डॉक्टर से मंगवा लीजिए
इस्टीमेट, सरकार
देगी इलाज का पैसा : सीएम
*जनता
दर्शन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योगी ने सुनीं 300 लोगों
की समस्याएं
अधिकारियों को दिए त्वरित
व संतुष्टिपरक निस्तारण के दिए निर्देश
गोरखपुर, 10 दिसंबर।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता दर्शन में लोगों की समस्याएं सुनते हुए
अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जनता की समस्याओं पर पूरी गंभीरता और
संवेदनशीलता से ध्यान देकर उनका त्वरित, गुणवत्तापूर्ण और संतुष्टिपरक
निस्तारण कराएं ताकि किसी को भी परेशान न होना पड़े। जिन्हें इलाज में सरकार से
आर्थिक सहायता की आवश्यकता है तो उनके इस्टीमेट की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण
कराकर शासन को उपलब्ध कराया जाए। इस दौरान इलाज में आर्थिक सहायता की गुहार लेकर
पहुंची एक महिला को सीएम योगी ने आत्मीय संबल देते हुए कहा, डॉक्टर
से इस्टीमेट मंगवा लीजिए, इलाज का पैसा सरकार देगी।
गोरखपुर प्रवास के दौरान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दर्शन
में करीब 300
लोगों से मुलाकात की। एक-एक करके उनकी समस्याएं सुनीं और निस्तारण के लिए आश्वस्त
करते हुए उनके प्रार्थना पत्र संबंधित अधिकारियों को हस्तगत किए। सभी लोगों को
आश्वस्त किया कि उनके रहते किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हर समस्या
का समाधान कराया जाएगा।
इस दौरान सीएम ने
अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि हर पीड़ित के साथ संवेदनशील रवैया अपनाया
जाए और उसकी समस्या का समाधान कर उसे संतुष्ट किया जाए। इसमें किसी भी तरह की
कोताही नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं कोई जमीन कब्जा या दबंगई
कर रहा हो तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। हर पीड़ित की समस्या का
निस्तारण निष्पक्ष रूप से उसकी संतुष्टि के अनुरूप किया जाना सुनिश्चित होना
चाहिए।
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शिक्षित होने के साथ
ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण : सीएम योगी
परिश्रम और पुरुषार्थ का
कोई विकल्प नहीं : मुख्यमंत्री
कृतज्ञता के भाव से मिलती
है आगे बढ़ने की प्रेरणा : मुख्यमंत्री
महाराणा प्रताप शिक्षा
परिषद के संस्थापक सप्ताह सामरोह के समापन अवसर पर बोले मुख्यमंत्री
गोरखपुर, 10 दिसंबर।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि शिक्षा प्राप्त करना केवल पुस्तकीय ज्ञान
नहीं है। पुस्तकीय ज्ञान से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त की जा
सकती है। पर, जीवन
में विजेता बनने के लिए शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण है। ज्ञान, शिक्षण
संस्थानों में संवाद के वातावरण और अनुभव से अर्जित होता है।
सीएम योगी रविवार को
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर
आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यसभा के
उपसभापति हरिवंश नारायण व मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश
महाना का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम
और पुरुषार्थ का कोई विकल्प नहीं होता है। उद्देश्य के अनुरूप प्रतिबद्ध होकर समय
सीमा में कार्य करते हुए आगे बढ़ने पर लक्ष्य प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना, वसुधा का
नेता कौन हुआ,
भूखण्ड-विजेता
कौन हुआ,अतुलित
यश क्रेता कौन हुआ, नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ, जिसने न
कभी आराम किया,
विघ्नों
में रहकर नाम किया का उद्धरण देकर विद्यार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि
विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखते हुए परिश्रम करेंगे तो सफलता की नई
ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने कहा कि 1932 में जब युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी
महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तब उनका संकल्प था कि देश को
गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद कैसे नागरिक मिलने चाहिए। उसी संकल्प पर चलते हुए
