मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय
परामर्श कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किये
प्रधानमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती हेतु जिस अभियान को
आगे बढ़ाया, उसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए : मुख्यमंत्री
हमें उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बीज से लेकर बाजार
तक बनाए रखना होगा, उ0प्र0 में इसकी व्यापक सम्भावनाएं
आज की आवश्यकता के अनुरूप उत्पादों की क्वालिटी पर ध्यान देना होगा, उत्पाद बाजार तक पहुंचने पर तत्काल सर्टिफिकेशन की कार्यवाही से जोड़ा जाना चाहिए
प्रदेश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों से सर्टिफिकेशन लैब को इम्प्रूव करने के लिए कहा गया
प्राकृतिक उत्पादों की अच्छी कीमत उपलब्ध कराने तथा प्रचार-प्रसार के लिए
प्रत्येक मण्डी में इनका स्टोर बनाने की दिशा में कार्य प्रारम्भ किया जा चुका
प्रदेश में प्रत्येक जलवायु क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्र को सेंटर ऑफ
एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया
कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों के प्रशिक्षण, डेमोंसट्रेशन, हॉर्टिकल्चर,
श्री अन्न, गोवंश आदि के लिए कुछ न कुछ एक्टिविटी होती हुई दिखाई देती
प्रदेश में 01 लाख एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा हुई
रासायनिक खादों के प्रयोग से मृदा की उर्वरता प्रभावित हुई,
इससे सूक्ष्मजीवों में कमी देखने को मिल रही : राज्यपाल गुजरात
हमें प्रधानमंत्री जी के धरती और पर्यावरण बचाने के संकल्प के
साथ जुड़ना होगा : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश को वर्ष 2027 तक 01 ट्रिलियन
अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया, इसमें
कृषि क्षेत्र अहम भूमिका का निर्वहन करेगा : कृषि मंत्री, उ0प्र0
लखनऊ : 19 जुलाई, 2024
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आज से 03 वर्ष पूर्व, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्राकृतिक खेती हेतु जिस अभियान को आगे बढ़ाया था, उसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। पहले लोगों के मन में प्राकृतिक कृषि पद्धति को लेकर संशय की स्थिति थी, लेकिन वर्तमान में इसके प्रति जागरूकता में वृद्धि हुई है। हमें उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बीज से लेकर बाजार तक बनाए रखना होगा। उत्तर प्रदेश में इसकी व्यापक सम्भावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री जी आज यहां केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा कृषि विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 12 प्रतिशत है। इसमें देश के लगभग 20 प्रतिशत खाद्यान्न का उत्पादन किया जाता है। राज्य में पर्याप्त जल संसाधन है। हमें आज की आवश्यकता के अनुरूप उत्पादों की क्वालिटी पर ध्यान देना होगा, ताकि हैप्पीनेस इंडेक्स की अवधारणा को जमीनी धरातल पर उतारा जा सके। इसके लिए प्रदेश में कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। प्रदेश में 04 राज्य कृषि विश्वविद्यालय तथा 02 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय हैं। 05वां राज्य कृषि विश्वविद्यालय बनने जा रहा है। राज्य में 89 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। इन सभी संस्थाओं, कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा मंडी समितियों से प्राकृतिक कृषि उत्पादों/खाद्यान्नों के सर्टिफिकेशन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने को कहा गया है।
