जौनपुर। मकर संक्रांति पर्व का स्वास्थ्य और कृषि से भी है जुड़ाव

जौनपुर। मकर संक्रांति का अपना विषेष महत्व है। धर्म, के साथ स्वास्थ्य और कृषि से भी इसका जुड़ाव है। मकर, एक राशि का बोध कराती है। अंतरिक्ष के उस पथ को जिस पर हमें सूर्य घूमता हुआ दीखता है उसे 12 राशियों में विभक्त किया हुआ है। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृषिक, धनु, मकर, कुम्भ, और मीन। जब भी सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, उस स्तिथि को संक्रांति कहते है।
            
14 या 15 जनवरी के आस पास सूर्य धनु से मकर में प्रवेश करता है , इसलिये इसे मकर संक्रांति कहते है। लगभग हर महीने एक संक्रांति आती है, परंतु मकर संक्रांति का एक अलग अर्थ होता है। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तर दिशा की तरफ घूमना शुरू कर देता है। इसे उत्तरायण कहता है, उत्तर दिशा में “आयान” अर्थात घूमना। ऐसे में ये बदलते मौसम का प्रतीक है, और खेती बाडी में इसका एक विशेष स्थान है। मकर संक्रांति इसीलिए पूरे देश में अलग अलग तरह से मनाई जाती है, परंतु हर जगह वहां उगने वाली फसलों का इसमें प्रयोग किया जाता है। कहा जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का योग बनता है, लेकिन इसके अलावा भी कई सारे बदलाव आते हैं। मकर संक्रांति का संबंध केवल धर्म से ही नहीं बल्कि अन्य चीजों से भी जुड़ा है, जिसमें वैज्ञानिक जुड़ाव के साथ-साथ कृषि से भी जुड़ाव रहता है।
           
मकर संक्रांति के बाद जो सबसे पहले बदलाव आता है वह है दिन का लंबा होना और रातें छोटी होनी लगती हैं। मकर संक्रांति के दिन सभी राशियों के लिए सूर्य फलदायी होते हैं, लेकिन मकर और कर्क राशि के लिए ज्यादा लाभदायक हैं। आर्युवेद में भी है मकर संक्रांति का महत्व है आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाएं कई बीमारियों की कारण बन सकती हैं। इसलिए प्रसाद के तौर पर खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने का प्रचलन है। तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है। इन सभी चीजों के सेवन से शरीर के अंदर गर्मी भी बढ़ती है। मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खाए जाने वाली खिचड़ी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। खिचड़ी से पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलने लगती है। इसके अलावा अगर खिचड़ी मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है साथ ही बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती है। बता दें कि एक संक्रांति से दूसरे संक्रांति के बीच के समय को सौर मास कहते हैं। मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे कई सारी शरीर के अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को गर्म रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तारायण में सूर्य के ताप शीत को कम करता है।

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