आज यह परिषद चार दर्जन संस्थाओं के माध्यम से निरंतर शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों
को आगे बढ़ा रही है। सीएम योगी ने कहा कि जीवन में कृतज्ञता का भाव सदैव बने रहना
चाहिए। कृतज्ञता का भाव सकरात्मकता से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। इसको और
स्पष्ट करने के लिए उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के अपने गुरु के प्रति
प्रकट किए गए भाव के क्रियात्मक पक्ष का स्मरण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत
दिग्विजयनाथ जी के गुरु को अंग्रेज सरकार ने आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण
शिक्षक की नौकरी से निकाल दिया। तब गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने लिए महंत
दिग्विजयनाथ जी ने एक स्कूल खोला और गुरु को प्रधानाचार्य बना दिया। यही स्कूल
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधारशिला बना।
संस्थापक सप्ताह के मुख्य
समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण
व उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की
उत्कृष्ट संस्थाओं, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों
तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर जगदम्बा लाल
द्वारा लिखित पुस्तक 'पूर्वोत्तर के प्रहरी:नागालैंड' का
विमोचन भी किया गया। संस्थापक सप्ताह के समापन समारोह में स्वागत संबोधन महाराणा
प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो यूपी सिंह ने किया। इस अवसर पर दीनदयाल
उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन, महायोगी
गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी, सिद्धार्थ
विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव, गोरखनाथ
मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, कुशीनगर के सांसद विजय दूबे, विधायक
श्रीराम चौहान,
राजेश
त्रिपाठी, विपिन
सिंह, एमएलसी
डॉ धर्मेंद्र सिंह आदि की प्रमुख सहभागिता रही।
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एफडीआई के लिए ड्रीम
डेस्टिनेशन बना योगी का यूपी
2017 के बाद
प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर, इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी
में हुए सुधार ने यूपी के प्रति विदेशी निवेशकों की बदली धारणा
बदलते उत्तर प्रदेश को
लेकर विदेशी निवेशकों के सकारात्मक रुख की वजह से व्यापक स्तर पर यूपी में आ रहा
एफडीआई
वित्त वर्ष 2020 से लेकर
2022
के बीच विभिन्न माध्यमों से यूपी में आया करीब 10 हजार
करोड़ रुपए का एफडीआई
वित्त वर्ष 2023 में अब
तक 3372
करोड़ का आया एफडीआई, जीबीसी में करीब 3700 करोड़
रुपए का एफडीआई आने की संभावना
लखनऊ, 10 दिसंबर।
वर्ष 2017
में प्रदेश की कमान संभालने के बाद सीएम योगी ने लॉ एंड ऑर्डर से लेकर
इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर प्रदेश
का जो परिदृश्य बदला है, उसके चलते उत्तर प्रदेश न सिर्फ देश के अंदर
बल्कि दुनिया में निवेश के ड्रीम डेस्टिनेशन के रूप में उभरकर सामने आया है।
प्रदेश में आ रहा विदेशी निवेश (एफडीआई) इसका उदाहरण है कि बदलते यूपी के प्रति न
सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में भी धारणा बदली है। योगी सरकार ने विभिन्न स्रोतों
के माध्यम से वित्त वर्ष 2017 से 2022 के बीच
लगभग 10,000
करोड़ रुपए का विदेश निवेश आकर्षित किया था, जबकि 2023 में अब
तक 3372
करोड़ रुपए का विदेशी निवेश धरातल पर उतारा जा चुका है और अगली ग्राउंड ब्रेकिंग
सेरेमनी (जीबीसी) में 3700 करोड़ रुपए के एफडीआई आने की पूरी संभावना
है।
कई प्रमुख विदेशी निवेशक
उत्तर प्रदेश में कर चुके हैं निवेश
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक
निवेश के लिए नोडल विभाग इन्वेस्ट यूपी के डेटा के अनुसार, वित्तीय
वर्ष 2020
में उत्तर प्रदेश में 1738 करोड़ रुपए का एफडीआई आया था, जो देश
में आए कुल एफडीआई का 0.49 प्रतिशत था। वहीं 2021 में
उत्तर प्रदेश में 4861 करोड़ रुपए का एफडीआई आया। यह देश में आए कुल
एफडीआई का 1.10
प्रतिशत रहा। इसी तरह उत्तर प्रदेश ने वित्त वर्ष 2022 में 3357.57
