उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज जनपद अयोध्या में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन के लिए ’उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण विधेयक, 2023’ का पारण विधान मण्डल से कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1985 के अन्तर्गत भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आई0डब्ल्यू0ए0आई0) का गठन किया गया है। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अन्तर्गत 111 राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किये गये हैं, जो देश के भिन्न-भिन्न राज्यों में अवस्थित है। फलस्वरूप असम एवं आन्ध्र प्रदेश में क्रमशः वर्ष 2018 एवं वर्ष 2023 में अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम का प्रख्यापन किया गया है। तटवर्ती प्रदेशों कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र एवं गुजरात में जलमार्ग प्राधिकरण के स्थान पर मेरीटाइम बोर्ड का गठन किया गया है। उत्तर प्रदेश में गंगा नदी, यमुना नदी एवं अन्य प्रमुख नदियों में कुल 11 राष्ट्रीय जलमार्ग स्थित है।
प्रदेश में अपेक्षाकृत सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने हेतु जल परिवहन एवं जल पर्यटन को विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश स्तर पर भी अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन किया जाना है। इस प्राधिकरण के गठन से देश में जल परिवहन, जल पर्यटन तथा पोत परिवहन एवं नौवहन के क्षेत्र में विकास, विनियमन एवं पर्यावरणीय सुरक्षा को विकसित किया जा सकेगा। प्रदेश के उत्पादों को बेहतर एवं सस्ती दरों पर देश के अन्य राज्यों तथा विदेशों में निर्यात का अवसर प्राप्त होगा।
प्रस्तावित प्राधिकरण के संघटन मे अध्यक्ष के पद पर मुख्यमंत्री जी द्वारा या तो परिवहन मंत्री को नामित किया जाएगा या अन्तर्देशीय जलमार्ग, शिपिंग एवं नेवीगेशन पोर्ट्स, मेरीटाइम अफेयर्स से सम्बन्धित मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों में से किसी एक को नियुक्त किया जायेगा। उपाध्यक्ष के पद पर अन्तर्देशीय जलमार्ग, शिपिंग एवं नेवीगेशन, पोर्ट्स, मेरीटाइम अफेयर्स से सम्बन्धित मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले एवं प्रोफेशनल अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति की जायेगी। वित्त, लोक निर्माण, परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन और वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव पदेन सदस्य होंगे। एक अन्य सदस्य भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आई0डब्ल्यू0ए0आई0) का प्रतिनिधि होगा, जिसे आई0डब्ल्यू0ए0आई0 के अध्यक्ष द्वारा नामित किया जायेगा। परिवहन आयुक्त, उ0प्र0 प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे।
प्रस्तावित विधेयक में प्राधिकरण के सक्षमतापूर्वक एवं निर्बाध संचालन हेतु उनकी शक्तियाँ एवं कार्य, निधि का गठन, परिसम्पत्तियों एवं देनदारियों का स्थानान्तरण, शुल्कों और प्रभारों का उद्ग्रहण और संग्रहण एवं बजट आदि उपबन्धों का समुचित प्राविधान किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद के गठन हेतु उत्तर प्रदेश श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद विधेयक, 2023 को विधान मण्डल में पुरःस्थापित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की नगरी के रूप में अयोध्या देश एवं विदेश में रहने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देशी एवं विदेशी पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। वर्तमान लोकप्रिय सरकार द्वारा अयोध्या में पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के लिए उच्चस्तरीय पर्यटक अवस्थापना सुविधा उपलब्ध कराने एवं अयोध्या की समस्त प्रकार की सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय तथा स्थापत्य सम्बन्धी विरासत की सौंदर्यपरक गुणवत्ता को परिरक्षित, विकसित तथा अनुरक्षित करने की योजना तैयार करने, ऐसी योजना के क्रियान्वयन का समन्वय एवं अनुश्रवण करने और क्षेत्र में एकीकृत पर्यटन विकास, विरासत संरक्षण एवं प्रबन्धन हेतु संगत नीतियां विकसित करने हेतु उत्तर प्रदेश श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद का गठन किया जाएगा।
