महाकुंभ से पहले प्रयाग के द्वादश माधव मंदिरों का
होगा कायाकल्प
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योगी
सरकार ने द्वादश माधव मंदिरों के कायाकल्प का पूरा रोड मैप किया तैयार
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यूपी
पर्यटन विभाग ने हाल ही में मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया विस्तृत
प्रेजेंटेशन
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द्वादश
माधव मंदिर की परिक्रमा से मिटते हैं जन्म-जन्मांतर के पाप
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मु्गल
और ब्रिटिश काल में द्वादश माधव मंदिरों को पहुंचाया गया भारी नुकसान
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आजादी
के बाद भी किसी सरकार ने प्रयाग के रक्षक द्वादश माधव मंदिरों की नहीं ली थी सुध
लखनऊ, 6 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश धार्मिक
पर्यटन की असीम संभावनाओं वाला राज्य है। काशी, मथुरा, अयोध्या, नैमिषारण्य, चित्रकूट, गोरखपुर, विंध्याचल
और प्रयागराज दुनियाभर में फैले सनातनियों की आस्था के केंद्रबिंदु हैं। हाल के
वर्षों में प्रदेश में धार्मिक पर्यटन एक बड़े सेक्टर के रूप में उभरा है। इससे
प्रदेश की आय तो बढ़ ही रही है, साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी हो
रहा है। योगी सरकार राज्य के प्रमुख तीर्थस्थलों में मूलभूत सुविधाओं के विकास और
विस्तार के कार्य में जुटी हुई है। इसी कड़ी में अब प्रयागराज के द्वादश माधव
मंदिरों का भी कायाकल्प होने जा रहा है।
महाकुंभ से पहले द्वादश माधव मंदिरों का होगा
पुनरुद्धार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी
पर्यटन विभाग प्रयागराज के सभी माधव मंदिरों के विकास को लेकर पूरा रोड मैप तैयार
कर चुका है। हाल ही में पर्यटन विभाग की ओर से इससे संबंधित प्रेजेंटेशन
मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद सीएम योगी ने आगामी
महाकुंभ से पहले द्वादश माधव मंदिरों के कायाकल्प के लिए विभाग को निर्देशित किया
है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि महाकुंभ-2025 से पहले देश-दुनिया के संतों और
भक्तों को तीर्थाटन के रूप में द्वादश माधव सर्किट की सौगात मिले। इस 125 किमी
लंबी आध्यात्मिक सर्किट में तीर्थ परिक्रमा के साथ ही पर्यटन की मूलभूत सुविधाओं
का भी विकास किया जाएगा।
महर्षि भारद्वाज करते थे सभी माधवों की परिक्रमा
बता दें कि भगवान माधव प्रयागराज के प्रधान देवता
के रूप में पूजे जाते हैं। इनके द्वादश (बारह) स्वरूप प्रयाग में प्रतिष्ठित हैं।
पौराणिक मान्यता है कि प्रयागराज में संगम की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने द्वादश
स्वरूप धारण किए थे। मत्स्य पुराण में लिखा है कि द्वादश माधव परिक्रमा करने वाले
को सारे तीर्थों व देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। महर्षि
भारद्वाज सहित अनेक ऋषि-मुनि इसकी परिक्रमा करते रहे हैं। मगर मुगल और ब्रिटिश काल
में ये द्वादश मंदिर दुर्दशाग्रस्त हो गये थे। वहीं आजादी के बाद भी इन्हें लेकर
सरकारों में उदासीनता ही रही। माधव मंदिरों के आसपास बड़े पैमाने पर अतिक्रमण
सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। झूंसी में शंख माधव, नैनी में
गदा माधव पूरी तरह से अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं। कहीं सीधा रास्ता नहीं है तो
कहीं महज दो फीट चौड़ा रास्ता ही बचा है। अब योगी सरकार ने द्वादश माधव मंदिरों के
कायाकल्प का बीड़ा उठाया है।
इन सुविधाओं का किया जाएगा विकास
मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंदिरों में भव्य मुख्य
द्वार निर्मित किये जाएंगे। इसके साथ ही चाहरदीवारी निर्माण, सार्वजनिक
शौचालय, पेयजल
की व्यवस्था, शू
रैक, इंटरलॉकिंग
और लैंडस्केप,
पाथवे, सड़क और
