मुख्यमंत्री गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के
70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर प्रा0 यशवंतराव
केलकर युवा पुरस्कार कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के श्री दीपेश नायर को प्रा0
यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार से सम्मानित किया
 
प्रा0 यशवंतराव केलकर जी की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे
राष्ट्रवादी छात्र संगठन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका थी : मुख्यमंत्री
 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रों तथा
युवाओं का दुनिया का सबसे बड़ा संगठन

दुनिया का सबसे युवा देश भारत, यह युवा ऊर्जा जीवन के
प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करते हुए देश को नई दिशा देने का कार्य कर रही

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ज्ञानशील एकता का स्लोगन दिया, ज्ञान प्राप्त करने के मामले में भारत से बड़ा आग्रही दुनिया में अन्य कोई देश नहीं रहा
 
हमें ज्ञानवान बनने के साथ-साथ नई तकनीक को भी अपनाना
चाहिए, नई तकनीक के प्रति आग्रही बनना ही वैज्ञानिक सोच

लोक कल्याणकारी सोच वाला युवा विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा
नई तकनीक के साथ जुड़ेगा तो वह स्वयं मजबूत होगा
तथा समाज व राष्ट्र को भी मजबूत बनाएगा

आप सभी के बीच में छुपे हुए लोग छद्म रूप से धर्मांतरण जैसी देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे, इन गतिविधियों पर लगाम लगाना
समाज के प्रबुद्धजनों तथा जागरूक नागरिकों का दायित्व

