जैसा कि ११ महीनो के नव-व्यवसायिक प्रदर्शन से स्वयं परिभाषित था कि जीवन बीमा क्षेत्र में प्रीमियम आय में कमी रहेगी A वित्तीय वर्ष २०११-१२ के अंत तक जीवन बीमा क्षेत्र अपनी नव-व्यवसाय कमी को दूर नहीं कर पाया और वह घाटे के साथ समाप्त हुआ, जबकि सामान्य बीमा क्षेत्र ने उत्साह वर्धक कार्य किया और २३.१६ प्रतिशत कि वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष को याद्गारपूर्ण रूप से समाप्त किया A हालांकि जीवन बीमा क्षेत्र ने फरवरी एवं मार्च माह में नये-नये जीवन बीमा उत्पाद लाकर इस कमी को समाप्त करने का भरपूर प्रयास किया A जनवरी २०१२ तक जीवन बीमा व्यवसाय १४.२१ प्रतिशात घाटे मे था और मार्च २०१२ के अंत तक उसमे थोड़ा सा सुधार करते हुए ९ प्रतिशत कमी के साथ समाप्त हुआ A विशेषज्ञों कि राय में वित्तीय वर्ष २०११-१२ संभवतः बीमा उद्योग के सबसे बुरे दौर में से एक था A नया वित्तीय वर्ष २०१२-१३ प्रारम्भ हो चूका है बीमा उद्योग का भविष्य काफी हद तक वर्तमान वित्तीय वर्ष के प्रथम ६ माह के कार्य संपादन पर निर्भर करेगा A व्यवसाय न हो पाने के वजह चाहे जो भी हो पर विदेशी कंपनियों को भारतीय जीवन बीमा बाजार लुभा पाने में अब बिफल से साबित होते नजर आ रहे है, यही वजह है कि कुछ कंपनियाँ भारतीय बाजार से जा चुकी है, और कुछ जाने के राह पर अग्रसर है A कही न कही यह बीमा उद्योग के लिये पुनः नये सिरे से सोचने के सही समय होने का एहसास अवश्य ही करा रहा है कि वास्तव में बीमा उद्योग को गति देने के लिये क्या किया जाना चाहिये ?

इरडा और वित्त मंत्रालय इस कार्य में तेजी से जुड गये है कि व्यवसाय न हो पाने के सही कारणों का पता लगाया जा सके A जिससे जीवन बीमा उद्योग की नीव कि स्थिरता को बनाये रखने के साथ साथ विदेशी निवेशको को भी आकर्षित किया जा सके A

इरडा द्वारा जारी किये गये नवीनतम वित्तीय वर्ष २०११-१२ के आंकडो को देखा जाय तो पांच जीवन बीमा कंपनियों ने नव व्यवसाय में वृद्धि दर्ज कराया है, जो कही न कही इरडा के लिये भी राहत कि बात रही है A वृद्धि दिखाने वाली कंपनिया है, मैट लाइफ (५२.६९ प्रतिशत), इंडिया फर्स्ट लाइफ (३९.३८ प्रतिशत), डी यल यफ प्रमेरिका लाइफ (३८.९४ प्रतिशत), स्टार यूनियन दायची (२७.१८ प्रतिशत) और अविवा लाइफ (७.३१ प्रतिशत) A जबकि अधिकांश कंपनियों ने घाटे को प्रदर्शित किया है, रिलायंस लाइफ (-४०.३८ प्रतिशत), भारती एक्सा लाइफ (-३८.१२ प्रतिशत), आई सी आई सी आई प्रूडेंशियल (-३५.३९ प्रतिशत), श्रीराम लाइफ (-३१.१३ प्रतिशत), आई डी बी आई लाइफ (-३०.१० प्रतिशत), टाटा ये आई जी लाइफ (-२९.३८ प्रतिशत), एगान रेलिगेयर लाइफ (-२४.४५ प्रतिशत), फ्यूचर जनरली लाइफ (-२३.४३ प्रतिशत), बजाज अलियांज (-२१.६२ प्रतिशत), सहारा लाइफ (-२१.४८ प्रतिशत), केनरा यच यस बी सी लाइफ (-१५.८५ प्रतिशत), यस बी आई लाइफ (-१३.७९ प्रतिशत), मैक्स न्यूयार्क लाइफ (-७.३६ प्रतिशत), बिरला सन लाइफ (-७.२९ प्रतिशत), कोटक महिंद्रा लाइफ (-७.०९ प्रतिशत), यच डी यफ सी लाइफ (-५.७२ प्रतिशत), और आई यान जी वैश्य (-३.३४ प्रतिशत) A यदि जीवन बीमा उद्योग कि बात कि जाय तो वित्तीय वर्ष २०१०-११ में रुपया १२५८२६.०३/- करोड़ के मुकाबले वित्तीय वर्ष २०११-१२ में रुपया ११४२३२.७३/- करोड़ का ही व्यवसाय कर पाये जो कि रुपया ११५९३.३०/- करोड़ कम है, तथा प्रतिशत के रूप में -९.२१ प्रतिशत है A भारतीय जीवन बीमा निगम ने -५.७० प्रतिशत घाटे को प्रदर्शित किया है जबकि निजी जीवन बीमा कर्ताओ ने १६.९२ प्रतिशत घाटे को प्रदर्शित किया है A

