मुख्यमंत्री ने भारतीय संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ पर आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

भारतीय संविधान में भारत सहित पूरी दुनिया के लिए शांति, सद्भाव व कल्याण का भाव निहित : मुख्यमंत्री

26 नवम्बर, 2024 से भारत अपने संविधान के अंगीकार होने के ‘अमृत महोत्सव वर्ष’ में प्रवेश कर रहा

प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ को सम्बोधित करते हुए कहा था कि ‘मानवता की सफलता युद्ध में नहीं, बल्कि सामूहिक शक्ति में निहित है’

प्रधानमंत्री जी का यह वक्तव्य अत्यन्त प्रासंगिक और विश्व शांति की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होने वाला
 
संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं में भारत की सक्रियता वैश्विक शान्ति और हितों को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाती

भारत की नीति संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप सभी सदस्यों के बीच संवाद, सहयोग और पारस्परिक सम्मान पर बल देती

लखनऊ : 22 नवम्बर, 2024

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भारतीय संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ की भावनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में भारत सहित पूरी दुनिया के लिए शांति, सद्भाव व कल्याण का भाव निहित है। विश्व मानवता के सामने जब भी संकट आया, तब भारत ने इन भावनाओं के अनुरूप विश्व मानवता के कल्याण का भाव व्यक्त किया। भारत का आज से नहीं बल्कि हजारों वर्षों से यह भाव रहा है कि ‘अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात पूरी दुनिया एक परिवार है। दुनिया को इस भाव के साथ जोड़ने के लिए आज भी भारतीय संविधान इस दृष्टि से आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सी0एम0एस0) में भारतीय संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ पर आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने दुनिया भर से पधारे सभी अतिथियों का उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्वागत एवं अभिनन्दन किया। इस सम्मेलन में 56 से अधिक देशों के न्यायमूर्तिगण तथा विधि व न्याय क्षेत्र के विशेषज्ञ सम्मिलित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश में यह सम्मेलन ऐसे समय आयोजित हो रहा है, जब भारत अपने संविधान के अंगीकार होने के ‘अमृत महोत्सव वर्ष’ में प्रवेश कर रहा है। 26 नवम्बर, 1949 को भारत ने अपना संविधान अंगीकृत किया था। 26 नवम्बर, 2024 से भारतीय संविधान के अंगीकार होने का अमृत काल प्रारम्भ होगा। इस अवसर पर भारत के संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ पर आधारित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों एवं न्यायाधीशों का यह सम्मेलन अत्यन्त प्रेरणादायी और ‘अनुच्छेद 51’ के अनुरूप विश्व शान्ति, सुरक्षा और सद्भाव की स्थापना की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अभी कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ को सम्बोधित करते हुए दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों का आह्वान किया कि ‘मानवता की सफलता युद्ध में नहीं, बल्कि सामूहिक शक्ति में निहित है।’ भारत मानता है कि युद्ध से किसी समस्या का समाधान नहीं निकलता है, समस्या का समाधान भारतीय संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ की भावनाओं के अनुरूप आपसी बातचीत से ही निकाला जा सकता है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि आज युद्ध और आतंकवाद का दंश झेल रहे विश्व के 2.5 अरब बच्चे और आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित करने की आवश्यकता है। हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए विरासत में एक सुरक्षित समाज छोड़ जाएं। ऐसे में दुनिया भर के सभी देशों के राष्ट्र प्रमुखों से मेरा आग्रह है कि वे सभी एक मंच पर आकर भावी पीढ़ी को सुन्दर, स्वच्छ व भयरहित समाज उपलब्ध कराने में अपना महत्वपूर्ण एवं सशक्त योगदान अवश्य दें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का यह वक्तव्य अत्यन्त ही प्रासंगिक और विश्व शांति की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होने वाला है। आज यहां दुनिया के प्रतिनिधि प्रधानमंत्री जी की इन भावनाओं के आग्रही बनकर इस सम्मेलन का हिस्सा बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान आपसी सहयोग, शांति और सामंजस्य से पूर्ण सहअस्तित्व का पक्षधर है। यह विशेष रूप से विश्व शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो सम्मानजनक ढंग से अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। भारत की नीति संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप सभी सदस्यों के बीच संवाद, सहयोग और पारस्परिक सम्मान पर बल देती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत का महत्वपूर्ण वैश्विक प्रभाव अन्तरराष्ट्रीय निकायों और मंचों पर इसकी सक्रिय भागीदारी से स्पष्ट है। संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं में भारत की सक्रियता वैश्विक शान्ति और हितों को बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी भारतीय संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ की भावनाओं के अनुरूप विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति भारत के संविधान निर्माताओं की भावनाओं के अनुरूप विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने के अभियान का हिस्सा बनेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने स्व0 डॉ0 जगदीश गाँधी को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इस सम्मेलन की शुरूआत आज से 25 वर्ष पूर्व लखनऊ में सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सी0एम0एस0) के संस्थापक डॉ0 जगदीश गाँधी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में हुई थी। डॉ0 जगदीश गाँधी आज हमारे बीच भौतिक रूप से नहीं हैं। सी0एम0एस0 की संस्थापक निदेशिका डॉ0 भारती गाँधी और इस अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन की संयोजिका एवं संस्थान की प्रबंधक प्रो0 गीता गाँधी किंगडन ने इस सम्मेलन को अनवरत रूप से आगे बढ़ाने का कार्य किया है।
इससे पूर्व, कार्यक्रम की शुरुआत ‘वन्देमातरम्’ के गायन से हुई। विद्यालय के विद्यार्थियों ने विभिन्न बैण्डधुनों द्वारा मुख्यमंत्री जी का स्वागत किया। विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति मा0 सुश्री कैथलिन नोवाक, लिसेथो के पूर्व प्रधानमंत्री मा0 डॉ0 पकालिथ बी0 मोसीसिली, रिपब्लिक ऑफ हैती के पूर्व प्रधानमंत्री मा0 श्री जॉन हेनरी केन्ट, इन्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के मा0 न्यायमूर्ति श्री दलवीर भण्डारी सहित अन्य देशों के न्यायमूर्तिगण, विधि विशेषज्ञ, सी0एम0एस0 की संस्थापक निदेशिका डॉ0 भारती गाँधी, प्रबन्धक प्रो0 गीता गाँधी किंगडन सहित शिक्षकगण व विद्यार्थी उपस्थित थे।    
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