उत्पाद बाजार तक पहुंचने पर तत्काल सर्टिफिकेशन की कार्यवाही से जोड़ा जाना चाहिए। उत्पादों की अच्छी कीमत उपलब्ध कराने तथा प्रचार-प्रसार लिए प्रत्येक मण्डी में इनका स्टोर बनाने की दिशा में कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। प्रदेश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों से सर्टिफिकेशन लैब को इम्प्रूव करने के लिए कहा गया है। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा की जाएगी। मंडी से इस धनराशि की व्यवस्था के लिए पहले से प्राविधान कर दिया गया है। वहां पहले से स्थापित लैब को अपग्रेड करना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने में हरित क्रांति का लाभ प्राप्त हुआ है। लेकिन यह अधूरा सच है। यदि आप 17वीं और 18वीं सदी में भारत के कुछ प्रान्तों में प्राकृतिक कृषि पद्धति के माध्यम से की गई खेती की उत्पादन की दरों को देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि विगत डेढ़ सौ वर्षों से जो पढ़ाया जा रहा है तथा वास्तविक तथ्यों में क्या अंतर है। हमें इतिहास के पन्नों को पलटना पड़ेगा। जब धरती के प्राकृतिक स्वरूप में खेती किसानी के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया गया, तो देश में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि उस समय हरित क्रांति से ज्यादा उत्पादकता थी।
हरित क्रांति के पश्चात रासायनिक खादां व कीटनाशकों का प्रयोग प्रारम्भ हुआ। कुछ समय के लिए हमें उत्पादन बढ़ता हुआ दिखाई दिया। लेकिन अब जीव सृष्टि उसके दुष्प्रभावों का सामना कर रही है। रासायनिक खाद स्लो-प्वाइजन के रूप में व्यक्तियों की धमनियों में प्रवेश कर रही है। यह मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी हानिकारक साबित हो रही है। विगत वर्षों में जनपद अमरोहा में हुई गोवंश की मृत्यु का कारण उनमें अत्यधिक मात्रा में फर्टिलाइजर का प्राप्त होना था। जब एक गोवंश इस केमिकल और फर्टिलाइजर के दुष्प्रभाव को बर्दाश्त करने में अक्षम है तो मनुष्य कैसे सहन कर सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की ऋषि परम्परा पौराणिक काल से ही हर भारतवासी को धरती माता के प्रति आग्रही बनाती रही है। इसका प्रतिनिधित्व करते हुए आचार्य देवव्रत जी ने प्राकृतिक कृषि पद्धति को बढ़ावा देने हेतु बड़े जन जागरण अभियान को आगे बढ़ाया है। वह धरती माता को बचाने के संकल्प के साथ आगे बढ़े हैं। कुरुक्षेत्र, हिमाचल प्रदेश तथा गुजरात आचार्य जी के इन कार्यक्रमों का उदाहरण बने हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का स्वागत करते हुए कहा कि श्री चौहान को मध्य प्रदेश जैसे राज्य में कृषि उत्पादन की दर को देश में सर्वाधिक करने का गौरव प्राप्त हुआ है। इन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मध्य प्रदेश के किसानों के कल्याण के लिए अद्भुत कार्य किये। यह कार्य देश में आज भी उदाहरण हैं। कृषि क्षेत्र में उनके अनुभवों का लाभ देश की जनता को प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में निराश्रित गो आश्रय स्थलों में 12 लाख से अधिक निराश्रित गोवंश हैं। इसमें से 11 लाख निराश्रित गोवंशों के लिए प्रदेश सरकार व्यवस्था संचालित करती है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अंतर्गत किसानों को एक लाख गोवंशों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक किसान को केवल चार गोवंश अनुमन्य किए जाते हैं। प्रत्येक माह इसका वेरीफिकेशन किया जाता है। स्वस्थ और सुरक्षित गोवंश होने पर किसान को प्रत्येक महीने 1500 रुपये प्रति गोवंश उपलब्ध कराए जाते हैं। निराश्रित गो-आश्रय स्थलों से धात्री व बच्चों के लिए दूध देने वाली गाय उपलब्ध कराई जाती है। इस परिवार को गाय देने के साथ-साथ प्रतिमाह 1500 रुपये उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि अत्यधिक केमिकल और फर्टिलाइजर के उपयोग के दुष्प्रभाव के कारण कुछ राज्यों को कैंसर ट्रेन चलानी पड़ी। देश में प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में गरीबों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 05 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हुई है। मुख्यमंत्री राहत कोष के अन्तर्गत आवेदन प्राप्त होने पर जरूरतमंद व्यक्ति को तत्काल धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। इनमें सर्वाधिक मामले कैंसर के होते हैं। आज युवा किडनी फेलियर, हार्ट डिजीज, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। पहले यह स्थिति नहीं थी। इसका कारण खानपान का प्रभावित होना है। इससे बचाव के लिए प्रधानमंत्री जी ने देश को प्राकृतिक खेती अपनाने का मंत्र दिया है।