करोड़ रुपए का एफडीआई आकर्षित किया, जो पूरे देश में कुल एफडीआई का 0.77 प्रतिशत
रहा। इन्वेस्ट यूपी के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में अब
तक यूपी में 3372.72
करोड़ रुपए का एफडीआई आ चुका है जो देश में हुए कुल एफडीआई का 0.92 प्रतिशत
है। इस दौरान कई प्रमुख विदेशी निवेशकों ने उत्तर प्रदेश में अपनी व्यावसायिक
योजनाओं का विस्तार किया है। इसमें सैमसंग (दक्षिण कोरिया), माइक्रोसॉफ्ट
(यूएसए), उबर
(यूएसए), पेप्सिको
(यूएसए), फेयरफॉक्स
(यूएसए), हिंदुस्तान
यूनिलीवर (यूके), एबी मौरी (यूके), एयर
लिक्विड (फ्रांस), सिफी (यूएसए), एसटीटी
ग्लोबल (सिंगापुर), एनटीटी (जापान), लुलु
ग्रुप (यूएई),
वीवो
(चीन), हायर
(चीन), होलीटेक
(चीन), सनवोडा
(चीन), लुआचुआंग
एलसीई (चीन) आदि शामिल हैं।
कई बड़े विदेशी निवेशक
यूपी में करने जा रहे अपनी परियोजनाओं का विस्तार
2023-24 में कुछ
प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निवेशक उत्तर प्रदेश में अपनी व्यावसायिक योजनाओं का विस्तार
करने जा रहे हैं। ऐसे निवेशकों से 3,700 करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद है। उदाहरण के
तौर पर यूके का सस्टीन लि. मुजफ्फरनगर में 500 करोड़
के निवेश से सस्टेनेबल प्रोटीनः चीनी से प्रोटीन की परियोजना स्थापित करने जा रहा
है। इससे 100
लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराएगा। इसी तरह यूएई का शराफ ग्रुप कानपुर में 1250 करोड़
की लागत से लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना भी करेगा। इससे 1250 लोगों
को रोजगार मिलेगा। यूएसए का पेरोस्फीयर इंडिया गौतमबुद्धनगर में 570 करोड़
के निवेश से नोवेल कोगुलोमीटर प्रणाली से संबंधित प्रोजेक्ट लगाएगा जिसमें
कोगुलोमीटर रीडर और क्यूवेट (डिस्पोजेबल घटक) दोनों शामिल हैं। इससे 225 लोगों
को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा।
विदेशी निवेश से हजारों
रोजगार का हो रहा सृजन
निवेशकों की यह सूची काफी
लंबी है। इसमें यूएसए का ही ई कुबेर वेंचर्स भी शामिल है जो श्रावस्ती में
फॉर्महाउस और इको टूरिज्म पर 82 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। इससे 500 लोगों को
रोजगार मिलेगा। सिंगापुर का इंटरनेशनल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स पीटीई लि. लखनऊ में
फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट पर 50 करोड़ निवेश करेगा, जिससे 200 लोगों को
रोजगार प्राप्त होगा। यूएसए का यूनिवेस्ट इंटरनेशनल लखनऊ में रेसीडेंशियल टाउनशिप
के लिए 550 करोड़
निवेश करेगा और 250 लोगों को रोजगार प्रदान करेगा, वहीं
आस्ट्रेलिया का एसजीसी सिटी सेंटर डेवलपर्स पीटीवाई लि. सिद्धार्थ नगर में 25 करोड़ के
निवेश के आईटी पार्क बनाएगा, जिससे 100 लोगों को
रोजगार मिलेगा। स्विट्जरलैंड का एडटिंगो इंटरनेशनल (बिग हार्ट्स) आगरा में 330 करोड़ से
फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाएगा, जिसमें 800 रोजगार
उपलब्ध होंगे। यूएई का डीपी वर्ल्ड कानपुर
नगर में लॉजिस्टिक पार्क के लिए 220 करोड़ रुपए निवेश करेगा और एक हजार लोगों को
रोजगार प्रदान करेगा तो जापान का फूजी सिल्वरटेक गौतमबुद्धनगर में 150 करोड़ के
निवेश से कंस्ट्रक्शन मैटेरियल का निर्माण करेगा। इससे 200 लोगों को
रोजगार मिलेगा। फूजी सिल्वरटेक उत्तर प्रदेश में एफडीआई पॉलिसी के तहत पहली लैंड
सब्सिडी पाने वाला भी उद्यम है।
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उत्तर प्रदेश मिलेट्स
पुनरोद्धार कार्यक्रम के अंतर्गत अनुदान के लिए सुनहरा अवसर उपलब्ध करा रही योगी
सरकार
मोटे अनाजों को बढ़ावा
देने के लिए श्रीअन्न महोत्सव व कार्यशाला का भी आयोजन कर चुकी है यूपी सरकार
विभिन्न योजनाओं के तहत 11 से 16 दिसंबर
तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं एफपीओ, किसान, उद्यमी
लखनऊ, 10 दिसंबरः
2023
को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
मार्गदर्शन में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास भी किए गए। वहीं
योगी सरकार भी श्रीअन्न व इससे जुड़े किसानों के उत्थान पर विशेष कार्य कर रही है।
मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए हाल में ही योगी सरकार ने श्रीअन्न महोत्सव व