प्रायोजना के क्रियान्वयन से अयोध्या की पहचान अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगी तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश श्री देवीपाटन धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन हेतु उत्तर प्रदेश श्री देवीपाटन धाम तीर्थ विकास परिषद विधेयक, 2023 को विधान मण्डल में पुरःस्थापित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
देवीपाटन धाम की समस्त प्रकार की सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय तथा स्थापत्य सम्बन्धी सौन्दर्यपरक गुणवत्ता को परिरक्षित, विकसित तथा अनुरक्षित करने की योजना तैयार करने, ऐसी योजना के क्रियान्वयन का समन्वय एवं अनुश्रवण करने और क्षेत्र में एकीकृत पर्यटन विकास तथा विरासत संरक्षण एवं प्रबन्धन हेतु संगत नीतियां विकसित करने, जिला बलरामपुर के किसी विभाग/स्थानीय निकाय/प्राधिकरण को देवीपाटन क्षेत्र के विरासतीय संसाधनों को प्रभावित करने वाली या सम्भावित रूप में प्रभावित करने वाली किसी योजना, परियोजना या किसी विकासगत प्रस्ताव के सम्बन्ध में परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये श्री देवीपाटन धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों का उपबन्ध करने के लिये उत्तर प्रदेश श्री देवीपाटन धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन किया जाना प्रस्तावित है।
प्रायोजना के क्रियान्वयन से देवीपाटन धाम की पहचान अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगी तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
मंत्रिपरिषद ने शुक तीर्थ क्षेत्र परिषद के गठन हेतु विधेयक को विधान मण्डल में पुरःस्थापित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
शुक्रताल धाम की समस्त प्रकार की सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय तथा स्थापत्य सम्बन्धी विरासत की सौन्दर्यपरक गुणवत्ता को परिरक्षित करने, विकसित करने तथा अनुरक्षित करने की योजना तैयार करने, ऐसी योजना के क्रियान्वयन का समन्वय एवं अनुश्रवण करने और क्षेत्र में एकीकृत पर्यटन विकास तथा विरासत-संरक्षण एवं प्रबन्धन हेतु संगत नीतियां विकसित करने, जिला मुजफ्फरनगर के किसी विभाग/स्थानीय निकाय/प्राधिकरण को शुक्रताल क्षेत्र के विरासतीय संसाधनों को प्रभावित करने वाली या सम्भावित रूप में प्रभावित करने वाली किसी योजना, परियोजना या किसी विकासगत प्रस्ताव के सम्बन्ध में परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये शुक तीर्थ क्षेत्र परिषद का गठन करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों का उपबन्ध करने के लिए शुक तीर्थ क्षेत्र परिषद का गठन किया जाना प्रस्तावित है।
प्रस्तावित परिषद के गठन से शुक्रताल की पहचान अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगी तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या की तहसील सदर के ग्राम माझा जमथरा की नजूल भूमि गाटा संख्या-57 मिनजुमला में भारतीय मन्दिर वास्तुकला संग्रहालय की स्थापना हेतु 25 एकड़ भूमि का स्वामित्व पर्यटन विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
पर्यटन के लिये महत्वपूर्ण धरोहरों के मामले में उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। भारत में घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वनसम्पदा की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं विद्यमान हैं।
अयोध्या पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है। अयोध्या को साकेत, रामनगरी व कोशल नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से यह नगर लगभग 135 किलोमीटर दूरी पर लखनऊ-गोरखपुर 4 लेन राजमार्ग पर स्थित है। यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है।
इस संग्रहालय की स्थापना से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा व सरकार को राजस्व प्राप्ति भी होगी।
