*बीत गये आजादी के 75 साल, फिर भी गाँव तक नहीं पहुँचा विकाश*
✍️ बहराइच ब्यूरो
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बहराइच। जब भारत आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है। तब भी हम गाँव देहात के रहने वाले लोग अपनी गलियों को कीचड़ मुक्त करने की बाँट जोह रहे है। हम कहने को मजबूर हैं, भारत जैसा सशक्त देश जहाँ गाँवों के विकास से राष्ट का निर्माण होता है। ऐसे भारत में हम सब सकून से नहीं बल्कि बरसात का मौसम आते ही कीचड़ में डूबकर जीना सीख लेते हैं। जहाँ देश एवं प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व हमारे महापुरुषो के सपनों को साकार करने मे पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं, पर आज भी कुछ जुम्मेदार लोग अपने कार्यों में उदासीनता दिखाते हुए गाँवों का विकाश नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच के ब्लॉक फखरपुर क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सभा राजा रेहुआ के मजरा हनुमान दास पुरवा का सामने आया है।
गाँव निवासी स्थानीय ग्रामीणों का कहना है, कि जिम्मेदार अधिकारयों के मनमानी से हम ग्रामीण नर्क भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
हमारे गाँव में एक भी सड़क ऐसी नही है जो बिना कीचड़ में पाँव रक्खे हम लोग अपने गँतब्य की तरफ जा सके।
*क्या कहते हैं ग्रामीण*
स्थानीय निवासी ग्रामीण सरपंच गेंदाराम यादव ने बताया कि
हमारे गाँव में लगभग बीस वर्ष से सभी सड़के खराब है,बरसात के मौसम में हम सभी को आने जाने में काफी समस्या होती है, महिलाएं और बच्चे गिरकर चोटिल हो जाते हैं।ग्रामीण कंधई लाल ने कहा कि रास्ते की समस्या को लेकर कई बार हम लोगों ने जुम्मेदार लोगों से शिकायत की लेकिन कहीं भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है।
*क्या बोली गाँव की महिलाएं*
हम सुना है कि सरकार बहुत विकास करत हैं लकिन हमरे गाँवमां कौनव काम नाई हुवत है, तौ हम का जानी कहाँ विकाश हुवत है,हमार जिंदगी कीचड़ मा बीती जात है, अब दिन रात चिंता रहत है कि हमार सबके बच्चे कैसे ई कीचड़ भरी जिंदगी गुजरिहय।
हम सब तौ चहला मा चलय का मजूबर हन का जानी कहाँ संड़कै बनत हैं, बरसात के समय हमरे गाँव मा अगर कौनव गर्भवती महिला के प्रशव पीड़ा शुरू होई जात है तौ एंबुलेंस गाँव तक नाई आय पावत है, ओहे चहला पानी मा मरीज का पैदल सड़क पर तक लई जायक परत है मजबूरी है भाई का करी।
अब देखना ये है कि जुम्मेदारों के द्वारा इन पीड़ित ग्रामीणों की सुध ली जायेगी या नहीं। खबर जन हित में जारी।
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