हाल ही दिनों में,धार्मिक कार्य क्रमों के दौरान जुआ खेलने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी रही है। कई जुआरी इन पवित्र आयोजनों का लाभ उठाकर माला माल होने का प्रयास कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल धार्मिक आस्था को कमजोर कर रही है, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों को भी प्रभावित कर रही है। बताते चले कि जुआ की बढ रही प्रवृत्त के चलते धार्मिक मेलों,उत्सवों और आयो जनों में अक्सर जुआ खेलने की गतिविधियाँ देखी जा रही हैं,जुआ रियों ने इन आयोजनों को अपने लिए एक उप युक्त स्थान बना लिया है, जहाँ पर वे आसानी से अपने जुए के खेल को चला सकते हैं। इस तरह की गति विधियाँ न केवल आयोजकों के लिए समस्या बनी हुई हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन के लिए भी चुनौती बन रही हैं। ताजा मामला उतरौला तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा गैंडास बुजुर्ग में मोहर्रम में लगे मेले का है। जहां पर जुएं का खेल धड़ल्ले से खेला जा रहा है और जुआरी लोग माला माल हो रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी इस पवित्र आयोजन के आयोजकों की होनी चाहिए। *जुएं का आर्थिक प्रभाव*
जुआ खिलाने वाले इन आयोजनों में बड़े मुनाफे कमा रहे हैं। कई बार तो जुआ के खेल इतने बड़े स्तर पर आयोजित होते हैं कि उन्हें रोकना भी मुश्किल हो जाता है। स्थानीय व्यापारी और दुकानदार भी इससे प्रभावित होते रहते हैं, क्योंकि जुआ खेलने वाले लोग अक्सर इन कार्य क्रमों में पैसा भी खर्च करते हैं। *सामाजिक मुद्दे*
इस जुआ खोरी ने समाज में कई समस्याएं पैदा की हैं। युवा वर्ग इस प्रवृत्ति की ओर आकर्षित हो रहा है, जिससे परिवारों में तनाव और आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है। धार्मिक आयोजनों का उद्देश्य भक्ति और समुदाय का विकास होना चाहिए, लेकिन जुआ के चलते ये उद्देश्य धूमिल हो रहे हैं।
*समाधान की दिशा*
इस समस्या का समाधान करने के लिए स्थानीय प्रशासन और धार्मिक संगठनों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। इन कार्य क्रमों के दौरान सख्त निगरानी और जागरूकता अभियानों के माध्यम से इस प्रवृत्ति को रोकने की कोशिश की जानी चाहिए लेकिन ऐसे आयोजनों पर स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है जिससे यह समस्याएं विकराल होती जा रही है, और हर त्योहार में ऐसे जुआरी माला माल हो रहे हैं। धार्मिक आयो जनों को सुरक्षित और पवित्र रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकें।
*जुआरियों को पहले ही मिल जाती है छापे की सूचना*
सूत्रों की माने तो ऐसे जुआ का आयोजन आपराधिक प्रवृति के लोगों के द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह इतनी सटीक बंदोबस्त रखते हैं कि अधिकारियों के दबिश देने से पूर्व ही उन्हें जानकारी मिल जाती है। जिससे यह लोग पुलिस के पहुंचने से पहले ही मौके से फरार हो जाते हैं।
हिन्दी संवाद न्यूज़ से
असगर अली की रिपोर्ट
उतरौला बलरामपुर।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know