मंत्रिपरिषद ने संस्कृति विभाग के अधीन दिनांक 18 अगस्त, 1986 से संचालित अयोध्या शोध संस्थान को अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करते हुए ‘अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान’ के रूप में विकसित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की अवतरण स्थली अयोध्या की प्रसिद्धि वैश्विक स्तर पर है। सनातन संस्कृति के मूलाधार एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना हेतु श्रीराम को सम्पूर्ण विश्व में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है।
जनपद अयोध्या में अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना से सम्पूर्ण विश्व में रामकथा साहित्य पर गम्भीर अध्ययन एवं शोध का कार्य किया जाएगा।
वैश्विक स्तर पर रामलीला के मंचन के दृष्टिगत सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्रम में उन देशों की रामलीला का मंचन अयोध्या में तथा अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत का प्रचार-प्रसार सम्पूर्ण विश्व में किया जाएगा। श्रीराम के आदर्शों एवं व्यक्तित्व पर आधारित रामलीला विश्व के लगभग 40 देशों में आयोजित की जाती है।
अन्तरराष्ट्रीय रामलीला मंचन से जुड़े हुए कलाकारों को एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित होने तथा उन्हें अन्तरराष्ट्रीय स्तर के मंच प्रदान किये जाने का कार्य किया जायेगा।
सम्पूर्ण विश्व को एक सूत्र में पिरोने का एक मात्र माध्यम सांस्कृतिक एकता है, जो रामलीला/रामायण परम्परा के माध्यम से भली-भांति परिपूर्ण किए जाने में सहायक होगा। इस कला से जुड़े लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।
अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के शोध साहित्य को कम से कम मूल्य पर सर्वसाधारण को सुलभ कराया जाएगा। संस्थान को अधिक प्रभावशाली बनाये जाने के दृष्टिगत इसे देश एवं विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थाओं से एम0ओ0यू0 के माध्यम से जोड़ा जाएगा, ताकि इससे अन्य विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों को भी जोड़ा जा सकेगा। रामकथा एवं रामायण परम्परा से जुड़े विद्वानों एवं महापुरुषों/महात्माओं/संतों के व्याख्यान व प्रवचन आदि से इस परम्परा को अक्षुण्ण बनाया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद हाथरस के ’लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज’ का प्रान्तीयकरण किए जाने एवं तत्सम्बन्धी अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी, हाथरस द्वारा लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज, जिला कासगंज का प्रान्तीयकरण किये जाने हेतु प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया है। लक्खी मेले का आयोजन प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) से पूर्णिमा तक लगभग 15 दिनों तक चलता है।
भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के जन्म दिवस-भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की छठ वाले दिन, इस मेले में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या लाखों में पहुँच जाती हैं। मेले में जनपद हाथरस के आस-पास के अन्य जनपदों के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक बड़ी संख्या में प्रतिभाग करते हैं।
इस मेले का स्वरूप अन्तरजनपदीय है तथा इस मेला क्षेत्र की सीमा उत्तर में नगला बेलनशाह, दक्षिण में मोहल्ला सीयल, पूर्व में आबादी नगला चौबे एवं पश्चिम में आबादी मोहल्ला सीयल है।
जनपद हाथरस के ’लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज’ का आयोजन वर्तमान समय में जिलाधिकारी हाथरस एवं नगर पालिका परिषद हाथरस द्वारा कराया जाता है।
इस मेले का प्रान्तीयकरण हो जाने के बाद इसका प्रबन्धन जिलाधिकारी, हाथरस द्वारा किया जाएगा। इस मेले के आयोजन पर होने वाले व्ययभार का वहन शासन द्वारा धनराशि की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या के ‘मकर संक्रान्ति मेला’ एवं ‘बसंत पंचमी मेला’ तथा जनपद बुलन्दशहर के ‘कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला अनूपशहर’ का प्रान्तीयकरण किए जाने एवं तत्सम्बन्धी अधिसूचना निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि जिलाधिकारी अयोध्या एवं बुलन्दशहर द्वारा क्रमशः जनपद अयोध्या में ‘मकर संक्रान्ति मेला एवं बसंत पंचमी मेला’ तथा जनपद बुलन्दशहर के कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला, अनूपशहर’ का प्रान्तीयकरण किए जाने हेतु प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया है।
