लखनऊ : 12 अक्टूबर, 2023 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज हरियाणा के रोहतक में सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ के भव्य समाधि मंदिर में कलश स्थापना व ब्रह्मलीन महंत चाँदनाथ जी महाराज की भव्य प्रतिमा की स्थापना कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरी दुनिया में आपस में संघर्ष चल रहा है। लोग अफगानिस्तान, यूक्रेन और गाजापट्टी से भाग रहे हैं। दुनिया में यदि कोई विश्व शांति की गारंटी हो सकता है तो वह केवल सनातन धर्म और भारत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यही कारण है कि जब दुनिया संकट में है, तो इस समय प्रत्येक देश, धर्मावलम्बी व पीड़ित मानव, भारत और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की तरफ आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। उन्हें विश्वास है कि भारत ही फिर से उनका सहारा बनेगा। भारत की इस आस और विश्वास के साथ जब 140 करोड़ आबादी जुड़ती है, तो यह दुनिया की एक बहुत बड़ी ताकत बनती है। इस ताकत का हम सबको हिस्सा बनना होगा। आज का यह समझ इसी ताकत को मजबूती प्रदान करने का अभियान है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम सब जानते हैं कि नाथ सम्प्रदाय भारत की सनातन धर्म परम्परा का वाहक है। सनातन धर्म, ‘एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति’ बोध वाक्य का सत्य है। पंथ, उपासना विधियां, मत और संप्रदाय इस सत्य तक पहुंचने के लिए सनातन धर्म के अलग-अलग मार्ग हैं। यह सभी मत और सम्प्रदाय इसी सत्य की पुनर्स्थापना व पुनर्प्रतिष्ठा के लिए अपने आप को समर्पित किए हुए हैं। यह हम सब का सौभाग्य है कि सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ के भव्य समाधि मंदिर में कलश स्थापना के इस भव्य आयोजन के साथ ही, इस परंपरा को नई ऊंचाई प्रदान करने वाले पूज्य महंत चाँदनाथ जी महाराज की भव्य प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। इस अवसर पर आयोजित भंडारे में देश के अलग-अलग क्षेत्रों से षडदर्शन संप्रदाय से संबंधित पूज्य जन उपस्थित हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मंजिल एक है। वह मंजिल सत्य सनातन धर्म की एकजुट होकर पुनर्स्थापना करना है। इस सत्य के प्रमुख वाहक के रूप में संघ के सर संचालक जी हम सबके साथ में हैं, जो इन सब कार्यों में समन्वय करते हैं। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का कार्यक्रम इसी समन्वय की एक महत्वपूर्ण धारा है, जो पूरी दुनिया के लिए कौतूहल और आश्चर्य का विषय तथा एक दिशा है।
जिन्हें अविश्वास था, वे पलायन करते थे। वे भूलकर भी श्री राम जन्मभूमि का नाम नहीं लेना चाहते थे। जिन्हें सनातन धर्म परम्परा व ‘यतो धर्मः ततो जयः’ सनातन वाक्य पर विश्वास था, वे लोग मानते थे कि कार्य करना हमारा कर्तव्य है परिणाम तो विधाता के हाथ में है। जो लोगों के लिए असंभव था आज भारत ने उसे सम्भव बना दिया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह नाथ संप्रदाय के संतो, सिद्धों की पवित्र साधना स्थली तथा सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी की पवित्र समाधि स्थली है। यहां पर समाधि मंदिर के भूमि पूजन का कार्य हुआ था। इस दौरान सम्पन्न हुए समारोह में पूज्य बाबा महंत चाँदनाथ जी का संकल्प झलकता था। समाधि मंदिर और कलश की स्थापना के कार्यक्रम द्वारा आज पूज्य बाबा चाँदनाथ जी महाराज के उन संकल्पों को मजबूती प्रदान की जा रही है। परकोटा निर्माण की कार्यवाही को श्री महंत बालक नाथ जी योगी ने जिस तत्परता और मजबूती के साथ आगे बढ़ने का कार्य किया है, वह अत्यंत अभिनन्दनीय है। यह एक नया संदेश देता है।
भारत की संत शक्ति कभी पलायन का रास्ता नहीं अपनाती। विपरीत परिस्थितियों में धैर्य खोए बिना यह चुनौतियों से जूझने का जज्बा रखती हैै। क्योंकि इसका उद्देश्य लोक कल्याण और इसके माध्यम से सनातन धर्म को मजबूती प्रदान करते हुए राष्ट्र कल्याण के मार्ग का अनुसरण करना है। राष्ट्र व सनातन धर्म के हित में जो कुछ भी होगा वही हमारे लिए अभीष्ट है। इसी अभियान को लेकर यह मठ निरंतर चल रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुनिया में इतनी बड़ी आबादी सभी प्रकार के मौलिक अधिकारों के साथ जी रही है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक भारत पूरी मजबूती के साथ ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के रूप में अपने आपको स्थापित कर रहा है। इसके पीछे गांव-गांव में बसे हुए और जन जागरण के अभियान से जुड़े हुए हमारे पूज्य संत जन हैं, जो सनातन धर्म के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में और इससे पहले हुए आंदोलनों में इन्होंने सदैव बढ़ चढ़कर का हिस्सा लिया है। इस समारोह में न जाति का भेद है और न मत और पंथ का। सब लोग एक जगह बैठे हैं। सब मिलकर इस अभियान से जुड़े हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा सनातन धर्म की दूसरी कड़ी अपने पूर्वजों और विरासत के प्रति अपने दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करना है। ‘कृते च प्रति कर्तव्यम् एष धर्मः सनातनः’। गुरु परम्परा के प्रति किस प्रकार सम्मान होना चाहिए यह समारोह इसका एक उदाहरण है। जिस विश्वास के साथ यहां पर बालक नाथ जी को गद्दी सौंपी गई थी, उसी परम्परा और विश्वास को पुष्ट करते हुए, अपनी गुरु परम्परा का निर्वाह करते हुए उनके द्वारा निरंतर कार्य किया जा रहा है। यह पूरा मंच और समारोह उनके प्रति अपनी शुभेच्छा व्यक्त करता है कि वह न केवल नाथ सम्प्रदाय के लिए बल्कि सनातन धर्म के मूल्यों की स्थापना के लिए चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हुए, धर्म और सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ0 मोहन भागवत, केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री जनरल वी0के0 सिंह (सेवानिवृत्त), स्वामी रामदेव, श्री महंत बालक नाथ योगी, स्वामी निर्मलानंद नाथ, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज सहित अन्य संतगण व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know