राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।हमारी जनरेशन वाले बच्चों ने कभी भी अपने माँ बाप को "आई लव यू"नहीं कहा होगा । हमारे यहां तो ये सब चोंचले चलते ही नहीं हैं, ना ही हम कभी भी अपने छोटे भाई बहनों को मिस यू लव यू का मैसेज करते है , पता नहीं क्यों ? लेकिन हमे लव यू मिस यू कहना कतई मूर्खतापूर्वक लगता है । आज भी हमारे बाबूजी जब भी मन चाहता है तब हमें प्रेम से एहसास दिला देते हैं कि वे हमारे बाप हैं । हमारी माताजी हमको ज्यादा गाली नहीं देती है बस भरपेट सुना दिया करती हैं । लेकिन हमें भरपेट सुनाने के बाद भी हमें भरपेट खाना खिलाना नहीं भूलती हैं। कायदे से अगर देखा जाए तो मुझे तो याद नहीं है कि मैंने कभी अपनी बहनों से यह कहा हो कि मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं ना ही मैंने कभी उनसे यह भी कहा है कि उन दोनों के खुशियों में मेरी जान बसती है । ये अलग बात है हम दोनों का हंसता हुआ चेहरा देख कर मेरा दिन बन जाता है ना ही मैंने अपने छोटे भाई से कभी यह कहा है कि तू आगे चल पीछे मैं खड़ा हूँ । हमारे घर में हर मुद्दे पर खुलकर बात नहीं होती है, हमारे बाबूजी के हिसाब से हम इस संसार के सबसे लोभी और आप मतलबी इंसान हैं । हमारी माताजी के हिसाब से हम बहुत शरीफ है ।लेकिन हमें अपने बूरे दोस्तों का साथ छोड़ देना चाहिए । क्योंकि हमारे दोस्त हमें बिगाड़ रहे हैं । बहनों के हिसाब से हम इस दुनिया के सबसे बड़े कामचोर इंसान हैं और भाइयों की माने तो उनका तो मुद्दा क्लियर है कि भैया आप करो तो रासलीला और हम करें तो कैरेक्टर ढीला।
लेकिन तमाम मतभेदों के बावजूद भी परिवार के बीच में एक अजीब सी डोर बंधी हुई है । चोट मुझे लगती है आंसू मेरे मां की आंख से निकलते हैं दर्द मेरी बहनों को होता है और उस दर्द की आवाज अक्सर पापा की वो खामोश आंखें बयां कर देती हैं । फिर भी आज हमारे बाबू जी को पूरा यकीन है कि उनका बड़ा बेटा सब देख लेगा, आज भी माताजी को यकीन है के घर पर आने वाले किसी भी तरह की आफत का सामना करने के लिए सबसे पहले उनका बड़ा बेटा खड़ा है । बहनों को आज भी यकीन है कि उनका भाई उनके पीछे है ,छोटे भाइयों को आज भी यकीन है जब भैया साथ में है तब डर किस बात का है।हर 16 साल का के लड़के का बाप जानता है कि उसका लड़का इस उम्र में क्या कर रहा होगा हर 17 साल की लड़की की मां जानती है कि इस उम्र में कॉलेज में उसकी लड़की के आसपास का माहौल क्या होगा ? सारे बातों को जानने और समझने के बाद भी कभी-कभी हमारे मां पापा मौन रहते हैं । वह इसलिए नहीं कि हमारे मां-बाप अनपढ़ गवार हैं बल्कि इसलिए कि वह एक सभ्यता की जंजीरों में जकड़े हुए हैं वह धीरे-धीरे पीढ़ी दर पीढ़ी परंपराओं को अपनी आने वाली नस्लों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। लेकिन मैकाले की शिक्षा पद्धति,और आधुनिकीकरण की अंधी दौड़ ने हमसे धीरे-धीरे हमारा अभिमान ही छीनना ही शुरु कर दिया । आज जिस घर में बाप अपने बेटे से यह पूछ लेता है कि बेटा कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं । वह घर सोसाइटी वाला घर कहलाता है जिस घर में मां अपनी बेटी के बॉयफ्रेंड से बात कर लेती है उस घर को शिक्षित माना जा रहा है जिस घर में छोटा भाई अपने बड़े भाई की गर्लफ्रेंड को भाभी कहकर फोन कर लिया करता है उस घर को पढ़ा लिखा परिवार कहा जा रहा है, ऐसे घरों में धीरे धीरे वृद्ध आश्रम का निर्माण होता जा रहा है। अगर यह सारी बातें आपको आधुनिकीकरण का हिस्सा बनाती हैं तो हम भारतीय बच्चों को गर्व है कि हम आज भी अनपढ़ और अशिक्षित परिवार से संबंध रखते हैं । हमें गर्व है कि हम आज भी बाबूजी का पैर दबाते हैं । हमें गर्व है कि हम आज भी माताजी से गाली सुनते हैं । हमें गर्व है कि हमारे भाई बहन आज भी हमारी इज्जत करते हैं ।

हमें गर्व है कि हम आपके आधुनिकीकरण का हिस्सा नहीं हैं।

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