कार्यशाला का भी आयोजन किया था। वहीं अब उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम
के अंतर्गत मिलेट्स बीज उत्पादन हेतु सीडमनी, मिलेट्स
प्रसंस्करण, पैकिंग
सह विपणन केंद्र, मिलेट्स मोबाइल आउटलेट एवं मिलेट्स स्टोर की
स्थापना के लिए योगी सरकार अनुदान देने का सुनहरा अवसर उपलब्ध करा रही है। इसके
लिए 11
दिसंबर दोपहर 12
बजे से 16
दिसंबर रात 12
बजे तक ऑनलाइन आवेदन/बुकिंग की जा सकती है। स्वयं सहायता समूह/कृषक उत्पादक
संगठन/उद्यमी/कृषकों के द्वारा मिलेट्स मोबाइल आउटलेट/मिलेट्स स्टोर में से किसी
एक के लिए ही आवेदन किया जाएगा।
मिलेट्स बीज उत्पादन के
लिए सीडमनी
मिलेट्स बीज उत्पादन हेतु
सीडमनी के तहत कृषक उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) आवेदन कर सकेंगे। इस पर प्रति एफपीओ
चार लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के तहत वे एफपीओ ही लाभ उठा पाएंगे, जिन्होंने खरीफ-2023 में
मिलेट्स के बीज का उत्पादन कराया हो और 100 क्विंटल मिलेट्स के विभिन्न
फसलों के बीज सही प्रक्रिया से निकालकर भंडारित कर लिया गया हो।
मिलेट्स प्रसंस्करण व
पैकिंग सह विपणन केंद्र
वहीं मिलेट्स प्रसंस्करण व
पैकिंग सह विपणन केंद्र के लिए भी उद्यमी व कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) आवेदन कर
सकते हैं। एफपीओ कम से कम तीन वर्ष पुराने हों और इनका 100 लाख
रुपये का टर्नओवर हो, वही पात्र माने जाएंगे। अनुदान के लिए अर्हता
डी.पी. आर. के अनुसार लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 47.50 लाख
रुपये होनी चाहिए।
मिलेट्स मोबाइल आउटलेट व
मिलेट्स स्टोर
मिलेट्स मोबाइल आउटलेट एवं
मिलेट्स स्टोर के लिए स्वयं सहायता समूह/कृषक उत्पादक संगठन/उद्यमी/कृषक आवेदन कर
सकते हैं। डी.पी. आर. के अनुसार मिलेट्स मोबाइल आउटलेट के लिए अधिकतम 10 लाख एवं
मिलेट्स स्टोर हेतु अधिकतम 20 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। विभाग की ओर से
तय पात्रता के अनुसार वह कम से कम तीन वर्ष पुराने एवं मोबाइल आउटलेट के लिए वाहन
तथा मिलेट्स स्टोर के लिए दुकान उपलब्ध हो। आवेदक संस्था के बैंक खाते में 10 लाख
रुपये की पूंजी होना भी अनिवार्य है।
आवेदन की प्रक्रिया
आवेदन के लिए पात्रता
सर्वे एवं आवेदन की पूरी प्रक्रिया विभागीय पोर्टल (www.agriculture.up.gov.in) पर
उपलब्ध है।
आवेदक द्वारा विभागीय
पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हेतु उपलब्ध लिंक पर विवरण भर कर सबमिट करना होगा।
रजिस्ट्रेशन का प्रिंट प्राप्त होने पर आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले
अभिलेखों की चेकलिस्ट भी प्राप्त होगी।
आवेदनकर्ता द्वारा
रजिस्ट्रेशन के प्रिंट को अन्य समस्त वांछित अभिलेखों सहित संबंधित जनपदीय उप कृषि
निदेशक कार्यालय में जमा किया जाएगा।
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दो वर्ष में 16 हजार
विदेशी श्रद्धालुओं ने काशी पुराधिपति के दर पर झुकाए शीश
इस अवधि में कुल करीब 13 करोड़
से अधिक भक्तों ने किए दर्शन
2021-23 के मध्य
सर्वाधिक विदेशी भक्त 2023 में आए काशी विश्वनाथ धाम
वाराणसी, 10 दिसंबरः
श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण 13 दिसंबर 2021 को
प्रधानमंत्री व काशी के सांसद नरेंद्र मोदी ने किया था। दो वर्ष में करीब 13 करोड़
भक्तों ने यहां आकर दर्शन किए। इनमें विदेशी भक्तों की भी काफी संख्या रही। दो
वर्ष में लगभग 16
हजार विदेशी श्रद्धालुओं ने काशी पुराधिपति के दर पर शीश झुकाए। श्री काशी
विश्वनाथ धाम विदेशी मेहमानों की भी श्रद्धा का केंद्र बन गया है। श्री काशी
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद लगभग 15930 से अधिक विदेशी मेहमानों ने काशी
विश्वनाथ धाम दर्शन के लिए बुकिंग कराई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां बाबा
के भक्तों की सुविधा व सुगमतापूर्वक दर्शन के लिए समय-समय पर निरीक्षण के दौरान
निर्देश देते रहते हैं। सीएम योगी का प्रयास है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को
किसी प्रकार की परेशानी न हो।
2023 में 2022 से
