‘अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ का तीसरा दिन

नई विश्व व्यवस्था नहीं बनी तो दुनिया का अस्तित्व खतरे में

-- देश-विदेश से पधारे न्यायविदों की आम राय

लखनऊ, 5 नवम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 24वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के तीसरे दिन आज 61 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों एवं कानूनविदों् ने जोरदार शब्दों में नई विश्व व्यवस्था की आवाज उठाई और इस दिशा में सी.एम.एस. द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना  करते हुए एक मत से कहा कि यदि नई विश्व व्यवस्था शीघ्र नहीं बनी तो दुनिया का अस्तित्व खतरे में है। अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन की चर्चा-परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं नोएडा इण्टरनेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर डा. विक्रम सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 51 पूरे विश्व में शान्ति एवं सद्भावना का प्रसार करता है। कोविड महामारी ने हमें सिखाया कि हमें प्रतिस्पर्धा की तरह नहीं बल्कि आपसी सहयोग से कार्य करना चाहिए।

मोजाम्बिक के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एडेलिनो मैनुअल मुचांगा ने कहा कि मानव अधिकारों का सम्मान किए बिना शांति की स्थापना नहीं की जा सकती। यह सम्मेलन हम सभी के लिए एक सीखने का अवसर भी है। अंगोला सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति डा. जोएल लियोनार्डो ने सम्मेलन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह इसलिए महत्वपूर्ण क्योकि यह दुनिया के सभी लोगों के हित के लिए है। उन्होने राजनेताओं और नीति निर्माताओं की उत्तरदायिता सुनिश्चित करने के लिए एंटी-करप्शन कोर्ट की स्थापना का सुझाव दिया। बेनिन हाईकोर्ट की प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति सुश्री सेसिल मैरी ज़िनज़िन्दोऊ कहा कि विश्व की समस्यायें अब वैसी नहीं है, जैसी संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय थी, इसलिए संयुक्त राष्ट्र में आज के परिपेक्ष्य के अनुरूप बदलाव लाने की आवश्यकता है। मॉरीशस सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुश्री बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल ने कहा कि वैश्विक परिवर्तन के लिए शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता है, इससे पहले की देर हो जाए।

जहाँ एक ओर देश-विदेश के न्यायविद्ों व कानूनविद्ों ने ‘रिफार्म ऑफ यू.एन. चार्टर’ थीम के अन्तर्गत ‘रिफ्रेशिंग द यू.एन. चार्टर टू सर्व एज ए ग्लोबल कान्स्टीट्यूशन एण्ड सोशल कान्ट्रैक्ट’, ‘रिप्लेसिंग द वन ‘स्टेट-वन वोट’ इन यू.एन. जनरल असेंबली बाई ए वेटेड वोटिंग सिस्टम’ आदि विषयों पर गंभीर विचार विमर्श किया तो वहीं दूसरी ओर ‘इन्फोर्सेबल वर्ल्ड लॉ’ विषय के अन्तर्गत ‘कंडीशन अण्डर व्हिच रेस्पेक्ट फॉर ट्रीटी आब्लीगेशन्स एण्ड अदर इण्टरनेशनल लॉ कैन बी मेन्टेन्ड’, ‘मैकेनिज्म ऑफ इन्फोर्सिंग इण्टरनेशनल लॉ इन एडीशन टु ट्रेडीशनल इन्स्टीट्यूशन्स ऑफ कम्प्लायन्स’, ‘नेशनल एक्सेप्टबिलिटी ऑफ यूनिवर्सिल मैन्टेड्स अगेन्स्ट वॉर एण्ड वायलेन्स’ आदि विषयों पर सारगर्भित विचार रखे। इसी प्रकार ‘ह्यूमन डेवलपमेन्ट: एजूकेशन, हेल्थ, एम्प्लॉयमेन्ट, इनइक्वालिटी’, ‘एक्शन फॉर क्लाइमेट चेन्ज’, ‘डिसआर्मामेन्ट एण्ड ए यू.एन. पीस फोर्स’, ‘रोल ऑफ एन.जी.ओ., सिविलि सोसाइटी, स्मार्ट कोलीशन इन ग्लोबल गवर्नेन्स’ थीम के अन्तर्गत विभिन्न विषयों पर जमकर विचार-विमर्श हुआ। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक, डा. जगदीश गाँधी ने आज एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि न्यायविद्ों व कानूनविद्ों का कहना था कि आज ऐसी कानून व्यवस्था की आवश्यकता है जिससे विश्व में एकता व शान्ति स्थापित हो, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार व अन्याय समाप्त हो और युद्ध समाप्त हो। 

सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि विभिन्न देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों व अन्य गणमान्य अतिथियों के सम्मान में आज सायं इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठिान के ज्यूपिटर हॉल में ‘साँस्कृतिक संध्या एवं रात्रिभोज’ का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस अवसर पर देश-विदेश से पधारे न्यायविद्ों व कानूनविद्ों से मुलाकात की। श्री मौर्य ने भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य हेतु सी.एम.एस. के प्रयासों को भी सराहा। श्री शर्मा ने बताया कि 61 देशों से पधारे न्यायविद्ों व कानूनविदों द्वारा एक नवीन विश्व व्यवस्था पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन का दौर जारी है। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के चाथे दिन का उद्घाटन कल 6 नवम्बर को प्रातः 9.00 बजे प्रदेश  के उप-मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में करेंगे।


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