बलरामपुर //भ्रष्टाचार मुक्त योगी सरकार के तमाम दावों पर कुछ भ्रष्ट मानसिकता के अधिकारी व कर्मचारी अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए न सिर्फ़ बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं वहीं अपनी रिश्वतखोरी के द्वारा सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मोदी सरकार के दावों को भी खोखला साबित कर केंद्र और प्रदेश की सरकारों को बदनाम कर रहे हैं।
भ्रष्ट कार्यशैली वाले इन दबंग अधिकारियों व कर्मचारियों के हौसले इस लिए भी बुलंद हैं कि पीड़ितों के द्वारा इनके अनैतिक, असंवैधानिक कृत्यों की तमाम शिकायतों को जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है यह कहना भी गलत न होगा कि मनबढ़ किस्म के यह भरष्ट अधिकारी व कर्मचारी न सिर्फ़ जहां अपने विरुद्ध की गई शिकायतों को धनबल और असर व रसूख से फाइलों में दबवा कर कार्यवाही से बच जाते है वहीं शिकायत कर्ता पीड़ितों का भी उत्पीड़न करते है जिसके कारण पीड़ित इनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध विरोध तक दर्ज कराने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं।
सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी के अनैतिक कार्यों का खुलासा अधिवक्ता के द्वारा शपथ पत्र देकर की गई शिकायत से हुआ है। अधिवक्ता आनंद उपाध्याय पुत्र शारदा प्रसाद उपाध्याय निवासी ग्राम सोनार जनपद बलरामपुर ने एक शपथ पत्र देकर ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बलरामपुर यशवंत मौर्या और लिपिक सुशील कुमार पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। आनंद उपाध्याय एडवोकेट ने अपने शपथ पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान में कार्यरत ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी जनपद बलरामपुर यशवंत मौर्या द्वारा संबंधित विभाग, शासन, प्रशासन से छल कपट, कूटरचना कर, विभाग से तथ्यों का गोपन कर तथा उच्चाधिकारियों को भ्रमित कर विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त किये जाने के नित्य नये प्रयास किए जा रहे हैं। भ्रष्ट मानसिकता वाले डीएमओ यशवंत मौर्या तथा पटल सहायक सुशील कुमार जो कि एक दबंग किस्म के भ्रष्टाचारी लिपिक के रूप में हमेशा ही विवादों में रहते है जिसके विरुद्ध भ्रष्टाचार की विभिन्न शिकायतें आज भी ठंडे बस्ते में धूल फांक रही हैं के साथ मिल कर सांठ गांठ करके, सुनियोजित ढंग से, कूटरचित षड़यंत्रों के आधार भ्रष्टाचारी कुछ मदरसा प्रबंधकों के साथ मिलीभगत करके मदरसा शिक्षकों का हर स्तर पर असंवैधानिक ढंग से अहित करते हुए उन्हें डरा धमका कर रिश्वत के रूप में ना सिर्फ़ मोटी रकम वसूल करते हैं बल्कि उनका मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न भी करते हैं।L
अपने शपथ पत्र में अधिवक्ता आनंद उपाध्याय ने डीएमओ यशवंत मौर्या और लिपिक सुशील कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों ही अधिकारी व कर्मचारी ने जनपद में अपने कुछ चुनिंदा पेशेवर शिकायतकर्ताओं का एक गिरोह बना रक्खा है, भ्रष्ट मानसिकता के कुछ मदरसा प्रबंधकों के साथ मिलीभगत कर इन कथित शिकायत कर्ताओं से पहले अनुदानित मदरसा के शिक्षकों तथा कर्मचारियों के विरुद्ध कूटरचित शिकायत कराई जाती है और फिर कथित शिकायत पर पहले विभाग के यह दोनों अधिकारी कर्मचारी अभिलेख की जांच के नाम पर पीड़ितों को विभाग के चक्कर लगवा कर उन्हें डरा धमका कर उनका उत्पीड़न करते हैं जब पीड़ित डर जाता है तब उससे धन उगाही की जाती है। शपथ पत्र में शिकायत कर्ता ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यशवंत मौर्या और सुशील कुमार अपने चहीते रिश्वत खोर कुछ मदरसा प्रबंधकों से मिलीभगत करके कथित शिकायतों को आधार बनाकर कर मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों को कार्यवाही का डर दिखा के जबरन उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने पर विवश कर दिया जाता है। यही नहीं मदरसा शिक्षकों के वेतन भुक्तान करने के नाम पर भी 5% की रिश्वत वसूल की जाती है। अगर कोई मदरसा रिश्वत नहीं देता है तब फिर विभागीय स्तर पर वेतन भुक्तान में विलंब कर रुकावट पैदा कर उन्हें प्रताड़ित करके अवैध धन उगाही की जाती है और विवश होकर पीड़ित रिश्वत देकर वेतन भुक्तान कराते हैं।