फुटपाथ, बेंच, भित्त
चित्र, कूडादान, यात्री
शेड, प्रकाश
व्यवस्था लैंप आदि और पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। पहले चरण में नौ माधव
मंदिरों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें झूसी स्थित संकष्टहर माधव और शंख माधव, द्रौपदी घाट स्थित बिंदु माधव, चौफटका
स्थित अनंत माधव, चौक स्थित मनोहर माधव, बीकर
गांव स्थित पद्म माधव, छिंवकी स्थित गदा माधव और अरैल स्थित आदिवेणी माधव
तथा चक्र माधव मंदिरों को भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री ने पर्यटन
विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है।
बॉक्स
कहां प्रतिष्ठित हैं कौन से माधव
1
: वेणीमाधव : यह प्रयाग के नगर देवता हैं। इनका मंदिर दारागंज
स्थित त्रिवेणी तट पर है।
2
: अक्षयवट माधव : गंगा-यमुना के मध्य में यह विराजमान हैं।
3
: अनंत माधव : दारागंज में अनंत माधव का प्राचीन मंदिर है।
4
: असि माधव : नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं।
5
: मनोहर माधव : जानसेनगंज में मनोहर माधव का मंदिर है।
6
: बिंदु माधव : द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव का निवास है।
7
: श्रीआदि माधव : संगम के मध्य जल रूप में आदिमाधव विराजमान हैं।
8
: चक्र माधव : प्रयाग के अग्नि कोण में अरैल में सोमेश्वर मंदिर
के निकट स्थित हैं चक्र माधव।
9
: श्रीगदा माधव : यमुना पार के क्षेत्र स्थित छिवकी रेलवे स्टेशन
के पास गदा माधव का प्राचीन मंदिर है।
10
: पद्म माधव : यमुनापार के घूरपुर से आगे भीटा मार्ग पर वीकर
देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव।
11
: संकटहर माधव : झूसी में गंगा तट पर वटवृक्ष में संकटहर माधव का
वास है।
12
: शंख माधव : झूसी के छतनाग में मुंशी के बगीचे में शंख माधव की
स्थली मानी जाती है।
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रबी फसलों के लिए यूपी ने रखा 448 लाख
मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य
रबी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए योगी सरकार ने
बनाई रणनीति
उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के लिए होंगे
नियोजित प्रयास,
फसल
सघनता बढाने की है तैयारी
खाद्यान्न के साथ दलहन व तिलहन पर भी है फोकस
लागत को कम करने और समय से बोआई पर जोर
धन की जरूरत हो, कृषि
यंत्रों की आवश्यकता हो या फिर ट्रेनिंग, किसानों की हर जरूरत पूरा करेगी
सरकार
खाद की नहीं होगी कमी, पीएम
प्रणाम योजना का मिलेगा लाभ
लखनऊ, 06 अक्टूबर: खरीफ फसलों की खरीद के
लिए जारी तैयारियों के बीच योगी सरकार ने आगामी रबी सीजन में खाद्यान्न तथा तिलहनी
फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। रबी सीजन 2022 में
जहां 136.06
लाख हेक्टेयर भूमि आच्छादित थी और 427.83 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ।
वहीं, आगामी
रबी 2023
में खाद्यान्न एवं तिलहनी फसलों के अन्तर्गत 134.85 लाख हेक्टेयर
क्षेत्र पर बोआई और 448.66 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार द्वारा तैयार रबी उत्पादन 2023 फसल
उत्पादन रणनीति में कुल खाद्यान्न उत्पादन के 428.77 लाख
मीट्रिक टन एवं तिलहन उत्पादन के 19.90 लाख मीट्रिक टन (खाद्यान्न एवं तिलहन के कुल
उत्पादन 448.66
लाख मीट्रिक टन) के लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं, जौ, मक्का, चना, मटर, मसूर, राई
सरसों, तोरिया, अलसी के
लिए अलग-अलग लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
फसल सघनता में वृद्धि: कृषकों की आय बढ़ाने के साथ
ही सरकार का फोकस उत्पादकता और उत्पादन को बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को कम करने पर
भी है। फसल सघनता में वृद्धि के लिए किसानों को साल में दो या तीन फसल लेने के लिए
प्रोत्साहित किया जा रहा है तो खरीफ में बुवाई से खाली खेतों में तोरिया अथवा लाही