यदि यह कहा जाय कि यूलिप ने जीवन बीमा कंपनियों कि रीढ तोड़ दी तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि यूलिप के व्यवसाय में इरडा और सेबी के बिबाद के पश्चात से जो कमी देखने को मिली रही है, वो अंततः समाप्त नहीं हो पा रही है A एक और मुख्य वजह है लोग दूध के जले अब छांछ भी फुक-फुक कर पी रहे है A हालांकि यदि देखा जाय तो यूलिप पहले से बेहतर और पॉलिसी होल्डर के लिये लाभकारी हुये है A इरडा द्वारा प्रत्येक सप्ताह जारी एक सर्कुलर ने से भी कही न कही व्यवसाय प्रभावित हुआ है A अभिकर्ताओ का भी दिशा परिवर्तन होने लगा है और अब वो यूलिप के विक्रय में दिलचस्पी न दिखाकर ट्रेडिशनल उत्पाद के विक्रय पर जोर दे रहे है A इरडा के लिये राहत कि बात यह है कि लगभग सभी जीवन बीमा कंपनियों ने ट्रेडिशनल व्यवसाय में अच्छी ग्रोथ दिखाया है A

यदि जारी कि गयी पॉलिसी कि बात करे तो ६ जीवन बीमा कंपनियों ने पॉलिसी में वृद्धि दर्ज किया है, डी यल यफ प्रमेरिका लाइफ (८९.५५ प्रतिशत), स्टार यूनियन दायची (५४.३९ प्रतिशत), श्रीराम लाइफ (८.१८ प्रतिशत), इंडिया फर्स्ट लाइफ (२.७४ प्रतिशत), सहारा लाइफ (१.९४ प्रतिशत) और मैट लाइफ (१.८२ प्रतिशत) A जारी कि गयी पालिसियो में घाटा दिखाने वाली कम्पनिया क्रमवार है, टाटा ये आई जी लाइफ (-५०.०२ प्रतिशत), फ्यूचर जनरली लाइफ (-४६.५५ प्रतिशत), भारती एक्सा लाइफ (-४६.०६ प्रतिशत), रिलायंस लाइफ (-४२.५१ प्रतिशत), केनरा यच यस बी सी लाइफ (-३५.६१ प्रतिशत), बजाज एलियांज (-३१.७६ प्रतिशत), मैक्स न्यूयार्क लाइफ (-२९.९४ प्रतिशत), आई सी आई सी आई प्रूडेंशियल लाइफ (-२३.८१ प्रतिशत), आई डी बी आई फेडरल लाइफ (-२१.८३ प्रतिशत), कोटक महिंद्रा (-१९.७४ प्रतिशत), बिरला सन लाइफ (-१५.६० प्रतिशत), एगान रेलिगेयर (-१४.८१ प्रतिशत), आई यान जी वैश्य (-१४.८० प्रतिशत), यस बी आई लाइफ (-६.२० प्रतिशत), अविवा लाइफ (-५.७७ प्रतिशत) और यच डी यफ सी लाइफ (-१.८९ प्रतिशत) A भारतीय जीवन बीमा निगम ने -३.४७ प्रतिशत जारी कि गयी पालिसियों में कमी दर्शाया है, जबकि निजी जीवन बीमा क्षेत्र ने – २४.०४ प्रतिशत कि कमी को दर्शाया है A उद्योग स्तर पर -८.२२ प्रतिशत कि कमी रही है A

यदि जीवन बीमा क्षेत्र कि तुलना समूह बीमा को छोडकर किया जाय, तो बीमा उद्योग नव व्यवसाय में -२१.९६ प्रतिशत कमी को पर्दर्शित कर रहा है A भारतीय जीवन बीमा निगम -१८.६५ प्रतिशत कि कमी दर्शा रहा है, वही निजी जीवन बीमाकर्ता -२७.६३ प्रतिशत कि कमी दर्शा रहे है A यदि समूह जीवन बीमा के अंतर्गत जारी कि गयी पालिसियों को छोड़कर बात कि जाय तो जारी कि गयी पालिसियों में उद्योग स्तर पर -८.२३ प्रतिशत कि कमी पर्दर्शित हो रहा है वही भारतीय जीवन बीमा निगम -३.४८ प्रतिशत और निजी जीवन बीमा कर्ता -२४.०६ प्रतिशत कि कमी दर्शा रहे है A

