श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा काे लेकर भक्ति उत्साह गंगा की तरह हर तरफ बह रहा है। देश अब और इन्तजार नहीं कर सकता। 140 करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य को संजोने और उसका लाभ लेने का समय आ गया है। इसका सबसे अधिक श्रेय मोदीजी व योगीजी एवं श्रीराम भक्तों और उनकी आस्था को जाता है। जिससे सम्पूर्ण विश्व श्री राममय हो रहा है।
इस ऐतिहासिक अवसर डॉ उमेश शर्मा ने कहा कि आज़ सारे जगत में जय श्रीराम का घोष हो रहा है और मोदीजी व योगीजी एवं श्रीराम भक्तों द्वारा 22 जनवरी को पूरा विश्व श्रीराममय होकर स्वर्णिम अक्षरों से ऐतिहासिक दिन लिखा जा रहा हैं। भगवान राम के आशीर्वाद से अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। आज़ विदेशों में भी हमारी संस्कृति, सनातन सभ्यता को नमन कर रहें हैं। आज़ रामभक्त ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लोग 500 वर्षों के बाद अपने ईष्ट श्री राम को दोबारा उसी राजसी वैभव से सुशोभित होने की घड़ी नजदीक देख भाव विह्वल हो उठे हैं। प्रभु श्रीराम के त्रेतायुगीन वैभव को कलियुग में साकार करने के लिए मोदीजी - योगीजी का दिल से धन्यवाद। 500 वर्षों के बाद भारत की सनातनी सभ्यता के गौरव को लौटाने के लिए मोदीजी - योगीजी का आभार। हमारे सामने ही अयोध्या कितनी बदल गई, यह कोई नेता नहीं कर पाता, क्योंकि मोदीजी - योगीजी संत हैं, इसलिए ही वे यहां के मर्म को समझ पाए और यहां अभूतपूर्व बदलाव किया। आज़ हम भारतीय भी अपने राम को महलों में आता देख शब्दों से खुशी बयां नहीं कर पा रहे हैं, बल्कि इस ऐतिहासिक घड़ी में हमारी आंखें ही सब कुछ कहे कही जा रही हैं। और 500 वर्षों के पराभव काल के बाद अब प्रभु श्रीराम के त्रेतायुगीन उसी वैभव को कलियुग में एक बार फिर साकार होता देख सर्व समाज उल्लास से भर उठा है और सर्व समाज पुलकित हो उठे रोम-रोम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और योगीजी को दुआएं दे कर धन्यवाद व्यक्त कर रहा है। इस गौरव को लौटाने वाले दोनों नायकों पर प्रभु श्रीराम सदा सहाय हों और दसों दिशाओं में इनका यशोगान होता रहे। आज़ अपने इतिहास को जानना जरूरी है। आज इस इतिहास को समझना, इसके महत्व को समझना है। किस प्रकार हमारे संस्कार और संस्कृति पर हमला करके हमारे आत्मस्वाभिमान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की गयी। अब राम मंदिर बना है, 500 साल बाद हमारा आत्मसम्मान बढ़ा है। हमारे संस्कार और संस्कृति अभ्युदय हो रही है और इसलिए हमें 22 तारीख को तो उत्सव मनाना है, लेकिन इसके इतिहास की जानकारी भी हमें रखना है, क्योंकि यह क्षण बहुत लोगों की आहुति के बाद मिला है। आज़ आप राम मंदिर के इतिहास को समझकर अपना मान-सम्मान और स्वाभिमान बढ़ाएं। वहीं, आजकल कुछ राजनैतिक पार्टियों के समर्थक रह चुके पीठों के शंकराचार्य उल - जलूल बयानबाजी कर रहे हैं जो बिल्कुल न्यायसंगत नहीं है। इसीलिए ऐसे शंकराचार्यों का भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लोग खुलेआम विरोध कर रही हैं। लोग का कहना हैं कि यदि देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और मुख्यमंत्री योगीजी ना होते तो अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का मंदिर संभव न होता। यह 500 सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद आया हुआ हम सभी के लिए संयोग ही है। यह देश के लिए बहुत ही गौरवशाली दिन होगा। इसलिए राममंदिर के उदघाटन का अधिकार सिर्फ मोदी जी को हैं और अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के मंदिर का उद्घाटन करने का अवसर सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी को ही मिलना चाहिए। क्योकि लोकनायक मोदीजी और योगी जी ने पूरे देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया हैं।
