गौ सेवा व गौ हित के लिए जागरूक करने हेतु सात राज्यों में निकल रही गो रक्षा जनजागरण यात्रा
मप्र में 23 अक्टूबर से शुरू यात्रा 6 नवंबर को हरिद्बार में पूरी होगी
मध्यप्रदेश प्रदेश से चलकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल तथा उत्तराखण्ड के हरिद्बार में पहुंचेगी
यात्रा का शुभारंभ जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज एवं बाबा बागेश्वर धाम ने किया
लखनऊ । रविवार को सुबह अचानक जब अलीगंज क्ष्ोत्र में गलियों से होकर गुजर रहे रथ पर गायन मंडली के साथ सुंदर गाय की प्रतिमूति लिये यात्रा का जत्था निकला तो लोग कौतुहल से उसके पीछे हो लिये। 23 अक्टूबर को मप्र के शिवपुरी से शुरू हुई गो रक्षा जनजागरण यात्रा रविवार को लखनऊ में राकेश चतुर्वेदी के आतिथ्य में पहुंची। यात्रा की ओर बरबस सबकी निगाहें टिक गयीं।
श्री राम गौधाम सेवा समिति द्बारा 23 अक्टूबर से मध्यप्रदेश से 15 दिवसीय गौ रक्षा जन जागरण यात्रा का शुभारंभ अनंत विभूषित मानस मर्मज्ञ संत शिरोमणि पद्म विभूषण श्री तुलसी पीठ आदिश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज के आशीर्वाद एवं सानिध्य में यात्रा का शुभारंभ हुआ। ये यात्रा देश के कई राज्यों से होकर गुजरेंगी। इस यात्रा का उद्देश्य गांव से लेकर शहर के सड़कों पर निराश्रित घूम रही गौमाता एवं गौ वंशो की दशा सुधारने के लिए एक जन जागरण अभियान करना रहा। साथ ही यात्रा के माध्यम से गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्ज़ा दिये जाने की पुरजोर मांग की जा रही है।
समिति संस्थापक जगदीश प्रसाद भट्ट ने कहा कि श्रीराम गौधाम सेवा समिति द्बारा निराश्रित गौमाता और गौ वंशों की दशा और दिशा सुधारने के लिए एक एतिहासिक गौरक्षा जनजागरण भारत यात्रा का शुभारम विश्वविख्यात, अनंत श्रीविभूषित, मानसममंज्ञा, संत शिरोमणी पद्मविभूषण श्री तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानन्दाचार्या स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज के आशीर्वाद एवं सान्निध्य में 23 अक्टूबर 2०23 से मध्य प्रदेश के शियोपुर जनपद के वन क्षेत्र की गई है। यह यात्रा मध्यप्रदेश प्रदेश से चलकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल तथा उत्तराखण्ड के हरिद्बार में पहुंचेगी जहाँ इसका दिव्य एवं भव्य समापन महामण्डलेश्वरी सती के सानिध्य में होगा । इस एतिहासिक गौरक्षा जनजागरण भारत यात्रा को देशभर के संत समाज एवं प्रबद्धजनों का का आशीर्वाद मिल का है।
संस्था के संस्थापक जगदीश भट्ट ने कहा कि 23 अक्टूबर से शुभारम्भ हुई इस एतिहासिक गौरक्षा जनजागरण भारत यात्रा का उद्देश्य गांव से लेकर शहरों में पैदल मार्गों में तथा सड़कों पर घूम रही गौमाता एवं गौ वंशो की दशा सुधारने के लिए एक जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है । जिसके लिए समस्त आम जन से की जा रही है कि वह अपने-अपने क्षेत्र में गौ माता की रक्षा एवं संवर्धन का कार्य सेवा भाव से कर पुण्य के भागी बने तथा किसी भी स्थिति एवं परिस्थिति में गौमाता को नितिन श्रीराम गौधाम सेवा समिति परिवार, घीवन ऐसे सभी गौभक्तों एवं गौ प्रेमियों से साथ जुड़ने की अपील की है।