दोगुने से अधिक श्रद्धालु पहुंचे
नव्य व दिव्य श्री काशी
विश्वनाथ मंदिर भव्य स्वरूप लेने के बाद भारतीय व विदेशी भक्तों की संख्या नए
रिकॉर्ड कायम कर रही है। श्री काशी विश्वनाथ धाम व विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद्
के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि धाम के लोकार्पण (13 दिसंबर 2021) से
छह दिसंबर 2023
तक 15,930
से अधिक विदेशी भक्तों ने विश्वनाथ मंदिर के सुगम दर्शन के लिए बुकिंग कराई थी।
उन्होंने बताया कि पिछले साल (2022) की तुलना में इस साल इनकी बुकिंग
लगभग दोगुने से अधिक है।
दो वर्ष में करीब 13 करोड़
श्रद्धालुओं ने किया दर्शन
13 दिसंबर 2021 को
लोकार्पण से 6
दिसंबर 2023
तक काशी पुराधिपति के दरबार में रिकॉर्ड लगभग 12 करोड़ 92 लाख 24 हज़ार से
अधिक लोगों ने शीश नवाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का नतीजा है काशी में धार्मिक पर्यटन दिन
ब दिन नए आयाम छूता जा रहा है।
बॉक्स
श्री काशी विश्वनाथ धाम
में विदेशी भक्तों की उपस्थिति
दिसंबर 2021-- 40
1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 ------- 4540
1 जनवरी 2023 से 6 दिसंबर 2023 -11350
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7.5 लाख
करोड़ की 10
हजार से ज्यादा परियोजनाएं उतरेंगी धरातल पर
निवेश प्रस्तावों को धरातल
पर उतारने के लिए योगी सरकार ने कसी कमर, कई परियोजनाएं अंतिम चरण में
2022 से अब
तक उत्तर प्रदेश में निवेश सारथी पोर्टल पर 39.5 लाख
करोड़ से अधिक के 29 हजार निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए
2017 से 2022 के बीच
विभिन्न स्रोतों के माध्यम से योगी सरकार ने लगभग 4,12,000 करोड़
रुपए का निवेश आकर्षित किया
2018 में हुई
यूपी इन्वेस्टर्स समिट में मिले निवेश प्रस्तावों को भी ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह
के माध्यम से उतारा गया धरातल पर
लखनऊ, 10 दिसंबर।
जो कहा, सो
किया, उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि ऐसी ही है। वो जो कहते हैं, वो करते
हैं। 2017
में प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी ने प्रदेश में व्यापक पैमाने पर
निवेश का जो वादा किया, उसे लगातार निभा रहे हैं। पहले 2018 में
यूपी इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से मिले निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा गया
है तो अब 2023
में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से मिले निवेश प्रस्तावों को धरातल पर लाने
का प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में लगभग 7.5 लाख
करोड़ रुपए की 10,441
परियोजनाएं कार्यान्वयन के अंतिम चरणों में हैं। जल्दी ही ये परियोजनाएं धरातल पर
दिखाई देंगी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 के बीच
विभिन्न स्रोतों के माध्यम से लगभग 4,12,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित
किया है तो वहीं 2022 से अब तक प्रदेश सरकार ने निवेश सारथी पोर्टल पर 39.5 लाख
करोड़ रुपए से अधिक के 29 हजार निवेश प्रस्ताव प्राप्त किए हैं।
अंतिम चरण की प्रक्रिया से
गुजर रहे कई निवेश प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश देश और
दुनिया भर के निवेशकों के लिए एक शानदार इन्वेस्ट्समेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभर
रहा है। 2017
में सीएम योगी के सत्ता संभालने के बाद प्रदेश के परिदृश्य में जो बदलाव आया है, उसके
चलते यहां निवेश के नए-नए अवसर पैदा हुए हैं। योगी सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट के
माध्यम से जब-जब निवेशकों को उत्तर प्रदेश में अपने उद्यम लगाने के लिए
प्रोत्साहित किया है, उसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। योगी सरकार ने सिर्फ
निवेश आशय ही स्वीकार नहीं किए हैं, बल्कि उन्हें धरातल पर उतारने की अपनी
प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया है। योगी सरकार ने प्रदेश में निवेश आकर्षित
करने के लिए इसी वर्ष ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था, जिसमें
देश के साथ-साथ विदेशी निवेशकों ने भी लाखों करोड़ रुपए के निवेश के लिए योगी
सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। अब योगी सरकार इन निवेश
प्रस्तावों को जमीन पर लाने के लिए प्रयासरत है। इन निवेश प्रस्तावों में से कई
जमीन पर कार्य शुरू कर चुके हैं तो कई ऐसी परियोजनाएं हैं जो अंतिम चरण की
प्रक्रिया से गुजर रही हैं। जल्द ही ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के माध्यम से इन्हें
जमीन पर उतारा जाएगा।
2018
यूपीआईएस की परियोजनाएं उतरीं धरातल पर
योगी सरकार ने 2018 में
आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट (यूपीआईएस) में 4.28 लाख
करोड़ रुपए के 1045
निवेश
प्रस्ताव प्राप्त किए थे। इन प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए सरकार की ओर से
प्रदेश में तीन ग्राउंड-ब्रेकिंग समारोह का आयोजन किया गया। पहला ग्राउंड ब्रेकिंग
समारोह 2018 में
आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 61,000 करोड़
रुपए के निवेश की 81 परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया। वहीं 2019 में
दूसरे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के जरिए 65,000 करोड़ रुपए के निवेश की 250 से आधिक
परियोजनाओं को शुरू किया गया। 2022 में तीसरे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के माध्यम
से 80,000 करोड़
रुपए के निवेश की 1400 से अधिक परियोजनाओं को अमली जामा पहनाया गया। इन
ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के दौरान निवेशकों से किए गए वादे के अनुरूप उन्हें तमाम
सुविधाएं और परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई गई। इसके
अतिरिक्त 2017-22
के
बीच दायर औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन (आईईएम) पार्ट -2 की
स्थिति के अनुसार, 43,700 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 227 परियोजनाएं
कार्यान्वित की गई हैं। इसके अलावा, औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा अन्य भूमि
आवंटन के माध्यम से लगभग 95,500 करोड़ रुपए के निवेश को प्रारंभ
किया गया है और वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2022 के बीच
यूपी में 5.20
लाख
एमएसएमई इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिसमें 67,600 करोड़
रुपए का निवेश किया गया है
………………….
जाति का जहर ही देश की
गुलामी का कारण था: सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने पूर्व
ब्लॉक प्रमुख बाबू चतुर्भुज सिंह की प्रतिमा का किया अनावरण
डिग्री बांटने के अड्डे की
जगह विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का माध्यम बनें शिक्षण संस्थान: सीएम
बोले-कुछ लोग आज भी जाति
के नाम पर समाज को बांटना चाहते हैं
लखनऊ/गोरखपुर, 10
दिसंबर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
कहा कि जाति का जहर ही देश की गुलामी का कारण था। कुछ लोग आज भी जाति के नाम पर
समाज को बांटना चाहते हैं। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जाति के जहर को समाज में
घोलने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना पड़ेगा। इस
जहर से किसी का हित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में जो भी
व्यक्ति कार्य कर रहा है, उसे राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपने
नागरिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इससे ही आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार
हो सकेगी। सीएम योगी ने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थान डिग्री बांटने का अड्डा न
बनें, बल्कि
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का माध्यम बनकर उभरें।
सीएम योगी ने यह बातें
रविवार को जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बांसगांव के पूर्व ब्लॉक
प्रमुख बाबू चतुर्भुज सिंह की प्रतिमा के अनावरण के उपरांत आयोजित समारोह में
कहीं।
विपरीत परिस्थितियों से
जूझने की थी बाबू चतुर्भुज सिंह की प्रवृत्ति
उन्होंने कहा कि बाबू
चतुर्भुज सिंह की विपरीत परिस्थितियों से जूझने की प्रवृत्ति थी। वह वरिष्ठ
समाजसेवी थे। सुख-दुख में प्रत्येक व्यक्ति के साथ खड़े रहते थे। वह सम और विषम
