राजकुमार गुप्ता 
गौ माता को समर्पित यह पर्व भाद्र मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कहीं-कहीं इसे बछ बारस भी कहा जाता है। इस दिन बछड़े वाली गाय की पूजा करने के साथ गौ रक्षा का संकल्प भी किया जाता है।

गौ माता को समर्पित यह पर्व कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कहीं-कहीं इसे बछ बारस भी कहा जाता है। इस दिन बछड़े वाली गाय की पूजा करने के साथ गौ रक्षा का संकल्प भी किया जाता है। 

गोवत्स द्वादशी का महत्व
मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान कृष्ण संतान की हर संकट से रक्षा करते हैं। वही योग्य संतान की प्राप्ति की मंगल कामना के लिए भी इस दिन व्रत पूजन किया जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से व्रती सभी सुखों को भोगते हुए अंत में गौ के जितने रोएं हैं, उतने वर्षों तक गौलोक में वास करता है। बछ बारस शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता यह है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद माता यशोदा ने इसी दिन गौ माता का दर्शन और पूजन किया था

पूजाविधि
इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद गाय (दूध देने वाली) को उसके बछडे़ सहित स्नान करवाएं। गाय और बछड़ों को नहलाने के बाद उन दोनों को नया वस्त्र ओढ़ाएं। फूलों की माला पहनाएं। गाय और बछड़े के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। मन ही मन कामधेनु का स्मरण करते रहें। बर्तन में चावल, तिल, जल, सुगंध मिलाकर, नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए गाय के पैर धोएं।
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥

इसके बाद गाय के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं, इसके बाद गौ माता की आरती करें और बछ बारस की कथा सुनें। गाय की पूजा कर,गाय को स्पर्श करते हुए क्षमा याचना कर परिक्रमा की जाती है । यदि घर के आस-पास गाय व बछड़े नहीं मिलें तो शुद्ध गीली मिट्टी के गाय-बछड़े बनाकर उनकी पूजा करने का भी विधान है ।ऐसी भी प्रथा है कि इस दिन महिलाऐं चाकू से कटा हुआ न तो बनाती है न खाती है।इस दिन गाय के दूध से बने उत्पाद जैसे दही, मक्खन आदि न खाएं।

कथा
जब पहली बार भगवान श्रीकृष्ण जंगल में गाय बछड़ों को चलाने गए थे। उस दिन माता यशोदा ने भारी मन से श्रीकृष्ण का श्रृंगार कर उन्हें गोचारण के लिए तैयार किया था। पूजा-पाठ के बाद गोपाल ने बछड़े को खोल दिया। उनके साथ ही माता यशोदा ने उनके बड़े भाई को भी भेजा और साथ में सख्त निर्देश दिया कि बछड़ों को चराने के लिए बहुत अधिक दूर तक जाने की कोई जरूरत नहीं हैं। आसपास ही गायों और बछड़ों को चराते रहना। इतना ही नहीं मां ने यह भी कहा कि कृष्ण को अकेले बिल्कुल भी न छोड़ना, क्योंकि वह अभी बहुत छोटा है। बलराम ने भी श्रीकृष्ण का पूरा ध्यान रखा और मां के निर्देशों का पालन करते हुए शाम को गायों और बछड़ों के साथ वह लौट आए। मान्यता है कि तब से गोपालक गोवत्सचारण की इस तिथि को गोवत्स द्वादशी के पर्व के रूप में मनाते हैं।।

धनतेरस महत्व क्या है आओ जानें

आचार्य BP ज्योतिष गुरूजी के अनुसार इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष में धनतेरस की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर 2023 शुक्रवार को है। धनतेरस पर कुछ खास वस्तुएं खरीदने का प्रचलन है। कई लोग धनतेरस पर जम कर खरीदारी करते हैं, जबकि यह जाना जरूरी है कि धन तेरस पर क्या खरीदना शुभ होता है या क्या खरीदना चाहिए, आईए जानते हैं-:

सोना- :
 इस दिन सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा भी है। सोना भी लक्ष्मी और बृहस्पति का प्रतीक है इसलिए सोना खरीदना अच्छा माना जाता है। 

वाहन
नया वाहन खरीदना शुभ मंगल कारक होता है।

चांदी -:
 इस दिन चांदी खरीदने का प्रचलन भी है। इस दिन चांदी के सिक्के खरीदना शुभ माना जाता है। 

बर्तन- :
इस दिन पुराने बर्तनों को बदलकर यथाशक्ति ताम्बें, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन खरीदते हैं। पीतल के बर्तन लक्ष्मी और बृहस्पति के प्रतीक हैं अत: इस दिन सोना नहीं खरीद पा रहे हैं तो पीतल के बर्तन जरूर खरीदें।

धनिया- :
इस दिन जहां ग्रागीण क्षेत्रों में धनिए के नए बीज खरीदते हैं वहीं शहरी क्षेत्र में पूजा के लिए साबुत धनिया खरीदते हैं। इस दिन सूखे धनिया के बीज को पीसकर गुड़ के साथ मिलकर एक मिश्रण बनाकर 'नैवेद्य' तैयार करते हैं ये स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
 
नए वस्त्र-:
इस दिन दीपावली पर पहनने के लिए नए वस्त्र खरीदने की परंपरा भी है।

लक्ष्मीजी-गणेशजी के चित्र-
इस दिन दीपावली पूजन हेतु लक्ष्मीजी और गणेशजी की मूर्ति या ‍चित्र खरीदते हैं। इस दिन श्रीराम दरबार का चित्र भी खरीद कर घर पर लाना शुभ माना जाता है।

पूजा- पाठ की सामग्री-
इस दिन पूजा पाठ की सामग्री भी खरीदना शुभ माना जाता है जैसे दीपक, गूगल,धूप, कपूर, चंदन, अष्टगंध, कुमकुम, सिंदूर, चावल इत्यादि।

धार्मिक ग्रंथ व किताबें-:
इस दिन धार्मिक ग्रंथ व किताबें जैसे श्रीमद् भागवत गीता/ श्रीरामचरितमानस/ श्री हनुमान चालीसा/ सुंदरकांड/ आरती संग्रह इत्यादि खरीदना भी अति शुभ माना गया है, इससे घर में सुख शांति बनी रहती है।

गोमती चक्र और कोड़ियां-:
इस दिन बच्चों की सुरक्षा के लिए गोमदी चक्र और धन समृद्धि बढ़ाने के लिए कोड़ियां खरीदते हैं।
 
झाड़ू-:
इस दिन झाडू खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे वर्षभर के लिए घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है। 

माला इत्यादि-:
इस दिन प्रतिदिन जप करने के लिए व गले में धारण करने के लिए तुलसी/ तुलसी कंठी माला/ रुद्राक्ष/ कमल गट्टे/ सेप्टिक/ मूंगा/  दक्षिणवर्ती शंख इत्यादि की माला खरीदना भी श्रेष्ठ माना गया है।

आयुर्वेदिक रसायन-:
धनतेरस का दिन श्रीधन्वंतरी जी का दिन भी है अतः इस दिन आयुर्वेदिक औषधियां व रसायन खरीदना भी शुभ माना गया है, इस दिन त्रिफला, आंवला चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, जायफल/ मुलेठी/ हरड़/ च्यवनप्राश, शहद इत्यादि खरीदना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है।

नई वस्तुएं-
धन त्रयोदशी के दिन जमीन/ प्लाट/ नया घर/ घर व किचन के लिए नई वस्तुएं/ वाहन इत्यादि खरीदने की भी परंपरा है।।।      राजकुमार गुप्ता हिंदी संवाद न्यूज़ मथुरा

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