की बुवाई के लिए जागरूक किया जाएगा। वहीं, जिन
क्षेत्रों में गन्ना की खेती हो रही है, वहां गन्ने से खाली होने वाले
खेतों तथा शीघ्र पकने वाली अरहर से खाली खेतों में देरी की दशा में बोई जाने वाले
गेहूं की प्रजातियों की बुवाई को भी सरकार प्रोत्साहित कर रही है। देवरिया, कुशीनगर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलिया, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, बस्ती, बाराबंकी, अयोध्या, सीतापुर
खीरी और जौनपुर,
जहां
मक्का की खेती होती है वहां संकर मक्का की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जा
रहा है। इसी तरह उत्पादकता में वृद्धि के लिए न्यूनतम उत्पादकता वाले ब्लॉक के
संबंध में खास रणनीति भी तैयार की जाएगी।
उत्पादकता में वृद्धि: क्षेत्रफल की दृष्टि से देश
में सर्वाधिक क्षेत्र में गेहूँ की खेती उत्तर प्रदेश में की जाती है। जलवायुविक
भिन्नताओं, संसाधनों
की कमी, कृषि
निवेशों के असंतुलित प्रयोग तथा उन्नत तकनीक का पूरा लाभ न लेने के कारण प्रदेश
में गेहूँ की उत्पादकता पंजाब एवं हरियाणा की अपेक्षा कम है। प्रदेश के विभिन्न
जनपदों की विभिन्न फसलों की उत्पादकता में भी भारी अन्तर है। उत्पादकता वृद्धि के
लिए न्यूनतम उत्पादकता वाले ब्लाक/न्याय पंचायत के सम्बन्ध में भी समुचित रणनीति
बनाकर त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने हेतु जनपद स्तर पर उत्पादकता बढ़ाने के
लिए विभिन्न फसलों की ब्लाक/न्याय पंचायतवार उत्पादकता को आधार मानकर योजनायें
बनाकर सघन पद्धतियों को लागू करने की योजना है। क्षेत्रीय अनुकूलता तथा उपलब्ध
संसाधनों के आधार पर फसलों एवं प्रजातियों का चयन कर कृषि की उन्नत प्राविधिकी का
प्रयोग कर उत्पादकता में वृद्धि करने हेतु जनपद पर समुचित रणनीति तैयार की जा रही
है। उत्तर प्रदेश यही नहीं, पावर कारपोरेशन, सिंचाई
विभाग एवं नलकूप विभाग को स्पष्ट निर्देश है कि फसल उत्पादन के समय बिजली की
आपूर्ति, नहरों
में रोस्टर के अनुसार पानी चलने, सरकारी नलकूपों को कार्यरत रखा जाए। बीज शोधन
के उपरान्त ही बीज की बुआई हेतु कृषकों को प्रेरित किया जाय। सूक्ष्म पोषक तत्व का
प्रयोग मृदा परीक्षण के उपरान्त करना अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है। ऐसे में इस
पर विशेष बल दिया जाएगा।
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ब्लड डोनेशन के बारे में आम नागरिकों को जागरूक
करें विशेषज्ञ: सीएम योगी
सीएम योगी ने यूपी चैप्टर आईएसबीटीआई तथा केजीएमयू
के ब्लड ट्रान्सफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहिमाटोलॉजी विभाग के 'ट्रांसकॉन-2023' में
की शिरकत
कार्यक्रम में सीएम योगी ने 'ट्रांसकॉन-2023' कांफ्रेंस
की सॉवेनियर का भी किया विमोचन
एक यूनिट ब्लड से टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर कई लोगों
की जान बचायी जा सकती है: सीएम योगी
लखनऊ, 6 अक्टूबर: पूरे देश में रोजाना
डेढ़ करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। इसमें से 20 से 25 लाख
यूनिट ब्लड कम पड़ जाता है। इसकी वजह लोगों में जागरुकता का अभाव है। अक्सर देखने
में आता है कि परिवार के लोग ही मरीज को ब्लड देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। ये
उनमे ब्लड डोनेशन को लेकर जागरुकता का न होना दर्शाता है। इसमें सबसे बड़ी कमी
हमारी है। इसका फायदा उठाकर रक्तदाता पैसों की डिमांड करता है और ब्लड के साथ कई
बीमारियाें को भी देने का काम करता है। वहीं आज एक यूनिट ब्लड से टेक्नोलॉजी का
प्रयोग कर कई लोगों की जान बचायी जा सकती है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि
लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए जागरुक करें ताकि ब्लड की कमी को दूर किया जा सके। ये
बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को क्लार्क अवध होटल में आयोजित
