मथुरा। रावण का पुतला भले ही बुराई के प्रतीक के रूप में दशहरा पर जलाया जाता है, लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में लंकेश के भी भक्त हैं। शुक्रवार को यमुना किनारे बने शिव मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा अर्चना की गई। रावण भक्त ओमवीर सारस्वत एडवोकेट का कहना है कि रावण भगवान महादेव के परम भक्त थे और वह त्रिकालदर्शी भी थे, इसीलिए वह उनका पूजन करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की पूजा करने वाले दशानन के स्वरूप को हम नमन करते हैं, प्रकांड विद्वान होने के नाते सभी का धर्म है कि हम इस तरह से पुतला दहन न करें, वह इसका विरोध करते हैं। जिस तरह से एक विद्वान को हर वर्ष जलाया जाता है, यह समाज के लिए घातक है। अगर जलाना है कुछ तो अपने अंदर छुपे रक्षक का वध करो, बुराइयों का त्याग करो। रावण के छह भाई और दो बहन थीं। इनमें रावण की बहन कुम्भनी मथुरा के राजा मधु राक्षस की पत्नी और लवणासुर की मां थी। इसके साथ ही रावण ब्राह्मणों के सारस्वत गोत्र से थे। यही वजह है कि यहां सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोग रावण की पूजा हर बार करते हैं। रावण भक्त ओमवीर सारस्वत एडवोकेट का मानना है कि रावण के पास बहुत ही अद्भुत शक्तियां थीं। समाज में महाराज रावण के खिलाफ भ्रांतियां पैदा हो गई हैं। वह रावण का पुतला दहन करने का विरोध करते हैं।
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