जनपद के चेहरी स्थित आईटीएम उच्च शिक्षण संस्थान में विश्व होम्योपैथिक दिवस के अवसर पर होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के संस्थापक डा सैमुअल हैनिमैन को याद किया गया।
एक कार्यक्रम में होम्योपैथिक के महत्व, उपयोग और इतिहास के बारे में विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। डीएचपी के प्राचार्य डा धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जो मानती है कि बीमारी को जड़ से ठीक करती है। होम्योपैथी दवाओं द्वारा काफी सालों से बीमारियों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन कोरोना के बाद से लोग विश्वास और मजबूत होता गया एवं इसमें किसी तरह के साइड इफेक्ट की संभावना कम होती है। देशभर में किसी बीमारी के इलाज के लिए एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी ये चार तरह की चिकित्सा पद्धति अपनाई जाती है। सन् १७९६ के अंत में जर्मनी में इस चिकित्सा को विकसित किया गया था, जिसे आज भी कई यूरोपीय देश फॉलो कर रहे हैं। भारत में भी होम्योपैथी दवाओं से कई लोगों को बीमारियों को ठीक करने में मदद मिली है। इस अवसर पर डीएचपी विभाग की सहायक आचार्या डा मोनिका सिंह ने आज विश्व होम्योपैथी दिवस २०२४ का विषय “ होम्योपरिवार: एक स्वास्थ्य, एक परिवार” है। हर साल, यह दिन एक परिचालित थीम के साथ विचार व्यक्त किया जो प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है इस आयोजन के लिए संस्थान के निदेशक डा आर गोपाल ने सभी शिक्षकों कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में उपनिदेशक डीके सिंह, अधिष्ठाता अमित कुमार मिश्र, विभागाध्यक्ष वीके पटेल , प्राचार्य विशेष शिक्षा संकाय अवनीश कुमार मिश्र ,फ़ार्मेसी प्राचार्य डा मनीष श्रीवास्तव,प्राचार्य सुशील मिश्र,डिप्लोमा प्राचार्य संजय कुमार,कुलसचिव प्रो अमित कुमार श्रीवास्तव,नामांकन प्रमुख शाहबाज़ अहमद,डा आशुतोष कुमार आदि गणमान्य विशेष रूप से उपस्थित रहे।
उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिंदी संवाद न्यूज़
उत्तर प्रदेश
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