यूपी चैप्टर आईएसबीटीआई तथा ब्लड ट्रान्सफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहिमाटोलॉजी विभाग, किंग
जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कांफ्रेंस 'ट्रांसकॉन-2023' के
48वें
वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन में कही। इससे पहले सीएम ने ट्रांसकॉन-2023' की
सॉवेनियर का भी विमोचन किया।
टेक्नोलाॅजी के आदान प्रदान में अहम भूमिका निभाते
हैं ऐसे कांफ्रेंस: सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 15 वर्षों
बाद प्रदेश में सम्मलेन होने जा रहा है। ऐसे में यह सम्मेलन ब्लड ट्रांसफ्यूजन के
फील्ड में काम करने वाले सभी विशेषज्ञों और स्टेक होल्डर के लिए एक मील का पत्थर
साबित होगा, जो
इस क्षेत्र में प्रदेश को आगे ले जाने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा। सीएम ने
कहा कि कोरोना कालखंड में एक-एक व्यक्ति की जान बचाना सरकार की प्राथमिकता थी। इस
दौरान चिकित्सकों और हेल्थ वर्कर्स ने प्रतिबद्धता के साथ काम किया और हमने कोरोना
को हराया। केंद्र और राज्य की सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या नया हुआ है इसे
देश में लाने का प्रयास कर रही है। ऐसे में इस तरह के राष्ट्रीय सम्मेलन हेल्थ के
क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के आदान-प्रदान में बड़ी भूमिका निभाते हैं। सीएम ने कहा
कि कोरोना काल में आधे प्रदेश में आईसीयू के एक भी बेड नहीं थे, लेकिन
प्रयास से सभी जनपदों में कमी को पूरा किया गया। इसके बाद विशेषज्ञ, पैरामेडिकल, नर्सिंग
स्टाफ और टेक्नीशियन की कमी सामने आने लगी। इस पर ट्रेनिंग शुरू की गयी और
केजीएमयू, एसजीपीजीआई
ने पूरे प्रदेश में वर्चुअल आईसीयू का संचालन किया। इससे करोनो को हराने में काफी
मदद मिली। इस दौरान फ्रंटलाइन वर्कर भी मजबूती के साथ खड़े रहे। इससे प्रदेश में
मृत्यु दर को न्यूनतम रखने के साथ संक्रमण के फैलाव को रोकने में काफी हद तक सफलता
मिली थी।
कांफ्रेंस के बाद अयोध्या और नैमिषारण्य का करें
भ्रमण
सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
मार्गदर्शन में पूरे देश ने टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कोरोना को मात दी। उन्होंने
कहा कि भारत की 140 करोड़ की आबादी की तुलना में यूएसए की आबादी एक
चौथाई है, लेकिन
कोविड प्रबंधन में वह पूरी तरह फेल रहा जबकि भारत में यूएसए के मुकाबले संक्रमण और
मृत्यु की दर काफी कम थी। उन्होंने कहा कि इस तरह के सम्मेलन टेक्नोलॉजी के
आदान-प्रदान से बहुत सशक्त माध्यम बनते हैं। डॉक्टर की बात पब्लिक तन्मयता से
सुनती है। ऐसे में उन्हे ब्लड डोनेशन के बारे में जागरुक करना होगा। इसके लिए गांव
के स्कूलों में कॉन्फ्रेंस का आयोजन होना चाहिये। विश्वकर्मा जयंती और आधुनिक भारत
के शिल्पी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर
से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर
के बीच में सेवा पखवाड़ा का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें हर जनपद में ब्लड
डोनेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश में 25000 यूनिट
ब्लड कलेक्ट हुआ। इसके कई गुना लोगों ने ब्लड ग्रुप की जांच करवाई। इस दौरान लोगों
ने अपने रेयर ग्रुप के ब्लड को सुरक्षित कराया। इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने
चाहिये। सीएम योगी ने सम्मेलन में आए विशेषज्ञों से भगवान श्रीराम की जन्मभूमि
अयोध्या और सीतापुर स्थित नैमिषारण्य का भ्रमण करने की अपील की। कार्यक्रम में
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, केजीएमयू
के ट्रांसफ्यूजन की विभागध्यक्ष प्रो. तूलिका चंद्रा, केजीएमयू
वीसी प्रो. सोनिया नित्यानंद, आईएसबीटीआई की महासचिव डॉ. संगीता पाठक, डॉ. एके
त्रिपाठी, यूपी