श्री शर्मा ने आगे कहा कि 22 जनवरी, पिछले 500 सालों में देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होगा। यह करोड़ों देशवासियों के जीवन का सबसे बड़ा क्षण होगा। हम सब गौरवशाली हैं कि आजादी के अमृतकाल में अपने जीवन में श्रीराम मंदिर बनता हुआ देख रहे हैं। यह पूरे विश्व की मानवता के कल्याण का महायज्ञ है। भगवान श्रीराम का जीवन, उनका चरित्र एवं उनकी शासन व्यवस्था पूरी दुनिया के लिए आदर्श है। तभी तो रहीम को भी और बाबा साहेब अंबेडकरजी को भी श्रीराम प्रिय हैं। लेकिन, हम इस उल्लास में ये बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि रामलला 500 साल से अपने ही देश में अपने ही घर से बेदखल थे और सत्ता में बैठे कुछ लालची लोग तुष्टिकरण की राजनीति में इतने अंधे थे कि उन्होंने अपने आराध्य को भी भुला दिया था। ये अलग बात है कि कुछ देश विरोधी ताकतों को आज़ भी प्रभु श्रीराम से बहुत नफरत है। वास्तव में उन्हें देश से ही नफरत है, देश के विकास से नफरत है, देश की संस्कृति से नफरत है। एक पार्टी तो आजादी के 70 सालों तक केंद्र से लेकर राज्य तक सत्ता में था। क्यों उन्होंने भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताया और उन्होंने श्रीराम मंदिर निर्माण को अटकाने, लटकाने और भटकाने का प्रयास किया और वो आज़ भी वही काम कर रहें। नफ़रत से भरे इन लोगों को ये बात समझ नहीं आती कि प्रभु श्रीराम तो जन-जन के हैं। इसमें शामिल होने से किसी को कोई नहीं रोक रहा है, ये पूरे देश का कार्यक्रम है। सभी शामिल हों,प्रभु श्रीराम मंदिर का निर्माण और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पूरे भारत का महोत्सव है। इस ऐतिहासिक समय के साक्षी बनें, लेकिन वे ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि उन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति में उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली है। एक आम नागरिक होने के नाते हमें इन पर गुस्सा आता है जिसकी तुच्छ राजनीति के चलते मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को टेंट में रहने को मजबूर होना पड़ा, अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा। श्रीराम मंदिर पर राजनीति उन्होंने की जिन्होंने अदालत में प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को नकारा। उन्होंने राजनीति की जिन्होंने अदालत में श्रीराम मंदिर के विषय को टालने के हरसंभव जतन किए। राजनीति उन्होंने की जिन्होंने कारसेवकों पर गोलियां चलाईं। राजनीति वे कर रहे हैं जो प्रभु श्रीराम का अपमान कर रहे हैं। हां, रामभक्त शुरू से ही प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के आंदोलन में शामिल रहे हैं। इस मिट्टी में प्रभु श्रीराम के लिए कारसेवकों का लहू बहा है और वो तन-मन-धन से इस यज्ञ में शामिल हैं। महाभारत में कौरवों के पास अक्षौहिणी सेना थी लेकिन पांडवों के पास सत्य के प्रतीक केवल एक नारायण थे, जीत पांडवों की हुई। इसी तरह से हम आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सत्य की राह पर हैं। देश के विकास, देश की संस्कृति और देश की विरासत को सहेजने, सुरक्षित रखने के लिए कृतसंकल्पित हैं। इसलिए भले ही देश विरोधी सभी ताकतें इकट्ठा हो जाए लेकिन सत्य के रूप में जनता-जनार्दन श्री राम के साथ है, हमेशा जीत श्री राम की होगी। इसलिए हम इन सब बातों की ओर ध्यान नहीं देते। हमारा लक्ष्य एक है, प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सदैव श्री राम की विजय हो और सभी लोग मर्यादापुरषोत्तम श्री राम के राश्ते पर चले और 22 जनवरी को दीपावली मनाकर भगवान श्री राम का स्वागत करें।
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