विलुप्त न हो “संजा पर्व” की परंपरा इश्लिये छोटी बहनों को सीखा रही ग्राम बीड की बहनें।
श्राद्ध पक्ष में 16 दिन तक मनाये जाने वाला “संजा पर्व” अब मोबाइल और कम्प्यूटर के आधुनिक युग मे लगभग लुप्त होता जा रहा है। शहर में सीमेंट की इमारतें और दीवारों पर महंगे पेंट पुते होने, गोबर का अभाव, लड़कियों के ज्यादा संख्या में एक जगह न हो पाने की वजह, टीवी, इंटरनेट का प्रभाव और पढ़ाई पर ज़ोर की वजह से शहरों में संजा मनाने का चलन खत्म सा हो गया है।
परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में यह परंपरा आज भी जीवित है। ग्राम बीड़ के रहने वाले युवा संजय प्रजापत ने बताया कि ग्राम बीड में सोनाली और मोनिका ने अपनी छोटी छोटी बहनों सोनू, अनमोल, वैशाली, परिधि, तमन्ना, सोनल, मानवी, तनु, को लोकपर्व “संजा पर्व” का महत्व बताया ताकि वे पर्व को लेकर जागरूक हो सके। उन्होंने यह पर्व अपनी दादी और माँ से सीखा था जो वह इन सभी बालिकाओ को सीखा रही है। उन्होंने उसने अपने घर की दीवार पर गाय के गोबर से अलग- अलग प्रकार की आकृतियां बनवाकर संजा माता के रुप में पूजन करवाया। बालिकाओ ने बहनों के कहे अनुसार गोबर से संजा की बड़ी आकृति बनाई शाम को संजा माता की आरती कर संजा बाई के गीत संजा माता जीम ले चूठ ले, जीमाऊं सारी रात, हाथी हथनी को घोड़ा घोड़ी से बांधवों में तो नही जाऊ दादाजी ससुराल जैसे गीत गाये । बहनों ने अपनी छोटी बहनों को पर्व का महत्व बताते हुए कहा की संजा माता को माता पार्वती का रूप माना जाता है , इस पर्व में बारिश के दिनों में गोबर से दीवारों पर संजा माता बनाने से मच्छर घरों में प्रवेश नहीं करते हैं। इससे बीमारियां भी दूर रहती है। संजा माता का विसर्जन अमावस्या तिथि पर नदी में किया जाता है। संजा फूली की परंपरा को संजोए रखने हेतु बड़ी बहनों ने छोटी छोटी बहनों को पर्व की जानकारी दी। लेकिन कई जगह यह परंपरा लुप्त होती जा रही है तो कही कही आज भी इसका चलन देखकर संस्कृति के जीवित होने का सुख मिलता है। शहरों में भी कुछ परिवार अब भी इस लोकपर्व को जीवित रखे हुए है। हालांकि शहरों में अब गोबर की जगह संजा का रूप फूल-पत्तियों से कागज में तब्दील होता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में दीवारों पर अब भी गोबर से चांद, सितारे, सूर्य व कई प्रकार की आकृतियां बनाई जाती है। इन्हें रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। लेकिन शहरों में गोबर से दीवारों पर आकृतियां बनाने का चलन धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। रेडिमेड संजा माता के चित्र को दिवारों पर लगाने की परंपरा प्रारंभ हो गई है।
मोबाइल न 97543 20132
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know