राजकुमार गुप्ता
मथुरा ।जब पूरे हिंदुस्तान में मुगल सल्तनत का परचम लहरा रहा था तब जाट योद्धा मुगल सल्तनत के खिलाफ सिर उठाए खड़े थे। मुगल सल्तनत और जाट योद्धाओं के बीच युद्ध में कत्लेआम और फिर बदले के लिए अकबर के मकबरे पर हमले की दास्तान आज भी इतिहास के पन्नों में दफ्न है। जाट योद्धाओं ने अपने जांबाज सेनानी वीर गोकुला के बलिदान का बदला लेने के लिए आगरा के सिकंदरा स्थित अकबर बादशाह के मकबरे को तहस नहस कर दिया था। यहां तक कि उनकी कब्र खोदकर हड्डियां तक आग में झोंक दी थीं!
वीर गोकुला मुगल साम्राज्य में सशस्त्र क्रांति की जड़ों को जमाने वाला पहला जाट मुखिया था। गोकुला की प्रतिष्ठा और वीरता आगरा, मथुरा, सादाबाद, महावन परगनों सहित चारों ओर फैली हुई थीं। मुगल सम्राट औरंगजेब को यह बात नागवार गुजर रही थी। वीर गोकुला को अपने रास्ते से हटाने के लिए औरंगजेब खुद एक विशाल सेना और तोपखाने के साथ 28 नवंबर 1669 के दिन गोकुला से युद्ध करने को मैदान में उतर गया। कई दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में वीर गोकुला और उसके दादा सिंघा (उदय सिंह) को बंदी बना लिया गया। बंदी बनाए गए गोकुला और उसके दादा सिंघा को आगरा ले जाकर इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए दबाव बनाया गया, लेकिन दोनों ने इससे इनकार कर दिया. जनवरी 1670 में सरदार गोकुला और सिंघा को आगरा की कोतवाली के सामने एक ऊंचे चबूतरे पर बांधकर जल्लादों के हाथों टुकड़े-टुकड़े करवा दिया गया।वीर गोकुला की दर्दनाक हत्या से जाट वीर राजाराम में प्रतिशोध की आग भड़क उठी और उसने 18 साल बाद मार्च 1688 के अंतिम सप्ताह में सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे को घेर लिया। मकबरे में जुड़े अमूल्य रत्न सोने-चांदी के पत्थर को भी उखाड़ लिया और उन्हें छीन कर ले आए। बाकी अन्य हिस्सों को नष्ट कर डाला। राजाराम ने अकबर की कब्र खुदवाकर उसकी हड्डियों को आग के हवाले कर दिया। इस तरह योद्धा राजा राम ने वीर गोकुला की हत्या का बदला लिया।
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