उतरौला बलरामपुर शारदीय चैत नवरात्रि पर उतरौला के ऐतिहासिक ज्वाला महारानी मंदिर पर नौ दिवसीय विशेष पूजा अर्चना व अनुष्ठान का कार्यक्रम किया जाता है। राजस्थानी कलाकृति से आकर्षक रुप से निर्मित ज्वाला महारानी मंदिर उतरौला में कई दशकों से भारी संख्या में भीड़ लगने से श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस मंदिर पर सोमवार व शुक्रवार को स्थानीय लोग व दूर दराज के श्रद्वालु अपनी मनौती के लिए मंदिर पर आकर कड़ाह प्रसाद चढ़ाते है। नवरात्रि पर मंदिर की विशेष साफ सफाई के बाद सजावट भी किया जाता है। नवरात्रि में रात्रि के समय बिजली व झालरो की रोशनी से रोशन रहता है।
मंदिर के पुजारी पंडित चतुरेश शास्त्री ने बताया कि देवी जी के ज्वाला रुपी स्वरूप की पूजा इस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से हो रही है। इसके बारे में किदवन्ती है कि भगवान शिव ने अपने पिता के अपमान किए जाने से आहत होकर देवी सती ने यज्ञ कुंड में कूद करके अपनी जान दे दी। इस पर व्यथित होकर भगवान शिव ने देवी का शव कुंड से उठाकर उसको लेकर तीनों लोकों में ताण्डव नृत्य शुरू कर दिया। ताण्डव नृत्य शुरू होने से देवताओं ने सृष्टि की विनाश की आंशका पर भगवान विष्णु ने सती मोह को समाप्त करने के लिए अपने चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिया। मान्यता है कि सती के अंग से निकली ज्वाला इसी स्थान पर गिर कर पाताल लोक को चली गई।यहा गहराई में एक गड्ढा बन गया। पहले लोग इसी गड्ढे पर नारियल चुनरी,दीप, प्रसाद चढ़ाते रहें। इसी गड्ढे पर चबूतरा बनाकर इसे ढक दिया गया और मंदिर के अन्दर देवी प्रतिमा स्थापित कर दी गई। इसके पीछे बने कुएं की पूजा श्रद्वालु करते हैं। इस ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए श्रद्धालु स्थानीय व दूर दराज से आकर मंदिर पर अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा पाठ करते हैं।और कडाह मे रवे सूजी से हलुआ बनाकर उसको ज्वाला देवी को चढ़ाते रहें।श्रद्धालुओं की विशेष आस्था होने से मां ज्वाला सभी भक्तों का मनौती पूरी करती है और उनके कष्ट को दूर करती है।
मंदिर के व्यवस्थापक अमर चन्द्र गुप्ता ने बताया कि मंदिर पर श्रद्धालुओं के लिए मां ज्वाला के दर्शन की विशेष व्यवस्था रहती है। मां ज्वाला को चढ़ाने के लिए नारियल चुनरी प्रसाद की दूकाने मंदिर के पास स्थित है। महिला पुरूषों के लिए अलग कतार रहती है। शीतल पेयजल का इंतजाम रहता है।
आज प्रथम दिवस प्रातः ही भक्तो की भारी भीड़ पूजा अर्चना के लिए एकत्र हुई।
असगर अली
उतरौला
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