*करवा चौथ (दिकु के लिए)*
सुनो दिकु...
अपना सर्वस्व मैंने तुम्हें सौंप दिया है,
तुम्हारे लिए मैंने करवा चौथ का व्रत किया है।
तुम व्रत करती हो, पूरा दिन निर्जला,
कैसे खाऊं मैं, जब दिल हो तुमसे भला।
कहते हैं, स्त्रियां ये व्रत अपने पति के लिए रखती हैं,
उनकी लंबी उम्र की मंगल कामना करती हैं।
तो क्या ईश्वर ने सिर्फ महिलाओं को ही यह अधिकार दिया है?
मुझे यह गवारा नहीं, इसलिए प्रेम ने ये व्रत तुम्हारे लिए किया है।
जिस तरह तुम सबकी चिंता में रहती हो खोई,
वैसे ही तुम्हारी फिक्र में, मैं भी हूँ पूरी तरह से समर्पित।
जीवनभर चाहे मिले या न मिल पाए,
तुम्हारे एहसासों की खुशबू में खुद को बसना है।
तुम्हारे हृदय में जगह बनाने का,
मुझे अनमोल उपहार ईश्वर ने दिया है,
इसी खुशी में मैंने तुम्हारे लिए करवा चौथ का व्रत किया है।
बहुत कुछ कहना चाहता हूँ, पर शब्द नहीं मिलते,
जो मेरे दिल में है, उसे कहने की कोई पाठशाला नहीं।
हर वो लम्हा, जो प्रकृति ने तुम्हारी यादों में ढाला है,
उसे अपनी रूह से मैंने शब्दों में उतारा है।
व्रत के लिए बंधन जरूरी नहीं होता,
यह तो प्यार की एक डोर है, जो अनमोल होता है।
मैंने इस बंधन से परे तुम्हारे संग इस अनूठे एहसास को जिया है,
इसलिए प्रेम ने अपनी दिकु के लिए करवा चौथ का व्रत किया है।
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
9023864367
सूरत, गुजरा
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