राजकुमार गुप्ता 
। विश्व साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितम्बर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा यूनेस्को द्वारा 7 नवंबर 1965 को की गई थी। इस प्रकार पहला अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितम्बर 1966 को मनाया गया। इसका उद्देश्य दुनियाभर में शिक्षा के महत्व को दर्शाने और निरक्षरता को समाप्त करना और लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना है।

विश्व सारक्षता दिवस के अवसर पर राष्ट्रवादी समाजिक चिंतक एवं वरिष्ठ समाजसेवी मुशरफ खान ने कहा कि - 'पढ़ने लिखने का ज्ञान वो शक्ति हैं, जो सशक्त समाज व राष्ट्र का निर्माण करती हैं। साक्षरता की ताकत किसी भी घर, परिवार और समाज के साथ उस देश के सम्पूर्ण विकास की नींव को मजबूत करती हैं। साक्षरता ना केवल लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करती हैं बल्कि ग़रीब की गरीबी मिटाने में भी मदद करती हैं। इसीलिए लोगों को साक्षर होने के और सामाजिक और मानव विकास के अपने अधिकारों को जानने की जरूरत के बारे में जागरूक होने की जरूरत हैं। क्युकी शिक्षा वह धन है, जिसे न तो बाँटा जा सकता है और न तो चुराया जा सकता है। शिक्षा बाँटने से कभी कम नहीं होती है। इसलिए सभी पढ़े सभी बढ़े। सिर्फ़ शिक्षा ही वह धन हैं, जो बाँटने से कभी भी कम नहीं होता। शिक्षित होंगे सभी भारतीय जन तभी विकसित होगा हमारा वतन। इसलिए इस विश्व सारक्षता दिवस पर सभी भारतीय जन संकल्प लें कि राष्ट्रहित में नये भारत को जल्द पूर्ण साक्षर देश बनाएंगे। इसी कामना के साथ विश्व सारक्षता दिवस पर सभी देशबासियों को शुभकामनाएं।

श्री खान साहब ने आगे कहा कि आइए इस बार विश्व साक्षरता दिवस पर नयी शुरुआत बताने या समझाने से नहीं, समझने से करते हैं। एक नई शुरुआत हम खुद से करते हैं और इस साक्षरता दिवस पर प्रण करते हैं कि हम हर बच्चे, बच्ची, महिला और व्यक्ति को साक्षर बनाने के लिए गरीब बस्तियों में जाकर शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास करेंगे। क्युकी कोई जरूरी नहीं है,कि इसके लिए हमें कोई बड़े काम से शुरुआत करनी हो। क्युकी आहुतियां छोटी ही होती है, लेकिन यज्ञ का महत्व और उद्देश्य बड़ा होता है। ठीक वैसे ही हमारी छोटी-छोटी कोशिशें भी कई बार बड़ा आकार लेने में सक्षम होती हैं। इसलिए ज्ञान के प्रकाश से ग़रीब वंचित तबके को इस महत्वपूर्ण बात का एहसास कराएं कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। अगर हम आप अपने क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर कोई छोटा सा समूह बनाकर उसके स्कूल जाने की व्यवस्था जरूर कर सकते हैं। इतना ही नहीं अपना कुछ वक्त निकाल कर उन ग़रीब, पिछड़े क्षेत्रों व लोगों के बीच शिक्षा के महत्व को साझा भी कर सकते हैं। जहां शि‍क्षा से जरूरी, मजदूरी और ज्ञान से जरूरी भोजन होता है। इसलिए आप कम से कम मोदी सरकार की शिक्षा संबंधी योजनाओं की जानकारी तो बांट ही सकते हैं। जो आपके छोटे से प्रयास से अंधकारमय जीवन में एक नया दीपक जला सकती है। क्योंकि शिक्षा, रोजगार या पैसे से ज्यादा खुद के विकास के लिए बेहद जरूरी है। खास मायने में विश्व साक्षरता दिवस शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और लोगों का ध्‍यान शिक्षा की तरफ आकर्षित करने के साथ ही उन्हें सही शिक्षा के संस्कार देना बेहद जरूरी है तथा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं सभी भारतीयों युवाओं को चाहिए कि वे सिर्फ साक्षर ना बनें, बल्कि राष्ट्रहित में नये भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति संकल्पित होकर एक अच्छे देश के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।

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