जौनपुर। डीएपी की जिले में धडल्ले से हो रहा है कालाबाजारी जोरों पर
जौनपुर। जिले में डीएपी की कालाबाजारी शुरू हो गई है। सहकारी समितियों में खाद न होने का फायदा प्राइवेट दुकानदार भी उठा रहे हैं। 1350 रुपये वाली डीएपी 1500 रुपये में बेच रहे हैं। ऐसे में बुवाई का काम पिछड़ न जाए, इसलिए किसान महंगे दाम पर डीएपी खरीदने को मजबूर हैं। खाद की कालाबाजारी पर प्रशासन व विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
किसान इन दिनों खाद के लिए परेशान हैं। आलू, राई, सरसों और गेहूं की बुवाई के लिए उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। डीएपी न मिलने के कारण इन फसलों की बुवाई में विलंब हो रहा है। किसान डीएपी के लिए सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में खाद की किल्लत को देखते हुए कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। समितियों में खाद न मिलने पर किसान निजी दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीदने पर विवश हैं।फसलों की बुआई के समय किसान खेत में डीएपी डालते हैं। आलू की बुआई में सबसे ज्यादा डीएपी की खपत होती है। रबी सीजन में समितियों में खाद नहीं है। इस समय एक भी समिति में डीएपी नहीं है। किसानों के मुताबिक इन समितियों में यदि थोड़ी खाद आ भी जाती है, तो कुछ लोग ही लाभांवित हो पाते हैं। अधिकांश किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है।कई किसानों ने कहा कि सरसों व गेहूं की बुवाई करने के लिए समितियों में डीएपी नहीं मिल रही है। बुवाई पिछड़ न जाएं, इसलिए प्राइवेट दुकान से 1500 रुपये की डीएपी लेकर बुवाई की है।
किसान अरविंद मौर्य ने कहा कि आलू बोने में ज्यादा मात्रा में डीएपी की जरूरत होती है। समितियों में जो डीएपी आई थी, उसमें एक किसान को दो-तीन बोरी से अधिक नहीं दी गई है। जरूरत ज्यादा की है। गांव के किसान इंद्रकुमार द्विवेदी ने कहा कि सहकारी समिति व प्राइवेट दुकानों में भी डीएपी नहीं है। जिन दुकानदारों के पास डीएपी है, वह 150 रुपये अधिक लेकर खाद दे रहे हैं। इस बार फसल की बुवाई में दिक्कत होगी।
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