चैप्टर आईएसबीटीआई के उपाध्यक्ष डॉ. अखिलेश अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
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बी-पैक्स सदस्यता महा अभियान में जुड़े कुल 28.85 लाख नए
सदस्य
महा अभियान में कुल 69.08 करोड़
रुपए की शेयर धनराशि हुई अर्जित
19
लाख से ज्यादा लघु, सीमांत एवं बड़े कृषकों ने ली बी-पैक्स की सदस्यता
2
लाख कुशल श्रमिक, 5 लाख अकुशल श्रमिक, 2.62 लाख
पशुपालक भी जुड़े
सबसे ज्यादा सदस्यता और शेयर कैपिटल एकत्र करने में
शाहजहांपुर प्रथम स्थान पर
लखनऊ: 6 अक्टूबर। प्रदेश में 1 से 30 सितंबर 2023 तक
संचालित किए गए बी-पैक्स सदस्यता महा अभियान- 2023 ने
अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के
निर्देश पर पूरे प्रदेश में यह महा अभियान चलाया गया, जिसमें 20 लाख
लक्ष्य के सापेक्ष कुल 28.85 लाख बी-पैक्स में नए सदस्य बने तथा 69.08 करोड़
रुपए की धनराशि अर्जित की गई। योगी सरकार का मानना है कि बी-पैक्स सदस्यता महा
अभियान प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित होगा।
बी-पैक्स सदस्यता महा अभियान की सफलता से जिला सहकारी बैंकों का कैपिटल बेस मजबूत
होगा तथा ऋण वितरण में वृद्धि होगी। बी-पैक्स को भी 10 लाख तक
की कैश क्रेडिट लिमिट दी जाएगी, जिससे किसानों को बी-पैक्स के माध्यम से खाद,बीज की
उपलब्धता सुलभ होगी। अभियान की सफलता दर्शाती है कि सहकारी क्षेत्र में आमजन का
विश्वास बढ़ा है तथा प्रदेश सरकार की वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनामी को प्राप्त करने में
सहायक होगी।
सदस्य बनाने में शीर्ष पर रहा शाहजहांपुर
प्राप्त जानकारी के अनुसार अभियान के दौरान
बी-पैक्स में बने कुल 28.85 लाख सदस्यों में 18.77 लाख लघु
एवं सीमांत कृषक (2 हेक्टेयर से कम जोत), 48,570 बड़े
कृषक (2
हेक्टेयर से अधिक जोत) के साथ ही 2.01 लाख कुशल श्रमिक, 4.86 लाख
अकुशल श्रमिक,
2.62 लाख पशुपालक तथा 7,633 मत्स्यपालकों ने बी-पैक्स की
सदस्यता ग्रहण की। सबसे ज्यादा सदस्यता ग्रहण कराने तथा शेयर कैपिटल एकत्र करने
में जनपद शाहजहांपुर प्रथम स्थान पर रहा। शाहजहांपुर में कुल 1,25,022
बी-पैक्स सदस्य बने तथा कुल 3,00,67,023 रुपए की शेयर धनराशि अर्जित हुई।
शाहजहांपुर प्रति पैक्स सबसे ज्यादा औसत सदस्य (1087.15) बनाने
एवं शेयर कैपिटल (261452.37) संचित करने में भी पहले स्थान पर रहा। यहां लघु एवं
सीमांत कृषकों की संख्या 82,255 रही, जबकि
बड़े कृषकों की संख्या 1915 रही। 8099 कुशल
श्रमिक,
19,881 अकुशल श्रमिक, 1116 मत्स्य पालक, 11,704
पशुपालक सदस्य बने।
बी-पैक्स से मिलेंगे अनेक लाभ
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बी-पैक्स
के माध्यम से नए कृषक सदस्यों को अन्य बैंकों से सस्ती दर पर यानी 3 प्रतिशत
ब्याज पर फसली ऋण की सुविधा दी जाएगी तथा फार्म मेकेनाइजेशन के लिए दीर्घकालीन ऋण
कि सुविधा 5
से 7
वर्ष के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
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मत्स्य
पालक कृषकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से एवं पशुपालकों को नंद बाबा
दुग्ध मिशन योजना से जोड़ा जाएगा तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर केसीसी के
माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
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अकुशल, कुशल
कामगारों को ‘लेबर क्लब’ बनाकर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा तथा रोजगार के नए अवसर
उपलब्ध कराए जाएंगे। इन्हें श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ भी दिलाया जाएगा।
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कृषक
उत्पादक समूहों का बी-पैक्स के साथ एमओयू बनाकर निर्यात एवं स्थानीय बाजार का
प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराने की सुविधा दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जन औषधि केंद्र के