आज जैसा कि आचार्य जी ने कहा कि गुजरात में कृषि विश्वविद्यालयों को
प्राकृतिक खेती से संबंधित विश्वविद्यालयों के रूप में विकसित किया गया है। इसके लिए प्रशिक्षण व शोध कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने कृषि मंत्री से प्रदेश के किसी एक विश्वविद्यालय का चयन करने को कहा है, जहां पर तत्काल इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा सके। प्रदेश में 09 जलवायु क्षेत्र हैं। प्रत्येक जलवायु क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्र को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया है। इसमें अनाजों, हॉर्टिकल्चर तथा वेजिटेबल आदि को प्राकृतिक पद्धति से उत्पादित किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में कृषि विज्ञान केंद्र अच्छी तरह कार्य कर रहे हैं। इनमें वर्ष 2017 से पूर्व अराजकता की स्थिति थी। आज कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों के प्रशिक्षण, डेमोंसट्रेशन, हॉर्टिकल्चर, श्री अन्न, गोवंश आदि के लिए कुछ न कुछ एक्टिविटी होती हुई दिखाई देती है। उन्होंने आचार्य जी के कुरुक्षेत्र गुरुकुल में देखा है कि प्राकृतिक पद्धति के माध्यम से कैसे गाय की सामान्य नस्ल को उन्नत नस्ल में बदला जा सकता है। विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे अच्छी खेती की जा सकती है। ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्प्रभाव से खेती को कैसे बचाया जा सकता है। यह देखने के लिए कृषि मंत्री के साथ एक टीम भी भेजी गई। इसका अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ है। प्रदेश में 01 लाख एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा हुई है। बुंदेलखंड के सातों जनपदों तथा गंगा जी के किनारे 27 जनपदों में इसके प्रति व्यापक जन जागरण से लोग जुड़े हैं। इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती में अंतर को समझना चाहिए। रासायनिक खादों के प्रयोग से मृदा की उर्वरता प्रभावित हुई है तथा सूक्ष्मजीवों में कमी देखने को मिल रही है। प्राकृतिक कृषि पद्धति को अपनाकर कृषि के लिए उपयोगी सूक्ष्म जीवों में वृद्धि की जा सकती है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण आज पूरी दुनिया चिंतित है। रासायनिक खादों के प्रयोग से उत्पादन में निरंतर वृद्धि हुई है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। कैंसर जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों की वृद्धि हुई है। हमें प्रधानमंत्री जी के धरती और पर्यावरण बचाने के संकल्प के साथ जुड़ना होगा। खेती की प्राकृतिक पद्धति अपनाते हुए शुद्ध अनाज, फल एवं सब्जियों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश को वर्ष 2027 तक 01 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें कृषि क्षेत्र अहम भूमिका का निर्वहन करेगा। वैदिक काल से ही प्राकृतिक खेती का भारत के आर्थिक विकास, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक चेतना जागृत करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बाजारों में प्राकृतिक उत्पादों की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। प्रदेश में प्राकृतिक खेती के विस्तार के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ प्रशिक्षण अभियान से भी जोड़ा जा रहा है।
इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री देवेश चतुर्वेदी, केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव डॉ0 योगिता राणा, सलाहकार मुख्यमंत्री श्री अवनीश कुमार अवस्थी, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, किसान तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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