 
लखनऊ : 24 नवम्बर, 2024 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज जनपद गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन (22 से 24 नवम्बर, 2024) के अवसर पर प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने कर्ण बधिर युवाओं के जीवन में कौशल, शिक्षा तथा रोजगार के माध्यम से नया सवेरा लाने हेतु महाराष्ट्र के श्री दीपेश नायर को प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने प्रा0 यशवंतराव केलकर जी की स्मृतियों को नमन करते हुए कहा कि प्रा0 यशवंतराव केलकर जी की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे राष्ट्रवादी छात्र संगठन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका थी। केलकर जी अपने मूल्यों तथा आदर्शों को ध्यान में रखकर कार्य करते थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्हें अपने विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से अनेक रचनात्मक कार्यक्रमों से जुड़ने तथा कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद युवाओं को प्रेरित करने के लिए निरन्तर कार्य कर रही है। यह राष्ट्रवादी मिशन से जुड़ने की आधारशिला है। यह छात्रों तथा युवाओं का दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। 16 से 40 वर्ष आयु के लोग युवा ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। जिस राष्ट्र के पास प्रतिभाशाली युवा ऊर्जा होती है, वह उस राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की गारण्टी होती है। इस दृष्टि से भारत सबसे सौभाग्यशाली राष्ट्रों में से है कि दुनिया का सबसे युवा देश भारत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश की 56 फीसदी आबादी युवा है। यह युवा ऊर्जा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करते हुए देश को नई दिशा देने का कार्य कर रही है। युवाओं ने प्रत्येक कालखण्ड में समाज को नई दिशा देने का कार्य किया है। रामायण काल में ऋषि-मुनियों का वध करने तथा भारत की ज्ञान की परम्परा में अवरोध उत्पन्न करने वाले राक्षसों का संहार करने के लिए प्रभु श्रीराम को आगे आना पड़ा। प्रभु श्री राम को ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’ का संकल्प लेना पड़ा। ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा को कंस के भय मुक्ति दिलाई। पूरी दुनिया को निर्वाण का संदेश देने वाले तथा ‘अप्पो दीपो भवः’ के माध्यम से स्वयं के अन्दर ज्योति को देखने की प्रेरणा प्रदान करने वाले भगवान बुद्ध तथा भगवान महावीर आदि ने अपनी युवा ऊर्जा के माध्यम से समाज को नई दिशा प्रदान की। आदि शंकराचार्य मात्र 32 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वीर अभिमन्यु महाभारत के सबसे ऊर्जावान युवाओं में से थे। जब उन्हें सात-सात महारथियों ने घेरा, तब उनकी आयु मात्र 16 वर्ष की थी। अनेक कौरव महारथी आपस में मिलकर भी वीर अभिमन्यु को आसानी से पराजित न कर सके। ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं’ की प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज खालसा पंथ के संस्थापक थे। ‘जो दृढ़ राखे धर्म को,तिहि राखे करतार’ का उद्घोष करने वाले महाराणा प्रताप ने मात्र 22 हजार सैनिकों के साथ 27 वर्ष की उम्र में हल्दीघाटी का पहला युद्ध लड़ा। अकबर की सेना एक लाख से अधिक थी। महाराणा प्रताप इस युद्ध को लगातार 30 वर्ष तक लड़ते रहे। अन्ततः अपने समस्त दुर्ग व किलों  को अकबर से वापस प्राप्त कर भारत के स्वाभिमान की रक्षा की। हिन्दवी साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की कीर्ति किसी परिचय की मोहताज नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उस वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई को याद करिए जिसके बारे में कहा जाता है कि ‘सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’। 1857 के स्वातंन्न्य समर में मात्र 26 वर्ष की आयु में रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थीं। अंग्रेज उन्हें परास्त नहीं कर सके थे। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का संदेश देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या फिर ‘इस भारतवर्ष में सौ बार मेरा जन्म हो, कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो’ का उद्घोष करने वाले काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी जैसे महान क्रांतिकारी यह सब युवा ही थे। वीर सावरकर दुनिया के पहले क्रांतिकारी हैं, जिन्हें एक ही जन्म में दो आजीवन कारावास की सजा हुई थी। उस समय वीर सावरकर की उम्र मात्र 28 वर्ष थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों ने बहुत कम उम्र में देश तथा धर्म के लिए युद्ध किया। ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ का संदेश देने वाले स्वामी विवेकानंद मात्र 39 वर्ष तक जीवित रहे। उनके बारे में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि यदि भारत को समझना है, तो स्वामी विवेकानंद को पढ़ो। देश तथा दुनिया में कहीं भी युवा ऊर्जा ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में कोई कोताही नहीं बरती।  लुईस ब्रेल ने मात्र 15 वर्ष की आयु में दृष्टिबाधितों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। आइन्स्टीन ने मात्र 26 वर्ष की आयु में सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि की। न्यूटन ने मात्र 23 वर्ष की आयु में गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद युवा ऊर्जा को निखारने के लिए एक सशक्त प्लेटफॉर्म बन सकता है। इसके लिए हमें समय के सापेक्ष स्वयं को तैयार करना पड़ेगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ज्ञानशील एकता का स्लोगन दिया है। ज्ञान प्राप्त करने के मामले में भारत से बड़ा आग्रही दुनिया में अन्य कोई देश नहीं रहा। श्रीमद्भगवतगीता में कहा गया है कि ‘न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते’ अर्थात ज्ञान की परम्परा से पवित्र अन्य कोई कार्य नहीं है। यही कारण रहा है कि हमारे यहां ऋषि परम्परा का प्राचीन काल से ही अत्यन्त सम्मान किया जाता रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें ज्ञानवान बनने के साथ-साथ नई तकनीक को भी अपनाना चाहिए। हमारे जीवन में नया ज्ञान ही विज्ञान है। नई तकनीक के प्रति आग्रही बनना ही वैज्ञानिक सोच है। समय के सापेक्ष चलना आज की आवश्यकता है। यदि हम समय से 10 कदम आगे चलने की सोचेंगे तभी प्रगति के पथ पर अग्रसर हो पाएंगे अन्यथा पिछड़ जाएंगे। 1990 के दशक में देशभर के बैंकों में कम्प्यूटराइजेशन की शुरुआत हुई थी। इसका भारी विरोध किया गया।  कहा गया कि नई तकनीक लोगों को बेरोजगार कर देगी। अब यह प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है। अब सभी कार्य ई-ऑफिस के माध्यम से किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय मनीषा ने वसुधैव कुटुम्बकम की बात कही थी, आज पूरी दुनिया आपके स्मार्टफोन में कैद है। जब प्रेस का आविष्कार हुआ तो हाथों से लिखने वाले लोगों ने हड़ताल की कि उनका धंधा चौपट हो जाएगा। प्रिंटिंग प्रेस का भी विरोध हुआ। लेकिन टेक्नोलॉजी किसी का इंतजार नहीं करती। वह बढ़ती गई। बिजली, टेलीफोन, हवाई जहाज, ए0टी0एम0, इंटरनेट, जी0पी0एस0 तथा सोशल मीडिया एक-एक करके आगे बढ़ते गए। सबको विरोध झेलना पड़ा। इनमें से एक भी तकनीक ऐसी नहीं है, जो हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा न बन पाई हो। लोक कल्याणकारी सोच वाला युवा विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा नई तकनीक के साथ जुड़ेगा तो वह स्वयं मजबूत होगा तथा समाज व राष्ट्र को भी मजबूत बनाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि टेक्नोलॉजी दोधारी होती है। यदि वह अच्छे हाथों में जाएगी तो लोक कल्याण तथा राष्ट्र कल्याण का माध्यम बनेगी। लेकिन यदि वह नकारात्मक सोच के लोगों के हाथों में जाएगी तो देश विरोधी गतिविधियों तथा विध्वंसात्मक ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। यह सृष्टि की शुरुआत से देखने को मिल रहा है कि दैवीय, सकारात्मक, ज्ञानवान तथा शीलवान शक्तियां स्वयं को सुरक्षित करके आगे कदम रखती हैं। एक समय ऐसा भी आता है जब दधीचि को अपनी हड्डी देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
एक समय ऐसा भी आता है जब हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। यह कीमत चुकाने का समय नहीं, बल्कि तकनीक की कीमत वसूल करने का समय है। इसके लिए हम सभी को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। एक सामान्य आलेख तैयार करने में 4 से 6 घंटे लगेंगे लेकिन चैट जी0पी0टी0 सॉफ्टवेयर के माध्यम से दो-तीन मिनट में ही आलेख प्राप्त किया जा सकता है। चैट जी0पी0टी0 या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी युक्तियां अनेक लोगों के रोजगार का माध्यम बन सकती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ साथ अब ऑटोमेशन, क्रिप्टो करेंसी, ब्लॉकचेन, इंटरनेट आफ थिंग्स, बायोमेट्रिक टेक्निक जैसी तकनीके हम सभी को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रही हैं। अभी तक हम लोग फोटोशॉप के बारे में सोचते थे, लेकिन अब पूरी की पूरी फिल्म ही हूबहू आवाज के साथ जेनरेट हो जा रही है। साइबर अपराधी इसका दुरुपयोग कर लोगों से ठगी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मोबाइल फोन से बात करने की लागत अब बहुत कम हो चुकी है। लोग 5जी तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। अब 6जी की तैयारी की जा रही है। हम सबके सामने वर्चुअल