दुबई में कायरोप्रैक्टर dr Rajneesh Kant को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई ऐसी भी चिकित्सा पद्धति है जिसमें बिना एक भी ख़ुराक दवा के बीमारी को जड़ से ठीक कर दिया गया हो ? जी हां आरा भोजपुर बिहार के बेगमपुरा मोहल्ले के रहने वाले चिकित्सक फिजियोथेरेपिस्ट ऑस्टियोपैथ और कायरोप्रैक्टर डॉक्टर रजनीश कांत एक ऐसी ही चिकित्सा पद्धति से देश विदेश में लोगों का उपचार करके चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति का बिगुल फूंके हुए हैं । उनके इसी कायरोप्रैक्टर पद्धति से अब तक देश विदेश में हजारों की संख्या में लोग लाभान्वित हो चुके हैं । वे अपनी इस चिकित्सा पद्धति से बिहार में प्रत्येक महीने की पहली तारीख को 100 मरीजों का मुफ्त में इलाज करते हैं । आज के आधुनिक दौर में जहाँ पैसे की भूख हर ओर हो उस दौर में समाज के गरीब तबके को मुफ्त में चिकित्सा उपलब्ध कराने के कारण ही डॉक्टर रजनीश कांत चहुँओर सम्मानित हो रहे हैं । वे सिर्फ महीने की पहली तारीख को ही नहीं बल्कि अपने क्लिनिक में पहुंचे गरीबों को उनकी स्थिति देखकर कभी भी इलाज का पैसा नहीं लेते हैं। बहुत कम समय मे इन्होंने अधिक मरीजों का इलाज करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया हुआ है ।
डॉक्टर रजनीश कांत को इन्हीं सभी उपलब्द्धियाँ के कारण विश्व की जानी मानी संस्था एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने डॉक्टर जय देसाई के हाथों सम्मानित करते हुए कायरोप्रैक्टर के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदानों के लिए दुबई के पाम अटलांटिस होटल दुबई में हुए एक समारोह में सम्मानित किया । इस अवसर पर डॉक्टर रजनीश कांत के साथ दुनिया के चिकित्सा क्षेत्र की बहुत बड़ी बड़ी हस्तियां भी शामिल थीं । इस अवसर पर सम्मानित होने के बाद बात करते हुए डॉक्टर रजनीश कांत ने कहा कि यह फिजियोथेरेपी ऑस्टियोपैथ और कैरोपरैक्टर चिकित्सा का ऐसा स्वरूप है जहां हम हर तरफ से इलाज कराकर निराश हो चुके लोगों का इलाज करके उन्हें शत प्रतिशत ठीक करके घर भेजते हैं । जिसमें ना तो कोई दवा का इस्तेमाल होता है और ना ही किसी खास प्रकार के सर्जरी का । इस पद्धति से अब तक कमर दर्द, पैरों का दर्द , नसों का दर्द, गैस्ट्रिक, सारः दर्द, पीठ दर्द , अपच जैसी कई प्रकार की बड़ी बीमारियों का सफल इलाज कर चुके हैं । बिहार के भोजपुर जिले के आरा शहर के बेगमपुरा मुहल्ले जैसे छोटे जगह से आने वाले डॉक्टर रजनीश कांत बेहद कम उम्र में सफलता के शिखर पर पहुंच चुके हैं ।
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