मथुरा।खेतों के ऊपर से गुजरते बिजली की तारों के वजह से देश में हर साल हज़ारों किसानों के खड़ी फसल खाक हो जाती है। भारतीय किसान यूनियन चढूनी के मंडल अध्यक्ष रामवीर सिंह तोमर ने कहा है कि बिजली विभाग की लापरवाही के कारण किसानों की फसल आए दिन जलकर चौपट हो रही हैं। अप्रैल माह की शुरुआत होते ही जनपद के कई गांवों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो गई हैं। किसान सिर्फ बेबसी के आशू रोने को मजबूर है। बिजली विभाग हर साल हवा हवाई दावा करता है लेकिन इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति न हो इसके लिए गंभीर नज़र नहीं आता। किसान के हाथ मुआवजा के नाम पर प्रशासन की ओर से क्षति पूर्ति दी जाती है, जो बड़ी जटिल प्रक्रिया के बाद मिलती भी है तो बेहद मामूली होती है। इतनी होती है कि किसान द्वारा खेती में लगाई गई लागत भी नहीं निकल पाती। बुधवार को कोसी कलां के जाव गांव में हाईटेंशन लाइन का खंभा टूटकर किसान रमेश के गेहूं की खड़ी फसल पर जा गिरा, जिससे लगभग 70 एकड़ गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। आग इतनी बिकराल थी की उसकी चपेट मे पास के किसानों का भूसा भी खाक हो गया। फसल को बचाने में लगे दो किसान भी झुलस गए। जनपद की ये कोई एकलौती घटना नहीं है चार दिन पहले भी सुरीर कोतवाली क्षेत्र के नयावास गांव के कपिल कुमार, ओम प्रकाश नामक किसान की बिजली के तार आपस में टकराने से निकली चिंगारी से 10 बीघा में पकी खड़ी गेहूं की फसल देखते ही देखते आग की भेंट चढ़ गई। हर वर्ष गर्मियों में इस तरह की आगजनी होती है। अधिकारी ढीले और जर्जर तारों के कसने की तरफ कोई ध्यान नहीं देते या कागजों में खाना पूर्ति करते हैं। किसान जैसे-तैसे कर्ज पर लेकर फसल को तैयार करते हैं, लेकिन बिजली निगम की लापरवाही से खून पसीने की कमाई धुआं धुआं हो जाती है। ढकू मांट के चरण सिंह पवार ने बताया कि अग्नि शमन की गाडियां तक समय पर नहीं पहुंचती। दघेंटा के किसान कुंतभोज रावत, ओमवीर मास्टर ने कहा कि बिजली विभाग आग से फसल बचाने के लिए कोई प्रबंधन नहीं करता, किसान की फसल जले उनकी बला से। ये किसी एक जिले या एक किसान का दुख नहीं है, यहां हर साल ही आगजनी से किसान परेशान हैं। श्री तोमर ने कहा है कि इस साल भी राज्य के अलग-अलग ज़िलों में हज़ारों एकड़ फसल खाक होने की खबरें आईं हैं। इनमें से अधिकांश का कारण शॉर्ट सर्किट रहा है। अमीरपुर के प्रेम सिंह सिकरवार, हथकोली के केदारी प्रधान, जादोपुर के पंचम ने बताया कि बिजली विभाग मेंटिनेंस के नाम पर सिर्फ पेड़ों की शाखा काटने तक ही सीमित हैं, जर्जर झूलते तारों को विभाग न तो बदलता है और न टाइट करता है। भारतीय किसान यूनियन चढूनी ने शासन प्रशासन से मांग की है कि किसानों के खून पसीना की कमाई को जलने से बचाने के लिए बिजली विभाग को निर्देशित कर जर्जर तारों को बदलबाया जाए, टाइट कराया जाए। पिछले तीन सालों में विभाग द्वारा मेंटेनेंस के नाम पर जो कार्य किए गए हैं उनकी शासन से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
खेत से गुजरने वाले बिजली के तारों की चिंगारी से हर साल जल जाती है हजारों एकड़ फसल;रामवीर सिंह तोमर
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