पशुधन और दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र में नवीन प्रयोगों और शोध
किये जाने की आवश्यकता
प्रदेश को अंडा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है
कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य 03 करोड़ किया जाए
-धर्मपाल सिंह
लखनऊ: 10 जुलाई, 2024
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर बनाये जाने के सम्बन्ध में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग मंत्री श्री धर्मपाल सिंह जी की अध्यक्षता में आज यहां पशुपालन निदेशालय के सभाकक्ष में डेलॉयट इण्डिया के प्रतिनिधियों द्वारा एक प्रस्तुतीकरण दिया गया। प्रस्तुतीकरण के उपरान्त श्री सिंह ने पशुओं हेतु पौष्टिक चारे, कृत्रिम गर्भाधान एवं उन्नतशील नस्ल को बढ़ावा देने, पशुपालकों एवं किसानों के प्रशिक्षण, डेयरी क्रेडिट, दुग्ध प्रसंस्करण, पीसीडीएफ के पुनरूर्थान और डेयरी काम्प्लेक्स की स्थापना के संबंध में अपने मार्गदर्शक सुझाव प्रतिनिधियांे को दिये। श्री सिंह ने कहा कि पशुधन और दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्रों में नवीन प्रयोगों और प्रयासों को बढ़ावा देते हुए शोध किये जाने की आवश्यकता है।
पशुधन मंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 01 करोड़ अंडों का उत्पादन किया जा रहा है और 03 करोड़ अंडों की खपत है। प्रदेश को अंडा उत्पादन और वितरण में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई कम्पनियों को प्रदेश में लाया जाना चाहिए, इससे न केवल दूसरे प्रदेशों पर निर्भरता खत्म होगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। श्री सिंह ने कहा कि दुग्ध उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है लेकिन दुग्ध उत्पादन और दुग्ध प्रसंस्करण के क्षेत्र में हमें और आगे बढ़ना होगा। पशुओं को पौष्टिक पशु आहार उपलब्ध कराये जाने और कृत्रिम गर्भाधान योजना के माध्यम से उन्नत नस्ल के दुधारू पशु प्राप्त होंगे, जिससे न केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा बल्कि स्वरोजगार का भी सृजन होगा। श्री सिंह ने कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य 03 करोड़ किये जाने के निर्देश दिये।
बैठक में डेलायट के प्रतिनिधियों ने प्रदेश में पशुधन एवं दुग्ध विकास क्षेत्र में विभिन्न संभावनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि 01 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभाग से सहयोग एवं समन्वय स्थापित करते हुए सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किये जायेंगे। पशुधन मंत्री ने कहा कि योजनाओं की रूपरेखा इस प्रकार तय की जाए कि उसे किसान और पशुपालक आसानी से समझ सके और उनका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 में पशुधन बड़ी संख्या में है। इसलिए दूध के उपयोग के साथ ही पर्यावरण के दृष्टिगत गोबर का उपयोग किये जाने पर भी कार्य किया जाए। श्री सिंह ने कहा कि पशुधन एवं डेयरी क्षेत्र में बैंक ऋण की उपलब्धता और किसान क्रेडिट कार्ड की उपलब्धता बढ़ायी जाए।
बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री रवीन्द्र ने डेलायट प्रतिनिधियों के प्रस्तुतीकरण की गहन समीक्षा करते हुए आवश्यक बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया। प्रमुख सचिव ने कहा कि 01 ट्रिलियन इकोनामी के लक्ष्य को प्राप्त करने में पशुधन और दुग्ध विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है और डेयरी क्षेत्र में अभिनव प्रयासों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन क्षेत्र, अंडा, मांस, मछली आदि क्षेत्रों में वृद्धि होगी, जिससे न केवल पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित होगी बल्कि किसानों एवं पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी और समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल सकेगा।
बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव श्री देवेन्द्र पाण्डेय, दुग्ध विकास विभाग के विशेष सचिव श्री राम सहाय यादव, दुग्ध आयुक्त, पशुपालन विभाग के निदेशक डा0 रघुनाथ सिंह, निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र डा0 पी0एन0 सिंह, अपर निदेशक डा0 जयकेश कुमार पाण्डेय, अपर निदेशक डा0 अरविन्द कुमार सिंह तथा एलडीवी के कार्यकारी अधिकारी डा0 नीरज गुप्ता सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सम्पर्क सूत्र- निधि वर्मा
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