रूप में सस्ती एवं गुणवत्तापरक जेनेरिक दवाएं कृषकों को उपलब्ध कराई जाएंगी।
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एआईएफ
योजना में कृषक उत्पादक समूहों की प्रक्रिया इकाई की स्थापना के लिए सस्ते ऋण की
सुविधा जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।
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एफपीओ
और पैक्स को ड्रोन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी तथा पीएम स्वनिधि योजना में
स्ट्रीट वेंडर को ऋण की सुविधा जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराई
जाएगी।
सहकारी स्वयंसेवकों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि
योगी सरकार बी-पैक्स
सदस्यता महा अभियान-2023 में अच्छा कार्य करने वाले सहकारी स्वयंसेवकों को
प्रमाण पत्र एवं प्रोत्साहन राशि भी देगी। कम से कम 100 सदस्य
बनाने वाले सहकारी स्वयंसेवकों को संतोषजनक प्रमाण पत्र, प्रति
पैक्स 280 से
400 सदस्य
बनाने वाले सहकारी स्वयंसेवकों को उत्तम प्रमाण पत्र के साथ 5000 रुपए की
प्रोत्साहन राशि, प्रति पैक्स 400 से 600 सदस्य
बनने वाले सहकारी स्वयंसेवकों को अति उत्तम प्रमाण पत्र एवं 7500 रुपए की
प्रोत्साहन राशि तथा प्रति पैक्स 600 से अधिक सदस्य बनाने वाले सहकारी स्वयंसेवकों
को उत्कृष्ट प्रमाण पत्र एवं 10000 रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान
की जाएगी।
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पोर्टल पर साप्ताहिक
स्टाॅक की घोषणा करेंगे दाल कारोबारी
दालों की जमाखोरी रोकने
तथा मूल्य वृद्धि को लेकर योगी सरकार ने खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों को दिए
दिशा-निर्देश
कारोबारियों का निरीक्षण
एवं सत्यापन के साथ व्यापारियों का पोर्टल पर तत्काल कराया जाए रजिस्ट्रेशन
लखनऊ, 6
अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में दालों की जमाखोरी को रोकने तथा मूल्य वृद्धि को लेकर
योगी सरकार ने खाद्य एवं रसद विभाग के आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं।
कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से घोषित संशोधित स्टाॅक लिमिट को प्रभावी रूप
से लागू करने के लिए दाल के कारोबारियों का निरीक्षण एवं सत्यापन कराया जाए। इसके
अलावा जो व्यापारी अभी तक पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं है, उनका
तत्काल रजिस्ट्रेशन कराया जाये। वहीं शासन की ओर से निर्देश दिया गया है कि सभी
दाल के कारोबारियों से निर्धारित पोर्टल पर साप्ताहिक स्टाॅक की घोषणा करायी जाए।
साप्ताहिक स्टॉक की घोषणा
विभाग के अधिकारी आलोक
कुमार ने बताया कि सरकार से मिले निर्देश में प्रदेश में कार्यरत डीलर, इम्पोर्टर, मिलर, स्टॉकिस्ट
व ट्रेडर से भारत सरकार के पोर्टल http://fcainfoweb.nic.in/psp पर
रजिस्ट्रेशन कराते हुये उनसे साप्ताहिक (प्रत्येक शुक्रवार) स्टॉक की घोषणा कराने
हेतु समय-समय पर डीएम से अनुरोध किया गया है।अद्यतन स्थिति के अनुसार केंद्र सरकार
के पोर्टल पर कुल 1,878 दाल के कारोबारी पंजीकृत हैं, जिनके
द्वारा समस्त दालों को मिलाकर 138442 मी0टन स्टॉक
की घोषणा की गयी है, जिसमें तूर दाल का स्टॉक 24686 मी0टन, उरद दाल
का स्टॉक 16376
मी0टन
एवं मसूर दाल का स्टॉक 39150 मी0टन घोषित किया गया है।
जल्द रजिस्ट्रेशन कराने के
निर्देश
दरअसल, उत्तर
प्रदेश के अम्बेडकर नगर 04, अमरोहा 04, कन्नौज 05, कासगंज 06, श्रावस्ती
06, फर्रुखाबाद
07, इटावा
07, अमेठी
09, मैनपुरी
09 एवं
सुल्तानपुर में 09 रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर हुए हैं। इन जनपदों में
पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जल्द कराने के निर्देश दिए हैं।
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