परिस्थितियों में कार्य करते हुए जनहित से जुड़े हुए मुद्दे को प्रखरता के साथ आगे
बढ़ाने के लिए तत्पर रहते थे। सीएम योगी ने कहा कि जिस कालखंड में सरकार का
प्रोत्साहन कम था, उस समय बांसगांव क्षेत्र में डिग्री कॉलेज की
स्थापना एक सपना था।
शिक्षण संस्थानों को
दिखानी पड़ेगा मंजिल तक पहुंचने की राह
सीएम योगी ने कहा कि उस
समय जस्टिस केडी शाही के मार्गदर्शन में यहां पर बाबू चतुर्भुज सिंह ने इस कॉलेज
की स्थापना के दायित्व को अपने कंधों पर लिया। देखते ही देखते यहां पर महाविद्यालय
बना। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों से निकले छात्र-छात्राओं में अपने भविष्य
को लेकर भ्रम की स्थिति न हो। उनके सामने पहले से निर्धारित लक्ष्य हो। इसकी
जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों और अध्यापकों की है। उन्होंने कहा कि हर राह मंजिल तक
जरूर पहुंचती है। मंजिल तक पहुंचने की राह दिखाने का माध्यम हमारे शिक्षण
संस्थानों को बनना पड़ेगा। इसके लिए छात्र-छात्राओं को भी कठिन परिश्रम करना
पड़ेगा।
दुर्बलता का कारण बनेगा
शॉर्टकट का रास्ता
सीएम योगी ने
छात्र-छात्राओं को नसीहत देते हुए कहा कि कभी भी जीवन में लक्ष्य तक पहुंचाने के
लिए शॉर्टकट का रास्ता मत अपनाना। शॉर्टकट का रास्ता दुर्बलता का कारण बनेगा। यह
जीवन में स्थायित्व नहीं दे पाएगा। उन्होंने कहा कि विकास ही लोगों के जीवन में
परिवर्तन ला सकता है। विकास जब भी आता है तो तात्कालिक परेशानी तो होती है।
उदाहरणस्वरूप जब सड़क का निर्माण होता है तो अतिक्रमण हटाया जाता है। इससे कुछ समय
के लिए कुछ लोगों को परेशानी होती है, लेकिन लंबे समय तक उसका लाभ समाज
के प्रत्येक तबके को प्राप्त होता है।
सीएम ने छात्राओं को किया
सम्मानित
कार्यक्रम में सीएम योगी
ने जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया। साथ ही
परीक्षा में सर्वोच्च अंक लाकर स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं को सम्मानित
भी किया। इस दौरान पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह, भाजपा के
क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, विधायक श्रीराम चौहान, राजेश
त्रिपाठी, भाजपा
के जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह, भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष
कामेश्वर सिंह,
पूर्व
विधायक राघवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
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रामोत्सव 2024
आठ परिकल्पनाओं के आधार पर
भव्य स्वरूप ले रही प्रभु श्रीराम की अयोध्या
- अयोध्या
के प्राचीन वैभव को पुनर्प्रतिस्थापित करने में जुटी मोदी-योगी सरकार
- सांस्कृतिक, सक्षम, आधुनिक, सुगम्य, सुरम्य, भावात्मक, स्वच्छ
और आयुष्मान अयोध्या के रूप में डेवलप हो रही राम नगरी
- 178
परियोजनाओं पर डबल इंजन सरकार खर्च कर रही 30.5 हजार
करोड़ से अधिक धनराशि
- बेहतरीन
कनेक्टिविटी, आधुनिक
इंन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ ही सोलर सिटी बनने जा रही अयोध्या
लखनऊ, 10 दिसंबर।
कभी पृथ्वी की अमरावती कही जाने वाली और पवित्र सप्तपुरियों में से एक अयोध्या का
गुणगान वेद-पुराण सहित तमाम ग्रंथों में है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम की
जन्मभूमि अयोध्या की रचना स्वयं देवताओं ने की थी और यहीं से महाराज मनु ने पृथ्वी
पर मनुष्यों की दुनिया का सृजन किया था। हालांकि अरब-मुगल आक्रांताओं और ब्रिटिश
गुलामी काल खंड के लगभग हजार वर्ष में इस महान नगर की कीर्ति धूमिल पड़ गई, जिसे
पुनर्प्रतिस्थापित करने के लिए मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार तेजी से कार्य कर रही
है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवधपुरी के चतुर्दिक विकास के लिए
आठ परिकल्पनाओं के आधार पर कार्य हो रहे हैं, जिससे एक
बार फिर साकेतपुरी को समस्त ऐश्वर्यपूर्ण नगरी बनाने का सपना साकार होने लगा है।
2014 में
केंद्र में मोदी सरकार और 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद
से ही अयोध्या के चहुंमुखी विकास का खाका खींचकर मिशन मोड में कार्य शुरू हुआ। एक
के बाद एक लगभग 30.5 हजार करोड़ की 178