अधिवक्ता आनंद उपाध्याय के आरोपों के अनुसार डीएमओ यशवंत मौर्या और संबंधित विभाग का सहायक लिपिक सुशील कुमार कथित शिकायतों के आधार पर योगी सरकार और जिलाधिकारी का भय दिखा कर पीड़ितों से धन उगाही का खेल खेला जाता है। यशवंत मौर्या अपने निज निवास पर रात्रि 7:00 बजे के क़रीब पीड़ितों को बुलाते हैं और लिपिक सुशील कुमार की मौजूदगी में उनसे कहा जाता है कि यह प्रदेश में योगी सरकार है और जानते हो तुम मदरसा शिक्षकों को फर्जी प्रकरण में जेल भेजवा कर मदरसे में ताला लगवा दिया जाएगा और मुझे भी सरकार से शाबाशी मिलेगी प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा है कि किसी भी तरह मदरसों को बंद किया जाए मगर हम तुम्हारे हमदर्द हैं जो थोड़ा बहुत पैसा तुम लोग देते हो उसमें से विधायक, मंत्री, डीएम, रजिस्ट्रार को भी हिस्से के रूप में रिश्वत की मोटी रकम हमलोगों को देनी पड़ती है। यही नहीं मोटी रकम लेकर यह रिश्वत खोर अधिकारी कर्मचारी पीड़ितों से कथित शिकायत पर समझौते के नाम पर भी मोटी रकम वसूल कर ली जाती है। शपथ पत्र के अनुसार मदरसा अहले सुन्नत फजले रहमानिया पचपेड़वा तीन अध्यापकों की फर्जी नियुक्ति का खेल खेला गया। विभाग के अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत से कथित अध्यापकों के बिना संस्था को सेवा एंव योगदान के ही रजिस्ट्रार उ० प्र० मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा अनुमोदन करा लिया गया एवं अनुमोदन प्राप्ति के करीब 04 महीने बाद योगदान ग्रहण कराया गया। जिसके साक्ष्य स्वरूप मदरसे के CCTV फुटेज एवं प्रधानाचार्य द्वारा जिलाधिकारी व कोषाधिकारी को संबोधित शिकायती पत्र विभाग में कथित जांच की फाइलों में आज भी धूल फांक रहे हैं। इसी तरह मदरसा दारुल उलूम सरकार-ए-आसी सादुल्लानगर जनपद बलरामपुर में हुये फर्जी नियुक्तियों में ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी यशवंत मौर्या तथा लिपिक सुशील कुमार शिकायतों के बावजूद धन लाभ लेकर फर्जी निस्तारण कर दिया।
यही नहीं अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी यशवंत मौर्य एवं पटल सहायक श्री सुशील कुमार के हौसले इतने बुलंद हैं कि संबंधित विभाग की ईमेल आईडी पर भेजी गई शिकायत तक को मोटी रकम रिश्वत के रूप में लेकर डिलीट कर दिया गया जिससे शासन स्तर पर इन भ्रष्टाचारियों की पैठ का भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है इससे यह साफ़ होता है कि ज़िला और प्रदेश स्तर पर भ्रष्टाचार की जड़ें फैली हुई हैं।(शासन के आदेश सं० 1834/52-3-2023 दिनांक 25/09/2023 जो कि शासन द्वारा ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी जनपद बलरामपुर के e-mail पर भेजा गया) इसके अतरिक्त ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी यशवंत मौर्य तथा लिपिक सुशील कुमार ने रिश्वत के रूप में मोटी रकम लेकर नियम विरुद्ध तरीके से मदरसा अहले सुन्नत फखरुल उलूम जनपद बलरामपुर में 12(5) की व्यवस्था लागू कर दी गई जबकि सोसाइटी अधिनियम के अनुसार डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स द्वारा धारा 25(2) में स्पष्ट आदेश के बाद ही किसी प्रबन्ध समिति को अवैध कहा जा सकता है या प्रबन्ध समिति के विवादित होने का प्रमाण दिया जा सकता है। आरोप यह भी है कि इन भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी ने मदरसा माफिया के रूप में कुख्यात निलम्बित मदरसा प्रिंसिपल अब्दुल वहाब खां से रिश्वत के रूप में 3 लाख रुपए लेकर, प्रबंध समिति के संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए असंवैधानिक ढंग से जबरन चार्ज दिला दिया गया जबकि प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तथा मदरसा नियमावली 2016 के अनुसार प्रबंध समिति के द्वारा की गई संवैधानिक कार्यवाही नियुक्ति, निलंबन तथा निस्कासन आदि में DMWO को किसी तरह के दखल देने का अधिकार नहीं है। मदरसा फैजुल उलूम पिपरी बनघुसरी व मदरसा कासिमुल उलूम गुलरिहा में प्रधानाचार्यो से मिलकर मोटी रकम लेकर 12(5) की व्यवस्था भी लागू करते हुए प्रबंध समिति के अधिकारों का हनन किया गया।
शपथ पत्र में लगाए गए आरोपों के अनुसार ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी यशवंत मौर्या और पटल सहायक सुशील कुमार के भ्रष्टाचार के आतंक से लोग भयभीत हैं। पूरे भ्रष्टाचार के खेल में सुशील कुमार को ही मास्टर माइंड बताया जा रहा है अब देखने वाली बात यह है कि इन भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध योगी सरकार क्या कार्यवाही करती है या यह शिकायती शपथ पत्र भी जांच के नाम पर विभागों की फाइलों में दबा दिया जाएगा और मदरसा शिक्षक व कर्मचारी उत्पीड़न के साथ ही जीवन व्यतीत करने पर विवश रहेंगे।
उमेश चन्द्र
हिन्दी संवाद न्यूज़
भारत
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