जौनपुर। खड़िया मिट्टी की गजक में किया जा रहा मिलावट
जौनपुर। सर्दी बढ़ने के साथ ही तिल से बने उत्पाद गजक रेवड़ी की मांग भी तेजी से बढ़ जाती है। इस मौसम में ये बेहद स्वास्थ्य वर्धक भी माने जाते हैं, लेकिन बाजार में मिलावट के बढ़ते मामलों के चलते ये उल्टा स्वास्थ्य के लिए खतरा भी बन सकते हैं। गजक में सेलम खड़िया से लेकर घास फूंस तक की मिलावट की शिकायतें सामने आ रही है।
इतना ही नहीं इनमें घटिया तिल और गुड़ के प्रयोग किए जाने की भी शिकायत है। जहां स्वास्थ्य के नुकसान पहुंचाने वाले मिलावटी तिल उत्पाद गंभीर चिंता का विषय है, वहीं खराब और पुराने तिल व सड़े हुए रंगीन गुड़ की मिलावट इसे और भी अधिक नुकसानदेह बना सकती है। गजक को आकर्षक और चमकीली दिखाने के लिए इसमें रंग और दूसरे कैमिकल मिलाने की भी आशंका बनी रहती है। साबुत तिल से बने उत्पाद जिनमें तिल के लड्डू, रेवड़ी और तिल पट्टी शामिल हैं, उनमें मिलावट की संभावना कम होती है। लेकिन गजक, कुटे तिल से बनी सामग्री और मूंग फली व ड्रायफ्रूट को गुड के साथ मिलाकर बनाए जाने वाले उत्पादों में मिलावट की संभावना अधिक है। ऐसे में लोगों को इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है।
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