मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उ0प्र0 राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक सम्पन्न
सड़क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु
को न्यूनतम करने के लिए ठोस प्रयास करने पर जोर
सड़क दुर्घटना में किसी की असामयिक मृत्यु अत्यंत दुःखद, इसे न्यूनतम करने
के लिए जागरूकता, शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर पर
फोकस करते हुए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता: मुख्यमंत्री
सड़क दुर्घटनाओं में कमी के दृष्टिगत वर्ष 2021 के सापेक्ष
वर्ष 2022 में उ0प्र0 तृतीय स्थान से चतुर्थ स्थान पर आ गया
आगामी 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक की अवधि
को ‘सड़क सुरक्षा पखवाड़े’ के रूप में मनाया जाए
उ0प्र0 सड़क दुर्घटना जाँच योजना का प्रभावी क्रियान्वयन जनपद एवं राज्य
स्तर पर समस्त सम्बन्धित विभागों द्वारा अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए
सड़क सुरक्षा की महत्ता के दृष्टिगत प्रत्येक जनपद में ए0आर0टी0ओ0
रोड सेफ्टी की तैनाती की जानी चाहिए, इस सम्बन्ध में पदों
के सृजन का प्रस्ताव यथाशीघ्र भेजा जाए
लखनऊ में ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की जाए
ट्रॉमा सेवाओं को और बेहतर करने के लिये गृह, परिवहन, पी0डब्ल्यू0डी0, एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ समन्वय बनाएं
गोल्डन आवर की महत्ता को समझें, घायल जितनी
जल्दी अस्पताल पहुँचेगा, क्षति उतनी ही कम होगी
ट्रॉमा सेंटर में अन्य सेवाओं के साथ साथ
ऑर्थोपेडिक और न्यूरो सर्जन की तैनाती जरूर हो
कानपुर, आगरा, मेरठ, झांसी, प्रयागराज तथा गोरखपुर मेडिकल
कॉलेज में कौशल विकास केंद्र की स्थापना का कार्य शीघ्र पूरा कराएं
ट्रैफिक नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दिया जाना चाहिए
स्कूली वाहनों/चालकों का नियमित अंतराल पर फिटनेस टेस्ट कराया जाए
लखनऊ: 02 दिसम्बर, 2023
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज यहां उनके सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक सम्पन्न हुई। इस अवसर पर उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु को न्यूनतम करने के लिए ठोस प्रयास करने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में शीत ऋतु का असर प्रारंभ हो चुका है। कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का मौसम है। इस अवधि में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सड़क दुर्घटना में किसी की असामयिक मृत्यु अत्यंत दुःखद है। इसे न्यूनतम करने के लिए हमें जागरूकता, शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर पर फोकस करते हुए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सर्वाधिक वाहन दुर्घटनाओं वाले शीर्ष 05 राज्यों में सर्वाधिक वाहन उत्तर प्रदेश में पंजीकृत हैं। प्रदेश में वाहनों की संख्या वर्ष 2011 में 1.33 करोड़ थी, जो वर्तमान में 4.55 करोड़ है। सतत जागरूकता के प्रयासों का ही असर है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी के दृष्टिगत वर्ष 2021 के सापेक्ष वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश तृतीय स्थान से चतुर्थ स्थान पर आ गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्गों पर दुर्घटनाओं में भी 02-02 प्रतिशत की कमी आयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़क दुर्घटना में होने वाली एक भी मृत्यु प्रदेश की क्षति है। यह अत्यंत दुःखद है। सर्वाधिक दुर्घटनाओं वाले शीर्ष 30 नगरों में विगत 03 वर्षों में सड़क दुर्घटना में औसत मृतकों की संख्या 20,990 प्रति वर्ष रही है। इसे न्यूनतम करने के लिए सरकार, प्रशासन और जनता सभी को मिलकर काम करना होगा। यातायात नियमों का पालन कराने के लिए चालान अथवा अन्य एनफोर्समेंट की कार्यवाही स्थायी समाधान नहीं है। हमें जागरूकता पर बल देना होगा। आगामी 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक की अवधि को ‘सड़क सुरक्षा पखवाड़े’ के रूप में मनाया जाए। गृह, परिवहन, पी0डब्ल्यू0डी0, बेसिक, माध्यमिक शिक्षा, एक्सप्रेस-वे/हाइवे, प्राधिकरण आदि के बेहतर समन्वय के साथ इस पखवारे को सफल बनाना होगा। इस सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार कर लें। अद्यतन यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ कठोरता करें। जरूरत के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस रद करने और वाहन सीज करने की भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने सड़क दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों की सही जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना जाँच योजना अधिसूचित की है। इस योजना के अन्तर्गत तीन या तीन से अधिक मृत्यु वाली दुर्घटना की अनिवार्य जांच जनपदीय दुर्घटना जांच समिति के माध्यम से की जानी है। इस व्यवस्था का प्रभावी क्रियान्वयन जनपद एवं राज्य स्तर पर समस्त सम्बन्धित विभागों द्वारा अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़क दुर्घटना के प्रमुख कारकों में खराब रोड इंजीनियरिंग के अलावा, ओवरस्पीडिंग, ओवरलोडिंग, सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग न करना और नशे की स्थिति में वाहन चलाना प्रमुख हैं। कानपुर नगर, आगरा, प्रयागराज, अलीगढ़, बुलन्दशहर, मथुरा जैसे बड़े शहरों में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। एक्सप्रेस-वे अथवा राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े इन शहरों को केंद्रित कर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें ड्राइविंग टेस्टिंग एवं ट्रेनिंग पर भी फोकस करना होगा। इसी उद्देश्य से 15 मण्डलीय जनपदों में ड्राइविंग टेस्टिंग एवं ट्रेनिग इंस्टिट्यूट (डी0टी0टी0आई0) निर्मित कराये गए हैं। मारुति सुजुकी के साथ अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, मथुरा एवं वाराणसी के डी0टी0टी0आई0 के ट्रैक ऑटोमेशन हेतु एम0ओ0ए0 हस्ताक्षरित हो चुका है। आगामी एक वर्ष में प्रदेश के सभी जनपदों में ड्राइविंग टेस्टिंग के ऑटोमेशन की शत-प्रतिशत व्यवस्था सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाए। सड़क सुरक्षा की महत्ता के दृष्टिगत प्रत्येक जनपद में ए0आर0टी0ओ0 रोड सेफ्टी की तैनाती की जानी चाहिए। इस सम्बन्ध में पदों के सृजन का प्रस्ताव यथाशीघ्र भेजा जाए। अन्य जहां कहीं मानव संसाधन की कमी हो उसे तत्काल पूरा करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वाहन चलाने वाले हर व्यक्ति को यातायात नियमों का अनुपालन करना होगा। इस बारे में जागरूकता और प्रवर्तन, दोनों की कार्यवाही की जाए। पहले जागरूक करें, पुनः उल्लंघन होने पर पेनाल्टी लगाएं फिर भी यदि उल्लंघन हो तो ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जाए। इस व्यवस्था को कड़ाई से लागू किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर ओवरस्पीड के कारण आए दिन दुर्घटनाओं की सूचना मिलती है। वर्ष 2022 के रिकॉर्ड के अनुसार एक वर्ष में हुईं सड़क दुर्घटनाओं में से 40 प्रतिशत में ओवर स्पीड कारण रहा। इसी प्रकार, गलत दिशा में वाहन चलाने के कारण 12 प्रतिशत और मोबाइल पर बात करने के कारण करीब 10 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं। इसमें सुधार सभी के सहयोग, सावधानी और जागरूकता से ही संभव है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा होमगार्डों की तैनाती भी की गई है। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप यातायात पुलिस के साथ होमगार्डों और पी0आर0डी0 जवानों की तैनाती की जाए। दुर्घटना की स्थिति में ‘आपदा मित्रों’ की सेवाएं ली जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यातायात विभाग द्वारा प्रदेश में लखनऊ में ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की जाए। साथ ही, डेटा एनालिटिक्स सिस्टम की स्थापना की कार्यवाही करें। प्रदेश में संचालित और प्रस्तावित सभी आई0टी0एम0एस0 को यूपी 112 से इंटीग्रेट किया जाए। इससे दुर्घटना व अन्य आवश्यकताओं के समय बेहतर तालमेल के साथ समय पर मदद मिल सकेगी। खराब रोड इंजीनियरिंग बड़ी दुर्घटनाओं का कारक बनती है। पी0डब्ल्यू0डी0, स्टेट हाइवे, एन0एच0ए0आई0 के मार्गों पर चिन्हित ब्लैक स्पॉट के अल्पकालिक और दीर्घकालिक सुधारीकरण के लिए जारी कार्य गुणवत्ता के साथ यथाशीघ्र पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्पीड