मथुरा। बेसिक शिक्षा विभाग में 15 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले में मथुरा जिले के जिन 19 शिक्षकों के खिलाफ बीते साल सितंबर माह में हाईवे थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था, उनमें से 11 आरोपी शिक्षक फरार हो गए हैं।
यह कई वारंट जारी होने के बाद भी कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं। सीजेएम उत्सव गौरव राज की कोर्ट से इनके खिलाफ कुर्की नोटिस जारी हुए हैं। पुलिस ने कुर्की उद्घोषणा करा दी। आरोपियों के घर नोटिस चस्पा किए गए है, 18 जुलाई को वह कोर्ट में पेश नहीं होंगे उनकी संपत्ति को कुर्क कर लिया जाएगा।
कोर्ट ने तेजवीर सिंह पुत्र सरदार सिंह निवासी ग्राम नगला जमुनी पोस्ट अवेरनी थाना बलदेव, योगेंद्र सिंह पुत्र कुंवर सिंह निवासी ग्राम पटलोनी, बलदेव, सुनील कुमार पुत्र बीधा सिंह निवासी ग्राम भांकरपुर बसेला, भूड़ासानी राया, रनवीर सिंह पुत्र शिवराम सिंह निवासी ग्राम अल्हेपुर राया, कुलदीप कुमार सारस्वत पुत्र रामशरन निवासी कारब, महावन, खजान सिंह पुत्र शिव सिंह निवासी कारब, महावन, मानवेंद्र सिंह पुत्र विजेंद्र सिंह निवासी कारब, महावन, सुधीर कुमार पुत्र घमंडी सिंह निवासी ग्राम मल्हू, सौंख, मगोर्रा, दिनेश कुमार सिंह पुत्र अमर सिंह निवासी सुरर्का, बाढोन, मांट, मेघराज सिंह पुत्र रामखिलाड़ी निवासी नगला सिरिया, बाढोन, मांट व देवेंद्र सिंह पुत्र मेंबर सिंह निवासी सरूरपुर, ओल, फरह के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं।
आपको पूर्व मैं हुए इस मामले से अवगत कराते हुए बताते है कि 2015-16 बेसिक शिक्षा विभाग में मेरिट के आधार पर 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती निकली थी। इसमें दाऊदयाल संस्थान खंदारी, आगरा के नाम से स्नातक के कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर आरोपियों ने आवेदन किया। लखनऊ से मेरिट के आधार पर काउंसलिंग के लिए तिथि जारी की गई। तय तिथि पर बेसिक शिक्षा विभाग में काउंसलिंग के बाद दस्तावेज जमा हुए। वहां से दाऊदयाल संस्थान के लिए आगरा भेजे गए। मगर, संस्थान में सत्यापन को दस्तावेज पहुंचते उससे पहले ही डाकिया से सांठगांठ कर आरोपियों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। खुद ही सत्यापन की रिपोर्ट लगाकर बीएसए कार्यालय को भेज दिए। बाद में शिकायतें हुईं। तब यह मामला खुला। मगर, विभागीय कर्मचारी और पुलिस की संलिप्तता के कारण मुकदमा दर्ज नहीं हो सका।
समय-समय पर मामला उठता रहा, बावजूद ये शिक्षक लगातार नौकरी करते रहे। न तो इनकी जांच ही की गई, न ही इन पर कोई कार्रवाई की गई और न ही इन्हें वेतन दिया गया। जबकि कई बीएसए आए और गए। निवर्तमान बीएसए वीरेंद्र कुमार सिंह व कुछ कर्मियों की मदद से 5 संदिग्ध शिक्षकों ने वेतन आदेश जारी कराने में सफलता पा ली। इस पर वित्त एवं लेखाधिकारी (एओ) कार्यालय ने आपत्ति दर्ज कराते हुए पुनर्विचार को पत्र लिखा। वेतन रुकने पर इनमें से एक शिक्षक कोर्ट पहुंच गया। उसने बीएसए के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार पत्र लिखने को एओ के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कहते हुए न्यायालय से वेतन दिलाने की मांग की।
न्यायालय ने एओ से शपथ पत्र मांगा और आश्चर्य जताया कि कैसे यह शिक्षक विगत 8 वर्ष से लगातार नौकरी कर रहे हैं। न तो इन्हें वेतन दिया जा रहा है न ही इनकी जांच की गई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को 15 दिन में जांच करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका तय करने के लिए 27 सितंबर तक समय दिया। इसके बाद बीएसए सुनील दत्त ने उन पांच सहित 19 शिक्षकों के खिलाफ थाना हाइवे में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था।
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