वृन्दावन।सुनरख रोड़ स्थित हरे कृष्णा ऑर्चिड में चल रहे सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अंतर्गत श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने व्यासपीठ से सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को महारास, मथुरा गमन, कंस वध एवं भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि के विवाह का प्रसंग श्रवण कराया।
पूज्य महाराजश्री ने महारास लीला का प्रसंग श्रवण कराते हुए कहा कि महारास लीला भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत व परम रसमयी लीला है।जिसे उन्होंने असंख्य ब्रजगोपियों के हृदय की अभिलाषा को पूर्ण करने लिए व अभिमानी कामदेव के अभिमान को नष्ट करने के लिए श्रीधाम वृन्दावन के यमुना तट पर शरद पूर्णिमा की रात्रि को किया था।जिसमें उन्होंने अनेकों रूपों में अपनी बांसुरी बजाकर संपूर्ण विश्व को ब्रजमंडल की ओर आकर्षित किया।लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला के दर्शनों के लिए समस्त देवी-देवताओं के साथ भगवान शिव भी ब्रज गोपी का स्वरूप धारण कर श्रीधाम वृन्दावन पधारे थे।
आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की महारास में सम्मिलित ब्रजगोपियां कोई साधारण स्त्रियां नहीं थी।वो पूर्व जन्म के महान तपस्वी ऋषि-मुनि थे।जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए अनन्त युगों तक कठोर तपस्या की थी।इसीलिए ब्रजगोपियां भी भगवान श्रीकृष्ण के समान ही परम आनंदमयी व चिन्मयी थीं।
इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि विवाह की अत्यंत दिव्य व भव्य झांकी सजाई गई।साथ ही विवाह से संबंधित बधाईयों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।
महोत्सव में मुख्य यजमान ललित बेरीवाला, बिरम प्रकाश सुल्तानिया, रवि बेरीवाला, प्रदीप तोदी, दीपक गोयनका, निकुंज बेरीवाला, संजय बरलिया, महेश अग्रवाल, संजय अग्रवाल, किशन मोदी, विनाद केडिया, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, राजा पण्डित, पण्डित रविन्द्र, पण्डित उमाशंकर मिश्रा एवं डॉ. राधाकांत शर्मा, अमित पाठक आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know