मथुरा। सभी मुकदमों की सुनवाई अलग-अलग की जाए, मुस्लिम पक्ष की तरफ से एडवोकेट तस्लीम अहमदी ने कहा था कि जब सभी मुकदमों का उद्देश्य अलग अलग है तो सभी के मुकदमा की सुनवाई है एक साथ क्यों हो रही है, इस पर हिंदू पक्षी तरफ से एडवोकेट सत्यवीर सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि मुस्लिम पक्ष सभी मुकदमों को अलग-अलग सुनवाई करा कर मामले को इन केसों को लंबा खींचना चाहता है, न्यायालय का समय बर्बाद करना चाहता है. हिंदू पक्ष का कहना है कि सभी मुकदमा की सुनवाई एक साथ होनी चाहिए. हिंदू पक्ष के मुख्य याचिका करता दिनेश शर्मा फलाहारी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास कोई भी साक्ष्य नहीं है जिससे यह मामले को लम्बा खींचना चाहता है, लेकिन हिंदू पक्ष चाहता है कि जल्द से जल्द फैसला हो जाए और दूध का दूध पानी का पानी अलग हो जाए. हिंदू पक्ष ने पहले ही अपने मंदिर के प्राचीन साक्ष्य न्यायालय जमा कर दिए हैं, मंदिर की खसरा खतौनी, नकल पुरानी खेबट की नकल,नगर निगम का असेसमेंट रेलवे का मुआवजा,जमीन की रजिस्ट्री, जमीन का नक्शा आदि सभी साक्ष्य न्यायालय में जमा कर दिए हैं. दिनेश शर्मा ने बताया कि पूजा उपासना अधिनियम1991 ,लिमिटेशन एक्ट और वक्फ बोर्ड एक्ट पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के मध्य में लगभग 4 महीने तक बहस को सुना, सुनने के बाद में न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय दिया था, जिसमें न्यायालय ने स्वीकार किया के सभी मुकदमे सुनवाई योग्य हैं. उन्होंने कहा कि न्यायालय सबूत के आधार पर फैसला करता है, मुस्लिम पक्ष के पास में एक भी कागज का टुकड़ा नहीं है जो यह साबित कर सके कि यह मस्जिद,मंदिर से पहले बनी थी.।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अप्लीकेशन खारिज की, अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी
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