ब्रेकर निर्माण करते समय लोगों की सुविधा का ध्यान भी रखें। स्पीड ब्रेकर कमरतोड़ू नहीं, टेबल टॉप हों। बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, मरीजों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े। खराब डिजाइनिंग की वजह से अक्सर लोग स्पीड ब्रेकर के किनारे से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं, जिससे दुर्घटना भी होती है। ब्लैक स्पॉट के सुधारीकरण, स्पीड मापन, त्वरित चिकित्सा सुविधा, सी0सी0टी0वी0 आदि व्यवस्था को और बेहतर करने की जरूरत है। सम्बन्धित प्राधिकरणों को इस दिशा में गम्भीरता से विचार करते हुए कार्य करना होगा। शोध-अध्ययन बताते हैं कि एक्सप्रेस-वे पर ज्यादातर दुर्घटनाएं भोर के समय में होती हैं। एक्सप्रेस-वे पर एम्बुलेंस, कैमरों, साइनेज और क्रेन की संख्या और बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। यहां पब्लिक यूटिलिटी और बेहतर किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़क दुर्घटना में जितनी जल्दी चिकित्सकीय सहायता मिल जाये, क्षति की आशंका उतनी ही कम हो जाती है। ट्रॉमा सेवाओं को और बेहतर करने के लिये गृह, परिवहन, पी0डब्ल्यू0डी0, एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ समन्वय बनाएं। एम्बुलेंस रिस्पॉन्स टाइम को और कम करने की जरूरत है। गोल्डन आवर की महत्ता को समझें। घायल जितनी जल्दी अस्पताल पहुँचेगा, क्षति उतनी ही कम होगी। ट्रॉमा सेंटर में अन्य सेवाओं के साथ साथ ऑर्थोपेडिक और न्यूरो सर्जन की तैनाती जरूर हो।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के 44 जनपदों में स्थित 47 मेडिकल कालेजों/चिकित्सा संस्थानों में स्थापित इमरजेंसी/ट्रामा केंद्रों पर इमरजेंसी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। के0जी0एम0यू0/एस0जी0पी0जी0आई0/ डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ/ उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई इटावा, राजकीय मेडिकल कालेज, आगरा, मेरठ, झांसी, प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर मेडिकल कालेजों/संस्थानों में पूर्ण रूप से समर्पित ट्राॅमा सेंटर संचालित हैं। इन्हें और विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है। जिन क्षेत्रों में ट्रॉमा सेवाओं का अभाव है, स्वास्थ्य विभाग द्वारा तत्काल आवश्यक प्रबंध किए जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट प्रोग्राम के अन्तर्गत आई0एम0एस0 बी0एच0यू0 में कौशल विकास केंद्र स्थापित और संचालित है। इसके साथ ही, कानपुर, आगरा, मेरठ, झांसी, प्रयागराज तथा गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कौशल विकास केंद्र की स्थापना का कार्य शीघ्र पूरा कराएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारी वाहन के चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण के समय नेत्र परीक्षण जरूर किया जाए। राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों के चालकों का नेत्र परीक्षण नियमित अंतराल पर किया जाए। इसके लिए परिवहन और चिकित्सा विभाग द्वारा समन्वय के साथ बेहतर कार्ययोजना तैयार करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़क आवागमन के लिए है, न कि पार्किंग के लिए। नगरों में पार्किंग की व्यवस्था को और सुदृढ़ करना होगा। स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि अवैध टैक्सी स्टैंड की समस्या का स्थायी समाधान करे। यह सुनिश्चित करें कि कोई तय स्थान के बाहर दुकान न लगाए। ई-रिक्शा चालकों के सत्यापन करते हुए उनका रूट तय किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। ट्रैफिक नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दिया जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में प्रातःकालीन प्रार्थना के दौरान बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए। माध्यमिक विद्यालयों में निबंध लेखन/भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हो। इससे बच्चों और किशोरों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। स्कूली वाहनों/चालकों का नियमित अंतराल पर फिटनेस टेस्ट कराया जाए।
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