मकर संक्रान्ति मेला प्रतिवर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से प्रारम्भ होकर सप्तमी तक 05 दिनों तक आयोजित होता है। बसन्त पंचमी मेला प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया से प्रारम्भ होकर सप्तमी तक 05 दिनों तक आयोजित होता है। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला, अनूपशहर’ प्रतिवर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रारम्भ होता है तथा मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तक लगभग 10 दिनों तक चलता है।
इन मेलों का स्वरूप अन्तरजनपदीय है। मकर संक्रान्ति मेला एवं बसन्त पंचमी मेला का सीमा क्षेत्र नगर निगम अयोध्या का सम्पूर्ण क्षेत्र है। मेला अवधि में गुप्तारघाट से अयोध्या तक सम्पूर्ण नगर निगम अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला क्षेत्र की सीमा उत्तर-पश्चिम में गंगा नदी की मुख्य धारा दक्षिण-पश्चिम में अलीगढ़-अनूपशहर सड़क पर अचलपुर के बम्बा के पुल तक, पूर्व दिशा में बाबा मस्तराम की समाधि तक एवं पश्चिम दिशा में अनूपशहर-बुलन्दशहर सड़क पर स्थित गांधी शिक्षा निकेतन करनपुर खसरा नं0-136 से मन्दिर छोटी देवी जी खसरा नं0-66 जाफराबाद उर्फ गंगाबाद खादर है।
इस मेले का प्रान्तीयकरण हो जाने के बाद इसका प्रबन्धन सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा किया जाएगा। इस मेले के आयोजन पर होने वाले व्ययभार का वहन शासन द्वारा धनराशि की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद वाराणसी के देव दीपावली मेला का प्रान्तीयकरण किए जाने एवं तत्सम्बन्धी अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि जिलाधिकारी, वाराणसी द्वारा ’देव दीपावली मेला’ जिला वाराणसी का प्रान्तीयकरण किए जाने हेतु प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया है। देव दीपावली मेले का आयोजन प्रतिवर्ष कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि काशी में दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर के आतंक से सभी को भयमुक्त कराने के अवसर पर देवताओं द्वारा भगवान शिव की आराधना में महाआरती का आयोजन किया गया, जिसे कालान्तर में देव दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा। ऐतिहासिक मान्यता है कि देव दीपावली के आयोजन का शुभारम्भ 18वीं सदी ई0 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा सर्वप्रथम पंचगंगा घाट पर हजार दीप युक्त प्रस्तर स्तम्भ निर्मित करवाकर किए जाने से माना जाता है, जो कालान्तर में काशी नरेश और स्थानीय जन सहयोग से वृहद से वृहत्तर होता गया।
देव दीपावली मेले का स्वरूप अन्तरराज्यीय एवं अन्तरराष्ट्रीय है। इस मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु/पर्यटक प्रतिभाग करते हैं।
प्रस्तावित देव दीपावली मेला, जनपद वाराणसी में लगभग 08 किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत गंगा तट के दोनों तरफ और नगर के अनेक प्रसिद्ध कुण्डों, तालाबों में आयोजित किया जाता है। देव दीपावली मेले का आयोजन वर्तमान समय में जिलाधिकारी, वाराणसी एवं नगर निगम वाराणसी द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से कराया जाता है। इस मेले का प्रान्तीयकरण हो जाने के बाद इसका प्रबन्धन जिलाधिकारी, वाराणसी द्वारा किया जाएगा। इस मेले के आयोजन पर होने वाले व्ययभार का वहन शासन द्वारा धनराशि की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद महराजगंज की तहसील निचलौल के ग्राम रामचन्द्रही में ईको-टूरिज्म हेतु उपलब्ध लगभग 15 एकड़ सीलिंग की भूमि के गाटा संख्या-309 में
1.702 हे0, 310 में 0.334 हे0, 311 में 2.500 हे0, 300 में 0.559 हे0, 274 में 1.000 हे0, कुल 6.095 हे0 भूमि को पर्यटन विकास परियोजना के निर्माण हेतु पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तान्तरण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में लगभग 16,620 वर्ग कि0मी0 के वन क्षेत्र के साथ अनेक अति सुन्दर परिदृश्य, वन-विस्तार, बहती नदियों और लुभावने सुन्दर झरनों और बड़ी संख्या में लुप्तप्राय पक्षियों और जानवरों की उपलब्धता है। उत्तर प्रदेश के 11 वन्य जीव विहार में से एक सोहगीबरवा वन्य जीव विहार है। यह उत्तर प्रदेश में बाघों के आवासों में से एक है।