तथा ऑगमेन्टेड रियलिटी है। पहले हम चालक रहित विमान के बारे में सुनते थे, अब चालक रहित कारें तथा अधिक क्षमता युक्त ड्रोन भी आ गए हैं। कृषि में प्रयोग की जाने वाली जीन एडिटिंग तथा क्वॉन्टम कम्प्यूटिंग जैसी तकनीकें अनवरत रूप से आगे बढ़ रही हैं। यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ता जाएगा लेकिन इसको रोकने की सामर्थ्य किसी में नहीं है। यह रुकेगा नहीं। इसको रोकने के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने है। प्रा0 यशवंतराव केलकर जी ने कहा था कि वह चुनौती है, मनुष्य को मनुष्य बने रहने की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसके लिए मनुष्य को ज्ञानवान, शीलवान होना पड़ेगा। उसको वैदिक परम्परा को अंगीकार करना पड़ेगा। ‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’ के वैदिक उद्घोष को अंगीकार करते हुए, सभी एक साथ चलें, एक साथ बोलें, एक साथ सोचें, एक टीमवर्क के साथ एक धर्म के बारे में कार्य करें। राष्ट्रधर्म ही सर्वापरि धर्म है। इसी लक्ष्य को लेकर हम चलेंगे, तब हम मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर पायेंगे। राष्ट्रधर्म के मार्ग में जो भी चुनौतियां हैं, उन चुनौतियों का सामना परस्पर एकता एवं एक दूसरे की भावनाओं के सम्मान से ही सम्भव हो पायेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ऊर्जावान छात्रों की राष्ट्र शक्ति के बल पर कार्य करना होगा। प्रधानमंत्री जी ने देश के सामने आजादी के शताब्दी वर्ष के लिए विकसित भारत का लक्ष्य तय किया है। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एटॉमिक पावर के दो रूप हैं। एटॉमिक पावर प्लाण्ट के माध्यम से सस्ती तथा स्वच्छ ऊर्जा की प्राप्ति की जा सकती है। इसके माध्यम से एटम बम बनाकर मानवता का विनाश भी किया जा सकता है। यह एटॉमिक पावर का उपयोग करने वाले लोगों पर निर्भर करता है। शुद्ध विज्ञान के बारे में कहा जाता है कि वह निरपेक्ष है। मनुष्य की बुद्धि सापेक्ष है। मनुष्य जाति, मत, मजहब  तथा सम्प्रदाय आदि के आधार पर व्यवहार करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रा0 यशवंतराव केलकर पुरस्कार प्रा0 यशवंतराव केलकर जी की जन्म शताब्दी वर्ष में युवा शोधकर्ता श्री दीपेश नायर को लोक जीवन तथा समाज  के लिए कुछ नया प्रदान करने के लिए दिया जा रहा है।  श्री दीपेश नायर ने ऐसे तबके को टच किया है जो अक्सर या तो समाज के द्वारा उपेक्षित होता है अथवा हम उसके पोटेंशियल की जानकारी नहीं ले पाते।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ऊर्जा के दो हेतु हैं। उसका सदुपयोग भी हो सकता है और दुरुपयोग भी। उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि 03 महीने पहले माननीय न्यायालय ने एक कुख्यात मौलवी और उसके साथियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा इसलिए नहीं हुई कि वह मौलवी था, बल्कि उसके पीछे एक पूरा घटनाक्रम हुआ। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 की घटना है, जब उनके पास एक रिपोर्ट आई कि एक मंदिर में एक संत से मिलने की नीयत से गए दो युवाओं के पास एक ब्लेड मिला। पूछताछ करने पर पता चला कि इन युवाओं का सम्बन्ध दिल्ली के बटाला हाउस के किसी सज्जन से है और वह संत की हत्या के इरादे से सर्जिकल ब्लेड लेकर गए थे। जब बटाला हाउस के  सज्जन के बारे में पता किया गया तो पता चला कि वह देश के विभिन्न क्षेत्रों के मूक-बधिर बच्चों को इस्लाम स्वीकार करवाने का बहुत बड़ा रैकेट चलाता था। वह स्मार्टफोन के माध्यम से कोड भाषा में बच्चों को ट्रेनिंग देता था। देश के लगभग 500 परिवार उसकी चपेट में आए थे। उसके खिलाफ की गई बड़ी कार्रवाई के परिणामस्वरूप ही माननीय न्यायालय ने सजा सुनाई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आप सभी के बीच में छुपे हुए लोग छद्म रूप से धर्मांतरण जैसी देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन गतिविधियों पर लगाम लगाना समाज के प्रबुद्धजनों तथा जागरूक नागरिकों का दायित्व है। यह केवल किसी सरकार या संगठन का कार्य नहीं बल्कि प्रत्येक राष्ट्रभक्त नागरिक का कार्य होना चाहिए। यही कार्य ‘टीच’ जैसी संस्थाएं श्री दीपेश नायर जैसे युवाओं के माध्यम से कर रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में दिव्यांग जनों को चार प्रतिशत आरक्षण की सुविधा दी जा रही है। इसमें 16 से अधिक कैटिगरीज को शामिल किया गया है। यदि हम दिव्यांगजनों को प्रशिक्षित करेंगे तथा उन्हें प्लेटफार्म उपलब्ध कराएंगे तो वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ सकेंगे। प्रतिभा किसी व्यक्ति, जाति, मत तथा मजहब की मोहताज नहीं होती। यदि ईश्वर ने कहीं कोई कमी की है, तो वह उसकी पूर्ति भी करता है।

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