दुधवा और लखनऊ के बीच हेलीकॉप्टर सर्विस 25 नवंबर, 2024 से शुरू कराने की तैयारी
हेलीकाप्टर यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति मात्र 5,000 रुपए किराया देने होंगे
हेली सर्विस शुरू होने से दुधवा सहित कतर्नियाघाट, पीलीभीत टाइगर रिवर्ज जैसे स्थलों पर बढ़ेगी पर्यटकों की संख्या
-जयवीर सिंह
लखनऊ: 22 नवम्बर, 2024
उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने वाले पर्यटकों के लिए राज्य सरकार ने हेलीकाप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी की है। यह सेवा लखनऊ से दुधवा के बीच शुरू होगी। हेलीकॉप्टर के संचालन के लिए 25 नवंबर, 2024 की तिथि निर्धारित की गयी है। लखनऊ से दुधवा सड़क मार्ग से जाने वाले पर्यटकों को साढ़े चार घंटे का समय लगता था, हेली सर्विस शुरू होने पर यह यात्रा घटकर मात्र एक घंटे रह जाएगी। हेलीकॉप्टर से यात्रा के लिए पर्यटकों को पांच हजार रुपए प्रति व्यक्ति किराए का भुगतान करना होगा। कल देर रात मेसर्स जेटसर्व एविएशन पर्यटन लि0 के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कराया गया।
यह जानकारी आज प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के चूका जैसे ईको टूरिज्म स्थलों पर सुगम आवागमन हेतु हेली सेवाएं प्रारम्भ करने के निर्देश दिए गए थे। इसी क्रम में आगामी 25 नवंबर 2024 से चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, लखनऊ से राजकीय हवाई पट्टी पलिया तक हवाई सेवा का शुभारंभ होना प्रस्तावित है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश का प्रमुख टाइगर रिजर्व दुधवा टाइगर रिजर्व का कोर जोन 884 वर्ग कि.मी. में स्थापित है। इसकी ख्याति न केवल देश में है, बल्कि विदेशों में भी है। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में विद्यमान विभिन्न प्रकार के बेशकीमती वृक्ष, लता, पौधे, घास, बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी गैंडा, हिरण, सरीसृप, पक्षी व अन्य जीव जंतु इसकी आभा की अभिव्यक्ति स्वयं करते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान की जैवविविधता की अलौकिकता, इसके मनोहारी दृश्यों से स्वनेत्रों को अभिसिंचित करने हेतु घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटक यहां प्रतिवर्ष आते रहते हैं। दुधवा एक तरफ मोहाना नदी एवं दूसरी तरफ शारदा नदी जैसी विशालकाय नदियों से आच्छादित है। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है, जहां प्रथम गैंडा पुनर्वास केन्द्र अपनी सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के उपरान्त द्वितीय गैण्डा पुनर्वास केन्द्र का प्रारम्भ कराया जा चुका है।
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