सोहगीबरवा से लेकर बखिरा तक फैले वन्य जीव विहार में टाइगर, पैंथर, चीतल, जंगली बिल्लियां, सांभर, हिरन आदि जीव पाये जाते हैं। सोहगीबरवा वन्य जीव अभयारण्य उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में है। यह वन्य जीव अभयारण्य 428.02 वर्ग कि0मी0 क्षेत्र में फैला है तथा गन्डकी नदी के पश्चिम तट पर स्थित है।
नेपाल सीमा के इस प्रमुख वन्य जीव विहार को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की उत्तर प्रदेश सरकार की योजना प्रस्तावित है। सोहगीबरवा वन क्षेत्र को 07 वन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इसके तहत पकड़ी, मधवालिया, लक्ष्मीपुर, उत्तरी चौक, दक्षिणी चौक, सियोपुर और निचलौल पर्वतमाला में 21 घास के मैदान सम्मिलित हैं। अभयारण्य बाघों सहित विविध वनस्पतियों और जीवों का घर है।
मंत्रिपरिषद ने जनपद सोनभद्र की तहसील रॉबर्ट्सगंज के 02 ग्रामों (बरदिया एवं सेन्दुरिया) की भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 से आच्छादित वनभूमि की इस अधिनियम की धारा-20 के अन्तर्गत विज्ञप्ति/अधिसूचना निर्गत किए जाने से सम्बन्धित प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्राविधानों के अनुसार राज्य सरकार किसी भी भूमि को, जो भारतीय वन अधिनियम की धारा-3 के अन्तर्गत आती हो तथा जिस पर राज्य सरकार को मालिकाना हक प्राप्त हो, को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-4 के अन्तर्गत आरक्षित वन (रिजर्व्ड फॉरेस्ट) बनाए जाने हेतु प्रस्तावित कर सकती है। भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-20 के अनुसार धारा-4 से 17 तक की कार्यवाही होने के उपरान्त दावों का निर्धारण करते हुए राज्य सरकार सीमाओं को निश्चित रूप से विनिर्दिष्ट करने वाली और अधिसूचना द्वारा नियत तिथि से उसे आरक्षित वन घोषित करने वाली अधि सूचना राजपत्र में प्रकाशित कर आरक्षित वन की घोषणा करती है।
प्रकरण जनपद सोनभद्र की तहसील रॉबर्ट्सगंज के 02 ग्रामों (बरदिया एवं सेन्दुरिया) की भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 से आच्छादित वनभूमि की उक्त अधिनियम की धारा-20 के अन्तर्गत विज्ञप्ति/अधिसूचना निर्गत किए जाने से सम्बन्धित है।
वर्ष 1982 में वनवासी सेवा आश्रम द्वारा उच्चतम न्यायालय में दुद्धी/रॉबर्ट्सगंज तहसील में सैकड़ों वर्षों से रह रहे आदिवासियों एवं मूल निवासियों को भूमिधरी अधिकार दिलाने हेतु योजित रिट पिटीशन क्रिमिनल संख्या-1061/1982 वनवासी सेवा आश्रम बनाम उ0प्र0 सरकार व अन्य में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 20 नवम्बर, 1986 एवं 18 जुलाई, 1994 का अनुपालन किए जाने में सहयोग प्राप्त होगा।
धारा-20 की विज्ञप्ति/अधिसूचना निर्गत करने के उपरान्त इन 02 ग्रामों के निवासियों, जिनके पक्ष में वाद निर्णीत हुए हैं, उनके पक्ष में बन्दोबस्ती की प्रक्रिया में निर्णीत भूमि पर विधिक रूप से भूमिधरी के अधिकार प्राप्त हो सकेंगे। इसके अतिरिक्त, सामुदायिक प्रयोजन हेतु भूमि भी प्राप्त हो सकेगी। इस कार्य से क्षेत्रीय जनता को लाभ होगा।
भारत सरकार की केन्द्र पुरोनिधानित योजना के अन्तर्गत समन्वित बाल विकास योजना एक शीर्ष कार्यक्रम है। इस योजना के अर्न्तगत प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत लाभार्थियों को अनुपूरक पुष्टाहार प्रदान किया जाता है, जिसमें भारत सरकार व राज्य सरकार की सहभागिता 50ः50 प्रतिशत निर्धारित है। अनुपूरक पुष्टाहार प्रसंस्करण सम्बन्धी कच्चे माल के मूल्यों में वृद्धि व परिचालन व्यय के दृष्टिगत ग्राम्य विकास विभाग द्वारा अनुपूरक पुष्टाहार उत्पादन इकाइयों के संचालन के प्रारम्भ से माह मार्च, 2024 तक भारत सरकार द्वारा निर्धारित कॉस्ट नॉर्म्स के अतिरिक्त धनराशि (गैप फण्ड) 262.13 करोड़ रुपये की मांग की गयी है। इस मांग के क्रम में मंत्रिपरिषद द्वारा 262.13 करोड़ रुपये गैप फण्ड की धनराशि एकमुश्त ग्राम्य विकास विभाग को दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसका शत-प्रतिशत वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इस निर्णय से अनुपूरक पुष्टाहार योजना के अन्तर्गत प्रदेश के लगभग