परियोजनाओं के जरिए अयोध्या को विश्वस्तरीय नगर के रूप में विकसित करने का संकल्प
अब सिद्धि तक पहुंचने जा रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
पहले दिन से ही अवधपुरी के वैभव को पुनर्प्रतिस्थापित करने के लिए जिन आठ
परिकल्पनाओं को ही आधार बनाकर कार्य करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिये थे, वह
मूर्तरूप होने लगा है।
क्या हैं ये आठ
परिकल्पनाएं
भगवान विष्णु के चक्र पर
स्थित साकेतपुरी को सांस्कृतिक अयोध्या, सक्षम अयोध्या, आधुनिक
अयोध्या, सुगम्य
अयोध्या, सुरम्य
अयोध्या, भावात्मक
अयोध्या, स्वच्छ
अयोध्या और आयुष्मान अयोध्या के रूप में धरातल पर उतारने का कार्य योगी सरकार तेजी
के साथ आगे बढ़ रहा है।
सांस्कृतिक अयोध्या : इस
परिकल्पना के अंतर्गत अवधपुरी का विकास भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में
विकसित किया जाना है। मठ, मंदिरों और आश्रमों को भव्य रूप प्रदान करना
हो या वैभवशाली नगर द्वारों का निर्माण, इसके अलावा मंदिर संग्रहालय जैसे
तमाम कार्य इसी परिकल्पना के आधार पर किये जा रहे हैं।
सक्षम अयोध्या : इस
परिकल्पना के अंतर्गत अयोध्या को पूरी तरह से आत्मनिर्भर नगरी के रूप में डेवलप
किया जा रहा है। जहां रोजी-रोजगार, पर्यटन, धर्म और
सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा।
आधुनिक अयोध्या : आजादी के
70
साल बाद तक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने वाली इस पवित्र नगरी को आज हर प्रकार की
आधुनिक सुविधाओं वाला नगर बनाया जा रहा है। स्मार्ट सिटी, सेफ सिटी, सोलर
सिटी, ग्रीन
फील्ड टाउनशिप जैसे तमाम योजनाएं इसी विचार के परिणाम स्वरूप आकार ले रही हैं।
सुगम्य अयोध्या : चाहे
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण हो, अयोध्या
धाम रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो या फिर सरयू को इनलैंड वाटरवे से जोड़ने का कार्य, योगी
सरकार अयोध्या तक पहुंच को हर प्रकार से सुगम्य बना रही है। इसके अलावा विभिन्न
पथों के जरिए भी इस पुण्यदायिनी नगरी तक आस्थावान आसानी से पहुंच सकेंगे।
सुरम्य अयोध्या : अयोध्या
के विभिन्न कुंडों, तालाबों और प्राचीन सरोवरों के सौंदर्यीकरण की बात
हो या पुराने उद्यानों का कायाकल्प और नये उद्यानों का निर्माण कार्य। या फिर
हेरिटेज लाइटों के जरिए शहर को तारों के जंजाल से मुक्ति दिलाकर सुंदर स्वरूप
प्रदान करना हो। सड़कों को फसाड लाइटिंग से जगमग करना और इन जैसी तमाम योजनाओं के
जरिए अवधपुरी को मनमोहक नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
भावात्मक अयोध्या : प्रभु
श्रीराम की जन्मभूमि और लीला स्थली से पूरी दुनिया के सनातनियों का भावनात्मक
जुड़ाव है। ऐसे में अवधपुरी के कण कण से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुड़ने का
भाव परिलक्षित होना चाहिए। इसे देखते हुए शहर की दीवारों, सड़क के
कनारे, चौराहों
को सांस्कृतिक रूप से सुसज्जित किया जा रहा है।
स्वच्छ अयोध्या : स्मार्ट
सिटी के रूप में स्वच्छ अयोध्या योगी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नगर में
साफ-सफाई से लेकर ड्रेनेज और सीवर सिस्टम पर अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं। पर्यटन
और धार्मिक आस्था के केंद्र के रूप में विकसित हो रही अयोध्या को देश की सबसे स्वच्छ
नगरी बनाने का संकल्प भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही ले लिया है।
आयुष्मान अयोध्या :
रोगियों को गुणवत्तापूर्ण व सुविधा आधारित चिकित्सीय सुविधा प्रदान करने के लिए
अयोध्या के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को पहले से काफी मजबूत किया गया है। यही नहीं
राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज एम्स द्वारा देश के पांच मेडकल कॉलेजों में से एक है
जहां आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा पर बड़े स्तर पर शोध कार्य भी हो रहा है।
रामाराज्य की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में योगी सरकार का लक्ष्य अयोध्या
को आयुष्मान नगरी के रूप में विकसित करना है।
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