बूँद बूँद बचाना है, संकल्प को सफल बनाना है

जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही संभव है

हमारे कल को बचाने के लिए हमारे आज के जल को बचाना आवश्यक

हमें अपनी प्राकृतिक सम्पदाओं का संरक्षण करना होगा
-श्री स्वतंत्र देव सिंह
लखनऊ: 19 जुलाई, 2024

जल है तो कल है”, जल की बर्बादी को रोकना होगा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, हमारे कल को बचाने के लिए हमारे आज के जल को बचाना आवश्यक है। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह ने यह विचार आज जल शक्ति अभियान ’कैच द रेन-2024’ नारी शक्ति से जल शक्ति थीम पर आधारित कार्यक्रम भूगर्भ जल विभाग, उ०प्र० एवं आगा खाँ फाउण्डेशन के संयुक्त प्रयास से लीनेज होटल, लखनऊ में आयोजित कार्यशाला में दिया। इस कार्यशाला में स्रोत स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु वर्तमान स्थिति एवं अवसर शीर्षक पर विभिन्न संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक विचारधाराओं के साथ भूजल संरक्षण एवं संचयन की वैज्ञानिक विधाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि हम भविष्य की परिपाटी पर कुछ लिखकर जाना चाहते हैं तो हमें अपनी प्राकृतिक सम्पदाओं का संरक्षण करना होगा। बूँद-बूँद बचाना है, संकल्प को सफल बनाना है।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारी अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जहां कृषि जीवनयापन का मुख्य साधन है। जल की कमी के कारण हमारी खेती और जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जल प्रबंधन करके जहां हम एक तरफ़ बाढ़ की विभीषिका से बचेंगे वहीं दूसरी तरफ़ सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी उपलब्धता करायी जा सकेगी। हर साल, देश के विभिन्न हिस्सों में सूखे की समस्या होती है, जबकि कुछ हिस्सों में बाढ़ आ जाती है। यह विरोधाभास हमें बताता है कि जल प्रबंधन की दिशा में हमें और भी मेहनत करनी होगी। हमें जल संचयन की प्रणालियों को सुधारने की आवश्यकता है ताकि हम वर्षा के पानी को सहेज सकें और इसे जल की आवश्यकता वाले समय में उपयोग कर सकें।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि जल संचयन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार एवं माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के लिए सर्वाेच्च प्राथमिकता है। जल केवल जीवन का आधार ही नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व का भी आधार है बदलते जलवायु और लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण जल संकट एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। ऐसे में ’कैच द रेन’ अभियान का महत्व और भी बढ़ जाता है। ’कैच द रेन’ अभियान का उद्देश्य वर्षा जल का अधिकतम संग्रहण करना और उसे संरक्षित करना है। इसका मुख्य उद्देश्य बारिश के दौरान जल को संग्रहित करके भूजल स्तर को पुनः भरना और जल की कमी को दूर करना है।
जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव द्वारा इस अवसर पर प्रदेश की नदियों, नहरों एवं जलाशयों को जीवित रखने तथा भूगर्भ जल संचयन हेतु सामुदायिक स्तर पर प्रयास किए जाने का आह्वान किया गया और वृहद् वृक्षारोपण अभियान के साथ भूजल प्रबन्धन विधाओं, भूजल स्रोतों की सुरक्षा, संरक्षण एवं जल के दुरूपयोग को रोकने के उपायों से जन समुदाय को जागरूक किया। ’कैच द रेन’ अभियान का उद्देश्य वर्षा जल का अधिकतम संग्रहण करना और उसे संरक्षित करना है। इसका मुख्य उददेश्य बारिश के दौरान जल को संग्रहित करके भूजल स्तर को पुनः बढ़ाना और जल की कमी को दूर करना है। इस अभियान के माध्यम से न केवल जल संकट से निपटा जा रहा है, बल्कि समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है। यह अभियान इस वर्ष ’नारी शक्ति से जल शक्ति’ थीम के साथ 09 मार्च से 30 नवम्बर, 2024 तक के लिए संचालित किया जा रहा है, जिसमें जल संरक्षण के क्षेत्र में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया है। यह अभियान हमारे प्रदेश में जल संरक्षण के प्रति एक अभूतपूर्व कदम है।
उल्लेखनीय है कि आम जनमानस को भूजल के महत्व के प्रति जागरूक करने तथा जल संरक्षण एवं जल सम्वर्धन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त जनपदों में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी दिनांक 16 से 22 जुलाई, 2024 के मध्य ष्जल संरक्षण का करो प्रयास-जल ही है जीवन की आस थीम के साथ भूजल सप्ताह का शुभारम्भ जल शक्ति मंत्री, उ०प्र० श्री स्वतंत्र देव सिंह द्वारा दिनांक 16 जुलाई, 2024 को लखनऊ स्थित सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल (मरीन ड्राइव) चौराहा से किया गया था।
भूजल सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यशाला में नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान की प्राथमिकता पर जोर देते हुए निदेशक, भूगर्भ जल विभाग, उ०प्र० डा० राजेश कुमार प्रजापति द्वारा विभिन्न कार्यदायी विभागों एवं करायी जा रही भूजल संचयन की गतिविधियों की उपयोगिता को चिन्हांकित किया।
जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत सम्पादित कार्यशाला में आगा खाँ फाउण्डेशन के प्रमुख डा० असद उमर, भूगर्भ जल विभाग के अधिशासी अभियन्ता श्री अनुपम श्रीवास्तव, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, डा० आर०एस० सिन्हा, लघु सिंचाई विभाग से सहायक अभियन्ता श्री मंगल यादव एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा अपने-अपने विचार व्यक्त किए गए। भूजल संचयन एवं भूगर्भ जल संरक्षण के दृष्टिकोण से यह एक सराहनीय प्रयास है जो प्रदेश में जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

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