उतरौला (बलरामपुर )       तहसील उतरौला अन्तर्गत विकास खण्ड उतरौला के ग्राम पंचायत फत्तेपुर में एक ऐसा गांव है, जहां पर आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी बिजली की रोशनी अभी तक गांव में  नहीं पहुंच सकी है।
बचपन से बिजली के बल्ब की रोशनी का इंतजार कर रहे ग्रामवासियों की जवानी भी ढल चुकी है। इसके बावजूद गांव के लोग विद्युतीकरण की राह ताक रहे हैं‌। बिजली की समस्या को लेकर गांव के लोग अधिकारियों व  जनप्रतिनिधियों से लेकर गुहार लगाकर थक चुके हैं। लेकिन बिजली के नाम पर उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन ही मिला है।उतरौला 
तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत फत्तेपुर के मजरा हैदरगढ़ , वजीरगंज गांव में विद्युतीकरण कराए जाने को लेकर यहां के लोग पूर्व में धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं। लेकिन उससे भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। दोनों गांव में लगभग 85 घर हैं। और 600 लोगों की आबादी है। उतरौला विकासखंड का यह गांव गैसड़ी ब्लॉक के घोपलापुर मिश्रौलिया गांव से सटा हुआ है। इन दोनों गांव से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित गैसड़ी ब्लाक के गांव में बिजली आपूर्ति सुचारू रूप से चल रही है। ग्राम वासी चिक्का ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व गांव में बिजली का खंभा लगाया गया था जो आज तक वैसे ही खड़ा है। 200 मीटर दूरी पर उपलब्ध बिजली और इस गांव के बीच एक बड़े सुंवाव नाला को बन्धा बताया जा रहा है। 
बिजली न होने से कोई अपने लड़की का बयाहना नहीं करना चाहता है। 
ग्राम वासी राम चरित्र ने बताया हैं कि हमारे गांव बिजली न होने से इस गांव में कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता है। बिजली न होने की जानकारी होते ही हर कोई अपने बहन बेटी का रिश्ता इस गांव में नहीं करना चाहता है। बड़े मुश्किल से इस गांव के लड़कों की शादियां हो पाती हैं। पढ़ाई में भी  बाधा उत्पन्न होती है। 
राम सजीवन कहते हैं कि इस गांव के पढ़ने वाले बच्चे बिजली न होने के कारण शाम को अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।और इस गांव बिजली के उपकरण न होने से बेकार पड़े हुए हैं 
कुछ लोगों के घरों में शादी विवाह में मिले उपहार स्वरूप टी वी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, इलेक्ट्रिक प्रेस, कूलर, पंखा समेत अनेक इलेक्ट्रिक उपकरण बेकार पड़े हुए हैं। गांव में बिजली न होने के कारण यह सभी इलेक्ट्रिक उपकरण हमारे लिए किसी काम के नहीं है।सैफुल्लाह ने बताया कि सूरज ढलते  और शाम होते ही इस गांव के लोग अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं क्योंकि गांव में अंधेरा छा जाता है।अंधेरे में बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है।संतोष कुमार का कहना  हैं कि जहां एक तरफ हमारा देश चांद पर पहुंच चुका है वहीं हमारे गांव में अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। राम सुरेश ने कहा, कि ग्राम पंचायत फत्तेपुर का यह दोनों मजरा राप्ती नदी के उस पार है। नदी के उस पार होने के कारण यह अपने ग्राम पंचायत फत्तेपुर से भी अलग है।
फत्तेपुर तक विद्युत आपूर्ति उतरौला विद्युत सब स्टेशन से संचालित है। लेकिन इसी ग्राम सभा के नदी के उस पार मजरा हैदरगढ़, वजीरगंज के निवासी लोग बिजली से वंचित हैं। इन दोनों मजरों में  85 घर और आबादी लगभग 600 की है। राम सुरेश बताते हैं कि बिजली की आस में हमारे गांव के पूर्वज भी गुजर चुके हैं और हम लोगों की भी काफी उमर हो चुकी है लेकिन अभी तक गांव में बिजली नहीं पहुंची। इसीलिए हमारे गांव में कोई भी मेहमान आना पसंद नहीं करता है।हृदय राम कहते हैं कि बिजली न होने के कारण हमारे गांव में किसी को भी सौभाग्य बिजली कनेक्शन योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।अपने गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर जा करके मोबाइल चार्ज करना पड़ता हैं प्रति मोबाइल 10 रूपए चार्जिंग के लिए देना  पड़ता हैं।रामकुमार ने बताया, कि गांव में कुछ लोगों ने सोलर पैनल और बैटरी की व्यवस्था कर रखी है जिससे उन लोगों को कुछ हद तक सहूलियत मिल जाता है। बरसात,शीतलहर अथवा सूरज न निकलने पर सोलर पैनल भी कार्य नहीं करता है, हम ग्रामवासी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
 इस गांव के बच्चों की पढ़ाई सिर्फ दिन में ही हो पाती है रात में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। इस मौके पर जगदंबा, वृंदा, शोभा, बाबूलाल मौर्य, हलीम, चैतू, अन्नन, मोहर्रम अली, नान्हू, मंगरे, मिनके आदि ग्राम वासियों ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से शीघ्र ही इस गांव में बिजली पहुंचाने की मांग की है।
असगर अली
उतरौला 

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