निमाडे परिवार के बच्चों ने मिलकर बनाये होलिका दहन के लिए भरगुलिये,बड़कुले


हेमंत मोराने, खरगोन। होलिका दहन के दौरान लकड़ी का प्रयोग करने से वायु प्रदूषण फैलता है। इससे बचने के लिए लोगों को गोबर के कंडे जलाकर होलिका दहन करना चाहिए, यही संदेश देने तिलक पथ निवासी गुरव समाज खरगोन के निमाडे परिवार के बच्चे वंशिका निमाड़े, गणेशा , अंजली  सवनेर , दर्शिता सवनेर ने  गांवों में पारंपरिक रूप से बनने वाले गोबर के भरगुलिये अपने हाथो से तैयार किए। वह होलिका दहन के लिए  तैयारियां कर रहे है । सभी बच्चें  होलिका दहन में उपयोग में आने वाली गोबर की वस्तुएं बनाने में जुटे है। गाय के गोबर से होलिका दहन के लिए छोटे कंडों की माला सहित अन्य आकृति वाली वस्तुएं बना रहे है। बच्चों के पिता मनीष निमाडे ने बताया कि बच्चों को गोवंश के गोबर से गोल गोल भरगुलिये, नारियल, चांद, सूरज व सितारे आदि विभिन्ना प्रकार की आकृति वाली वस्तुओं को बनाने का प्रशिक्षण भी दिया है। हेमन्त मोराने ने बताया कि बच्चों ने अपनी दादी श्रीमती सुमन निमाडे से गोबर से बड़बुलिया की आकृति बनाना सीखा और पारंपरिक जानकारी ली कि गोबर के छोटे कंडों से बनी माला को होलिका दहन से पूर्व होली को पहनाया जाता है। वहीं गोबर की अन्य वस्तुओं से सजावट की जाती है। यह एक पुरानी परंपरा है जिससे बच्चों को जोड़ा जा रहा है। बच्चों ने आकर्षक छोटे उपलों में मूंज की रस्सी डाल कर माला बनाई । एक माला में सात बड़कुले होते हैं। ऐसी मान्यता है कि होली में आग लगाने से पहले इस माला को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमा कर होली में डाल दिया जाता है। इससे सारी विपदाएं दूर हो जाती है। 

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