राजकुमार गुप्ता 
वृन्दावन।मोतीझील स्थित आनंद वृन्दावन (अखंडानंद आश्रम) में आनंद वृन्दावन चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा आश्रम के संस्थापक स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज का 36 वां अष्ट दिवसीय आराधन महोत्सव विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ प्रारम्भ हो गया है।
महोत्सव का शुभारंभ महामंडलेश्वर कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज के द्वारा महाराजश्री के चित्रपट के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।इससे पूर्व आश्रम परिसर में श्रीमद्भागवतजी की दिव्य व भव्य शोभायात्रा अत्यंत धूमधाम व गाजे-बाजे के साथ निकाली गई।
महामंडलेश्वर कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज परम वीतरागी व निस्पृह संत थे।वे ज्ञान के अथाह भंडार थे।उन जैसी पुण्यात्माएं पृथ्वी पर कभी-कभार ही अवतारित होती हैं।यदि हम लोग उनके जीवन दर्शन को आत्मसात करलें,तो हमारे देश व समाज की अनेकों बुराइयां समाप्त हो सकती हैं।
तत्पश्चात आश्रम परिसर के नृत्य गोपाल मंदिर में समस्त भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कराते हुए महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि इस कलिकाल में मनुष्य के कल्याण के लिए यदि कोई सर्वोत्तम ग्रंथ है, तो वो श्रीमद्भागवत महापुराण है।यह मात्र एक ग्रंथ नहीं अपितु स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है।इसके श्रवण, वाचन एवं अध्ययन से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है।साथ ही उनके सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
महोत्सव में स्वामी डॉ. गोविंदानंद सरस्वती महाराज, संत महेशानंद सरस्वती महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, स्वामी आनन्दानंद महाराज, स्वामी संतोषानंद महराज, सेवानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कैलाशानंद महराज, स्वामी सुरेशानंद महराज, स्वामी चेतनानंद महाराज, विद्याधर महराज, आचार्य मनोज शुक्ला, ट्रस्टी कमल मित्तल (पंजाब), डॉ. राधाकांत शर्मा, रामवतार व रवि आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
आश्रम के पुस्तकलयाध्यक्ष संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि 5 दिसंबर से 11 दिसंबर पर्यन्त प्रातः 8:30 बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक नित्यप्रति संतों के प्रवचन होंगे।साथ ही 4 दिसंबर से 10 दिसंबर तक अपराह्न 3 से सायं 7 बजे तक आश्रम के अध्यक्ष महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज के द्वारा श्रीमद्भागवत की कथा का श्रवण कराया जाएगा।11 दिसम्बर को स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज की चरण पादुकाओं का पूजन-अर्चन संतों-भक्तों व श्रृद्धालुओं के द्वारा किया जाएगा।

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