वृंदावन आगमन पर बंदरों की समस्या बताने पर योगी ने दी थी हनुमान चालीसा पढ़ने की सलाह
हमले में घायल मोर को स्थानीय लोगों ने सौरभि वन में छोड़ा
वृंदावन। योगी जी देखिए,धार्मिक नगरी के मंदिरों में हनुमान चालीसा भी पढ़ी जा रही है और आरती भी हो रही है, लेकिन बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन महिलाओं और बच्चों पर हमले की शिकायतें बढ़ रही है। रविवार को तो आतंकी बंदरों ने कभी वृंदावन की पहचान बताने वाले राष्ट्रीय पंक्षी मोर को ही अपना शिकार बना डाला।अगर क्षेत्रवासी सतर्क न होते तो एक और मोर की जान चली जाती।
पिछले करीब डेढ़ दशक से मथुरा वृंदावन में खौफ का पर्याय बन चुके बंदरों को लेकर तमाम धरने प्रदर्शन ,शिकवा शिकायते हो चुकी है, लेकिन हुकूमत आम आदमी की समस्या को गंभीरता से लेने को तैयार ही नहीं है। चार साल पहले वृंदावन आए मुख्यमंत्री को जब लोगों ने जानलेवा बन चुकी इस समस्या से रूबरू कराया तो उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ने की नसीहत दे डाली। सांसद हेमा मालिनी ने भी संसद में इस समस्या के लिए स्थानीय लोगों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। तत्कालीन वनमंत्री और ऊर्जा मंत्री ने भी लोगों को गंभीरता नहीं दिखाई। नतीजन बंदरों के हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही है। नासूर बन गई इस समस्या का निदान किसी के पास नहीं है। जिला प्रशासन बंदरों को पकड़वाने के नाम पर यदा कदा खाना पूर्ति करता दिखाई देता है।
जानकारी के अनुसार रविवार की दोपहर जादौन पार्किंग के समीप उस समय अफरा तफरी मच गई।जब बंदरों के झुंड ने एक जुट होकर राष्ट्रीय पक्षी मोर पर हमला कर दिया।गनीमत यह रही कि मोर जान बचाने के लिए समीप में बनी एक दुकान के अंदर घुस गया। जिसके चलते वहां मौजूद लोगों ने बंदरों को खदेड़ दिया। घटना में घायल हुए मोर को स्थानीय लोगों ने अपने कब्जे में लेकर 1076 व वन विभाग की टीम को सूचना दी है लेकिन स्थानीय लोगों की माने तो घंटों की सूचना के बाद जब वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची तो वह स्वयं ही बाइक से उसे सुनरख मार्ग स्थित सौभरि वन के जंगलों में छोड़ दिया गया।
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