उतरौला बलरामपुर भारत के विश्व विख्यात मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राना के मृत्यु की ख़बर सुनते ही शायरो व बुद्धजीवियों में शोक की लहर छा गई है। शायर उस्मान उतरौलवी ने मुनव्वर राना ने इस शैर को पढ़ा था कि "जिस्म पर मिट्टी मलेंगे, तो पाक हो जायेंगे, हम,
एै ज़मीं एक दिन तेरी ख़ूराक हो जायेंगे हम। पढ़कर उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि मुनव्वर राना ने अपनी शायरी के माध्यम से विदेशों में भी भारत का परचम बुलंद किया है। उन्होंने आम लोगों की बातों को बड़े अच्छे ढंग से अपनी शायरी में ढाल दिया, जो मौजुदा दौर में उनके बाद बड़ा मुश्किल सा लगता है। उनको याद करते हुए उतरौला के मशहूर उर्दू शायर शुजा उतरौलवी ने पढ़ा 'अब कहां जश्न में रौनक़ होगी,अब नहीं कोई मुनव्वर होगा। उन्हें याद करते हुए कहते हैं, कि मुनव्वर राना इतने बड़े शायर होने के बाद भी मुझ जैसे तालिम इल्म का हौसला बढ़ाते थे, कानपुर चमनगंज के एक मुशायरे में उन्होंने उठकर मुझे गले लगाया जो मेरी ज़िंदगी के सबसे हसीन पलों में से एक है। इस अवसर जमील उतरौलवी, राज़ उतरौलवी, मास्टर आमिर उतरौलवी, अनीस उतरौलवी, मास्टर ज़फर,डाक्टर एहसान ख़ान, डाक्टर अब्दुर्रहीम सिद्दीकी, प्रधानाचार्य अबुल हाशिम खान, समीर रिजवी, मास्टर अब्दुर्रहमान, एजाज मलिक, डाक्टर अंसार खान, मास्टर असलम शेर खान, मंजूर आलम , आदिल हुसैन आदि ने उन्हें खिराजे अकीदत के साथ पेश किया।
असगर अली
उतरौला
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