उतरौला बलरामपुर प्राइवेट स्कूलों की हर सत्र में बढ़ती फीस और कमीशन बाजी के चलते अभिभावक अपने आपको ठगा महसूस कर रहे है। निजी स्कूलों में चलने वाला कोर्स केवल चिन्हित दुकानों पर ही मिलता है।
बच्चों का भविष्य बनाने का सामान ऊंचे ही दामों पर कापी किताब स्टेशनरी यूनिफार्म देकर अभिभावकों की जेब धड़ल्ले से काटी जा रही है। बच्चों के भविष्य के लिए लोग परेशान अभिभावक उधार, कर्ज लेने के लिए पीछे नही हटते है।
शासन प्रशासन के द्वारा निजी स्कूलों में हो रही मनमानी पर अंकुश लगाने में सफल नही हो पा रहे है।अभिभावक अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलाने के चक्कर में अपने बजट से कहीं आगे निकल जाते हैं। जिसके चलते दूसरे के कर्जदार हो जाते हैं।और समय समय पर फीस नहीं दे पाते तो अभिवावक को अपमानित भी होना पड़ता है। स्कूल के प्रबंधक हर साल में फीस में बढ़ोत्तरी करते हुए नजर आ रहे हैं इसलिए आमजन का जीना मुहाल हो जाता है। कापी किताब का सेट इतना महंगा है कि उसे खरीदने में अभिभावकों के पसीने निकल जाते हैं। उधर शिक्षा विभाग के अधिकारी इस लूट पर चुप्पी साधे हुए है। भारी भरकम फीस के चलते कई बच्चे बड़े स्कूलों का मुंह तक नही देख पाते हैं।
कांग्रेस पार्टी के नगर अध्यक्ष शकील अहमद शाह एडवोकेट का कहना है कि ऐसे में उन बच्चों के भविष्य के बारे में सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। और फीस की सीमा निर्धारित होनी चाहिए। निजी स्कूलों की फीस कम से कम होनी चाहिए। जिससे गरीब व मध्यम वर्ग के अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिला सकें,और यह तभी संभव होगा जब निजी स्कूलों का कोर्स व यूनीफार्म पर कमीशन लेना बंद होगा।
असगर अली
उतरौला
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