सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैड़ास बुजुर्ग में व्याप्त भ्रष्टाचार की मजिस्ट्रेट से जांच कराए जाने, सीएचसी उतरौला में अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे, ईसीजी मशीन, टेक्नीशियन, स्त्री रोग, हड्डी रोग, बाल रोग, हृदय रोग विशेषज्ञों की तैनाती तथा जीवन रक्षक दवाइयां पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराए जाने की मांग लोकतंत्र सेनानी चौधरी इरशाद अहमद गद्दी ने उपमुख्यमंत्री/ स्वास्थ्य चिकित्सा एवं शिक्षा मंत्री बृजेश पाठक से किया है।
आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैड़ास बुजुर्ग के अधीक्षक डॉक्टर मलिक मोहम्मद शोएब सीएचसी पर बैठना मुनासिब नहीं समझते। कभी भी समय से अस्पताल नहीं आते। दोपहर बाद अपने निजी अस्पताल पर बैठते हैं। तैनाती से आज तक कभी भी सीएससी पर रात्रि निवास नहीं किया। क्षेत्र के महुआ बाजार में अपना निजी अस्पताल चलते हैं। जब कोई मरीज सीएचसी में आता है तो वहां पर तैनात कर्मचारी मरीजों से कहते हैं कि डॉक्टर साहब जिला मुख्यालय मीटिंग में गए हैं। कभी-कभी यह कहकर टाल देते हैं कि वह पोस्टमार्टम कराने गए हैं। सांप, कुत्ता, अथवा सियार के कांटे मरीज़ जब अस्पताल इंजेक्शन लगवाने जाते हैं तो उनसे पांच सौ रुपए मांगा जाता है। महुआ बाजार स्थित अधीक्षक के निजी अस्पताल में जो बच्चे पैदा होते हैं उन्हें सीएचसी गैड़ास में दर्शाया जाता है जो जांच का विषय है। च उतरौला में अल्ट्रासाउंड न होने के कारण गर्भवती महिलाओं को निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर भेजा जाता है। जहां उनसे आठ से एक हजार तक वसूले जाते हैं। निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कोई विशेषज्ञ नहीं होता है। उतरौला तहसील क्षेत्र में निजी नर्सिंग होम की भरमार है। स्वास्थ्य विभाग में कई का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। कथित चिकित्सक मरीजों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। वे लंबा चौड़ा चिकित्सा सेवा की डिग्री का बोर्ड लगाकर जगह-जगह बैठे हैं। मरीजों की हालत गंभीर होने पर रेफर कर देते हैं।
संज्ञान में होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग अनजान बना हुआ है। निजी अस्पतालों के दबाव में सीएचसी उतरौला में तैनात हृदय व हड्डी रोग विशेषज्ञ को श्रीदत्तगंज व अन्य केंद्र पर स्थानांतरित कर दिया गया है। सीएचसी उतरौला में जीवन रक्षक दवाइयां पट्टी व सिरिंज का अकाल है। दवाइयां के नाम पर अस्पताल में सिर्फ पेरासिटामोल एवं कुछ एंटीबायोटिक ही उपलब्ध है।
असगर अली
उतरौला
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