1.96 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे, जिससे प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने में सहायता प्राप्त होगी।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ड्रोन प्रचालन सुरक्षा नीति-2023 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि सम्प्रति राज्य में ड्रोन के बढ़ते उपयोग तथा ड्रोन संचालन के क्षेत्र में कतिपय कठिनाइयों के निवारण और नवीन उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु नीति प्रख्यापित किया जाना आवश्यक हो गया है।
ड्रोन पंजीकरण हेतु ड्रोन पोर्टल का संचालन, राज्य सरकार के नोडल विभाग एवं राज्य सरकार के राज्य नोडल अधिकारी का विनिश्चय, ड्रोन नियम 2021 के नियम-24 के अन्तर्गत अस्थाई रेड जोन घोषित करने सम्बन्धी प्राधिकार का अवधारण, नियमों के उल्लंघनकर्ताओं पर शास्ति अधिरोपण हेतु प्राधिकार, जनपद स्तर पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति तथा इसके पर्यवेक्षणार्थ जनपद एवं राज्य स्तरीय समितियों का गठन करने हेतु उत्तर प्रदेश ड्रोन प्रचालन सुरक्षा नीति-2023 प्रस्तावित है।
इस नीति के प्रख्यापन के निम्नलिखित लाभ होंगे :
(1) भारत सरकार द्वारा प्रख्यापित ड्रोन नियम, 2021 का राज्य में प्रभावी प्रवर्तन किया जा सकेगा।
(2) ड्रोन प्रणाली के संचालन पर अधिरोपित कतिपय सुरक्षा का दायित्व यथा ‘नो परमिशन नो टेकऑफ’ हार्डवेयर और फर्मवेयर, रियल टाइम ट्रैकिंग बीकन, जिओ फैंसिंग क्षमता इत्यादि का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
(3) प्रत्येक संचालित ड्रोन जिनका पंजीकरण और यू0आई0डी0 प्राप्त करना आवश्यक बनाया गया है, उन्हें राज्य के तत्सम्बन्धी पोर्टल पर भी पंजीकृत किया जा सकेगा और इनकी गतिविधियों पर थाना स्तर से भी निगरानी की जा सकेगी।
(4) ड्रोन प्रचालन के लिए हवाई क्षेत्र सम्बन्धी लाल, पीले और हरे क्षेत्रों में ड्रोन प्रचालन नियमों का पालन कराया जा सकेगा।
(5) भारत सरकार के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म तक राज्य सरकार, उसके नोडल अधिकारी तथा जनपदीय नोडल अधिकारियों की पहुंच सुनिश्चित की जा सकेगी।
(6) राज्य सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण वाले या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्था, शैक्षणिक संस्थान, उद्योग संवर्धन और आन्तरिक व्यापार विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप, प्राधिकृत प्रशिक्षण संस्था, उक्त वायुयान निर्माता, जिसके पास वस्तु एवं सेवा कर पहचान संख्या है, को अनुज्ञप्ति से छूट का लाभ प्रदान किया जा सकेगा।
(7) अति विशिष्ट महानुभावों का भ्रमण तथा जनसभाएं, त्योहार तथा धार्मिक सम्मेलन, कानून व्यवस्था सम्बन्धी तथा अन्य समीचीन कतिपय स्थितियों के दृष्टिगत अस्थाई रेड जोन घोषित करने सम्बन्धी प्राधिकार का अवधारण तथा क्रियान्वयन किया जा सकेगा।
8) उल्लंघनकर्ताओं पर शास्ति अधिरोपण हेतु समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकेगी।
(9) सम्प्रति स्थापित जनपदीय पुलिस नियन्त्रण कक्ष के माध्यम से जनपदीय एवं राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों तथा ऐसे अन्य अधिकारियों को जिन्हें राज्य सरकार इस हेतु अभिहित करे, को जनपद में ड्रोन संचालन के सम्बन्ध में समस्त सुसंगत सूचनायें एवं अपेक्षित सहयोग उपलब्ध कराया जा सकेगा।
(10) जनपद एवं राज्य द्विस्तरीय समितियों के गठन के माध्यम से नीति के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों के नियमित पर्यवेक्षण तथा पुनरीक्षण और उनसे आनुषंगिक मामलों का निस्तारण एवं प्रबन्धन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
(11) राज्य के पुलिस बल तथा ऐसे समस्त व्यक्तियों एवं राज्य कर्मियों को, जिन्हें वह इस हेतु उपयुक्त समझे, को ड्रोन तकनीक, ड्रोन संचालन, ड्रोन सम्बन्धी विधियों एवं नियमों के प्रति संवेदनशील करने तथा अन्य आनुषंगिक विषयों पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा सकेगा।
मंत्रिपरिषद ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का वर्ष 2023 का तृतीय सत्र दिनांक 28 नवम्बर, 2023 (मंगलवार) को आहूत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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