गौ माता हमारे हिन्दू सनातन की माता है, गौमाता की शास्त्रों में बहुत बड़ी महिमा है तथा वह सभी प्रकार से पूज्य है, फिर भी गौमाता की इतनी बुरी दुर्दशा क्यों हो रही है। गौमाता से बढ़कर कोई दूसरा बड़ा धर्म एवं महान पुण्य कार्य नहीं है, गौमाता को कभी भूलकर भी अन्य पशुओं से तुलना ना करें एवं अन्य पशुओं की भांति साधारण नहीं समझना चाहिए, गौमाता के शरीर में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है। गौमाता श्रीकृष्ण की परमाराच्या है, गौमाता वैतरणी पार लगाने वाली है, गौमाता को अपने घर पर रखकर तन, मन तथा पन सेवा करनी चाहिए ।
ऐतिहासिक गौरक्षा जन जागरण गौरथ भारत यात्रा के माध्यम से लोगों को गौमाताओं एवं गौवंशों की सच्ची सेवा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक यात्रा के माध्यम से आम जनमानस के भीतर गौमाता एवं गौवंशो की सेवा संरक्षण एवं सवर्धन की अलख जगाने का कार्य किया जा रहा है। जिसके लिए समस्त आम जनमानस से अपील की जा रही है की वह अपने - अपने क्षेत्र में गौ माता की रक्षा एवं संवर्धन का कार्य सेवा भाव से कर पुण्य के भागी बने तथा किसी भी स्थिति एवं परस्थिति में गौ माता को जगह जगह निराश्रित ना छोड़े । क्योंकि केवल और केवल गौसेवा मात्र में ही समस्त जगत का कल्याण निहित है। कार्यक्रम में श्रीराम गौधाम सेवा समिति के संथापक एवम यात्रा के ध्वजवाहक श्री जगदीश प्रसाद भट्ट जी, मुख्य यात्रा कार्यक्रम अधिकारी हर्षमणि उनियाल, कार्यक्रम अधिकारी (प्रचारक) मनीष व्यास, यात्रा प्रवक्ता शांति प्रसाद, मार्गदर्शक देवी प्रसाद पैन्यूली जी, वाचस्पति भट्ट जी, हरे रामा हरे कृष्णा के भक्तजन, गौसेवक मदन बिष्ट, योगी दिलीप बिष्ट, सतीश भट्ट यात्रा संयोजक अनिल कुमार गुप्ता मौजूद रहे।
यात्रा विवरण
पहला दिवस 23 अक्टूबर 2०23 गसवानी (म.प्र) से चलकर झाँसी (उ.प्र.) ।
दूसरा दिवस 24 अक्टूबर 2०23 झाँसी (उ.प्र.) से चलकर चित्रकूट (उ.प्र.)
तीसरा दिवस : 25 अक्टूबर 2०23 चित्रकूट (उ.प्र.) से चलकर प्रयागराज (उ.प्र.)
चौथा दिवस 26 अक्टूबर 2०23 प्रयागराज (उ.प्र.) से चलकर अयोध्या जी (उ.प्र.)
पांचवा दिवस 27 अक्टूबर 2०23 अयोध्या जी (उ.प्र.) से चलकर लखनऊ (उ.प्र.)
छठा दिवस 28 अक्टूबर 2०23 लखनऊ (उ.प्र.) से चलकर कन्नौज/इटावा (उ.प्र.)
सातवां दिवस 29 अक्टूबर 2०23 इटावा (उ.प्र.) से चलकर मथुरा-वृन्दावन (उ.प्र.)
आठवां दिवस : 3० अक्टूबर 2०23 मथुरा-वृन्दावन (उ.प्र.) से चलकर गुरुग्राम (हरियाणा)
नवां दिवस: 31 अक्टूबर 2०23 गुरुग्राम (हरियाणा) से चलकर कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
दसवां दिवस 1 नवम्बर 2०23 कुरुक्षेत्र (हरियाणा) से चलकर खन्ना (पंजाब)
ग्यारवां दिवस : 2 नवम्बर 2०23 खन्ना (पंजाब) से चलकर लुधियाना (पंजाब)
बारहवां दिवस 3 नवम्बर 2०23 लुधियाना (पंजाब) से चलकर चण्डीगढ़ (पंजाब)
तेरहवां दिवस : 4 नवम्बर 2०23 चण्डीगढ़ (पंजाब) से चलकर पोण्टा साहिब (हिमाचल)
चौदहवां दिवस : 5 नवम्बर 2०23 पोण्टा साहिब (हिमाचल) से चलकर हरिद्बार (उत्तराखण्ड)
पन्द्रहवां दिवस : 6 नवम्बर 2०23 हरिद्बार में यथाविधि सम्पन्न समारोह
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