में ही सेवाकर जोड़कर प्रीमियम की वसूली पालिसीधारको से करें, कही न कही आज चल रहे भारतीय जीवन बीमा निगम के उत्पाद की अपेक्षा आने वाला उत्पाद महँगे ही होंगे |


यहाँ एक सवाल मै समस्त लोगों से करना चाह रहा हु खास कर वित्त मंत्रालय से कि आयकर कि धारा 80 C के अंतर्गत निवेश में मिलाने वाले एक लाख तक कि छूट जिन जिन माध्यमों से मिलती है (पी.पी.एफ., मुच्युअल फंड, डाकघर) उनमे सिर्फ जीवन बीमा पे ही सेवाकर क्यू लागू किया गया है ?

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