जौनपुर। शोध के क्षेत्र में हमे विशेष जोर देने की जरूरत है- राज्यपाल
       
भविष्य की चुनौतियों के लिए जल सुरक्षा जरूरीःः राजेंद्र सिंह

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवेद्यनाथ संगोष्ठी भवन में विश्वविद्यालय का 27 वां दीक्षांत समारोह मनाया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति, राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल ने सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले स्नातक एवं स्नातकोत्तर मेधावियों को 81 स्वर्ण पदक प्रदान किए।
          
प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों में शिक्षा की सुचिता पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षक नियमित क्लास लें। विश्वविद्यालयों में जब प्रवेश, परीक्षा और परीक्षाफल की तिथि निर्धारित हो जाएगी तो शिक्षा व्यवस्था अपने आप सुधर जाएगी। महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में 73 फीसदी लड़कियां और 27 फीसदी लड़के गोल्ड मेडल पाएं हैं। इससे साबित होता है कि महिलाएं पुरुषों से आगे हैं। मैंने उत्तर प्रदेश में नौ विश्वविद्यालयों की कुलपति महिलाओं को बनाया। 
        
उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में हमे विशेष जोर देने की जरूरत है। पेटेंट न होने के कारण विश्व के अन्य देश हमसे आगे हो जा रहे हैं। उन्होंने जर्मनी को उदाहरण देते हुए कहा कि वहां गर्भवती माताओं को शिक्षा दी जाती है ताकि उसका बच्चा पैदा होने के बाद शिक्षित और संस्कारित बने। इस काम का प्रमाण हमारे यहां महाभारत काल का अभिमन्यु है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के डिग्रियों को डिजिलॉकर में रखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि उसके साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो पाए और साथ में ही वह इसके माध्यम से अपनी डिग्री को देश में कहीं से भी देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों को तकनीकी के क्षेत्र में विद्यार्थियों का भी उपयोग करना चाहिए, जिससे कि विश्वविद्यालय के विकास में उनकी भी सहभागिता हो। उन्होंने कहा कि गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए विश्वविद्यालयों को आंगनबाड़ी केंद्रों तक भेजा गया। प्रदेश में वृक्षारोपण कराने का उद्देश्य भी पर्यावरण को सुरक्षित करना है। हमें समस्याओं के मूल को पहचानना होगा और प्रयास करके इसका निदान करना होगा। 
          
दीक्षांत उद्बोधन में मुख्य अतिथि पीपल्स वर्ल्ड कमीशन ऑन ड्राउट एंड फ्लड, स्वीडन एवं तरुण भारत संघ,  राजस्थान के चेयरमैन जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने शिक्षा और विद्या के अंतर को समझाते हुए कहा कि शिक्षा पढ़ाई से होती और विद्या खुद लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को विद्या नीति की ओर ले जाने की जरूरत है। वैश्विक रूप से हमारे समक्ष अनेक पर्यावरण संबंधी समस्याएं परिलक्षित हो रही हैं। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें अच्छा इंसान बनने का संकल्प लेना होगा, जिससे वह अपने घर परिवार के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारियों को निभा सके। विद्यार्थियों की सेवा और प्रेम उन्हें पूर्ण बनाता है। 
        
कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बिन्दुवार बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लिये मेरे मन मस्तिष्क में एक संकल्प है इसे चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करना मेरी प्राथमिकता है। दीक्षांत समारोह की शुरुआत में शोभायात्रा निकाली गई, जिसका नेतृत्व कुलसचिव महेंद्र कुमार ने किया। शोभायात्रा में अतिथियों के साथ कार्य परिषद् एवं विद्या परिषद के सदस्य शामिल हुए।   संचालन डॉ. मनोज मिश्र ने किया। राज्यसभा सदस्य सीमा द्विवेदी, एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंसु, डा. रागिनी सोनकर, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह, प्रो. पंकज एल जानी, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. मानस पांडेय, प्रो. वंदना राय, वित्त अधिकारी उमाशंकर, परीक्षा नियंत्रक बीएन सिंहडा विजय सिंह, आदि शिक्षक और कर्मचारी मौजूद रहे।

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