कौन हो तुम

तुम कौन हो, जो दिल में समाई हो,
हर धड़कन में जैसे तेरी ही परछाई हो।

बिन कहे, बिन मिले यूं करीब हो,
जैसे उम्रों की कोई रूहानी रजाई हो।

तेरे बिना ये पल ठहरे से लगते हैं,
हर ख्याल में तुम ही तुम समाई हो।

दूरी है पर यूं लगता है मुझे,
जैसे हर सांस में तेरी शहनाई हो।

तेरे बिना दुनिया भी वीरान सी लगे,
जैसे अधूरी कोई खामोश सच्चाई हो।

हर रात के सन्नाटे में नाम तेरा पुकारूं,
जैसे बिना तेरे मेरी दुनिया कोई बिनाई हो।

कैसे बयां करूं, किससे कहूँ, ये दिल के हाल मैं,
कौन मानेगा यह सच्चा रिश्ता,
जिस में दूर होकर भी इतनी गहराई हो।

प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

 ,
प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
Surat, Gujarat
9023864367

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