सामान्य बीमा व्यवसाय में एक कम्पनी स्टार हैल्थ बीमा को छोड़कर शेष समस्त कम्पनियों ने नव व्यवसाय में वृद्धि दर्ज कि है A स्टार हैल्थ बीमा ने (-७.४० प्रतिशत) कि कमी को प्रदर्शित किया है A सामान्य बीमा उद्योग के लिये राहत कि बात यह रही है कि उद्योग स्तर के साथ साथ निजी और सार्वजानिक दोनों बीमा कम्पनिया नव व्यवसाय में वृद्धि प्रदर्शित किया है A वृद्धि प्रदर्शित करने वाली कम्पनिया क्रमवार है, यल एंड टी जनरल (७३२.५१ प्रतिशत), यस बी आई जनरल (४८१.८४ प्रतिशत), मैक्स बूपा (३५७.१० प्रतिशत), रहेजा क्यू बी इ (१६०.८६ प्रतिशत), अपोलो मुनिच (६७.८७ प्रतिशत), श्रीराम जनरल (६२.१८ प्रतिशत), भारती एक्सा (५७.२० प्रतिशत), फ्यूचर जनरली (५३.१९ प्रतिशत), टाटा ये आई जी (३९.८६ प्रतिशत), चोलामंडलम (३८.८५ प्रतिशत), यूनिवर्सल सोम्पो (३५.२७ प्रतिशत), यच डी यफ सी एर्गो (३३.०५ प्रतिशत), ए आई सी (३१.४८ प्रतिशत), रायल सुन्दरम (३०.३५), यूनाइटेड इंडिया (२९.०८ प्रतिशत), नेशनल (२५.१५ प्रतिशत), आई सी आई सी आई लोम्बार्ड (२१.१३ प्रतिशत), न्यू इंडिया (२०.२७ प्रतिशत), बजाज अलियांज (१४.७६ प्रतिशत), इ सी जी सी (१४.४४ प्रतिशत), ओरिएंटल (१०.७५ प्रतिशत), रिलायंस (३.४५ प्रतिशत), और इफ्को टोकियो (०.९९ प्रतिशत) A उद्योग स्तर पर २३.१६ प्रतिशत कि वृद्धि देखने को मिली A सार्वजनिक क्षेत्र में कुल २१.८८ प्रतिशत और निजी क्षेत्र में कुल २५.०१ प्रतिशत कि वृद्धि प्रदर्शित कर रहे है, जो कि सामान्य बीमा व्यवसाय के बेहतर भविष्य का एक सुनहरा संकेत है A

जीवन बीमा और सामान्य बीमा दोनों उद्योगों कि चिंता माननीय वित्त मंत्री जी ने बजट सत्र में सेवा कर को १०.०३ प्रतिशत से बढाकर १२.३६ प्रतिशत करके अवश्य ही बड़ा दिया है A इसका कहीं न कहीं प्रभाव आने वाले दिनों में अवश्य ही देखने को मिलेगा A जीवन बीमा व्यवसाय कि मुश्किलें रुकने का नाम नहीं ले रही है, यूलिप प्रीमियम कि मार, अभिकर्ताओ के लिये नये नियम, सेवाकर का बढाया जाना, पेंसन उत्पाद के कड़े नियम और अब माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा बजट में जीवन बीमा के प्रीमियम पर तभी कर छूट मिलेगी जब दिये गये प्रीमियम का १० गुना बीमा धन होगा, से जीवन बीमा क्षेत्र की मुश्किलें और बड गयी है A समस्त समस्याओ में हमेशा से कुछ अच्छा जरुर रहा है ठीक उसी तरह जीवन बीमा क्षेत्र में एक अच्छी बात पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान देखने को मिली कि समस्त जीवन बीमा कम्पनियों ने ट्रेडिसनल उत्पाद में अच्छी ग्रोथ दर्ज किया है, जो जीवन बीमा व्यवसाय के लिये अत्यंत ही लाभप्रद है A

अगले कुछ महीनो का व्यावसायिक प्रदर्शन यह स्पष्ट कर देगा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में हम किस राह पर अग्रसर हो रहे है A क्या जीवन बीमा व्यवसाय अपनी साख बचाने सफल हो पायेगा ? क्या सामान्य बीमा व्यवसाय इसी तरह आगे भी ग्रोथ बनाये रख पायेगा ? समय के गर्भ में ये सारी बाते टिकी है, पर हम अनुमान अवश्य ही लगा सकते है कि भविष्य क्या है ? कैसा होगा विश्व के सबसे उभरता हुआ जीवन बीमा मार्केट ?

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