एग्जिबिटर्स ने कहा, योगीजी के शासन कौशल की जितनी तारीफ की जाए कम है
पारंपरिक कला से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए जितना काम किया, अब तक की सरकारें नहीं कर पाई थीं
ग्रेटर नोएडा/लखनऊ, 21 सितंबर।
ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर और मार्ट में गुरुवार को यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का आगाज हो गया। प्रदेश भर से आए 2000 से ज्यादा एग्जिबिटर्स ने देश और दुनिया के उद्यमियों के सामने अपने उत्पाद प्रस्तुत किए। आयोजन में ओडीओपी उत्पाद और पारंपरिक कला से जुड़े उत्पादों की खास धमक दिख रही है। मुरादाबाद की पीतल के बर्तनों पर की गई नक्काशी हो या बनारस के पारंपरिक लकड़ी के खिलौने, मेरठ की क्रिकेट गेंद हो या आजमगढ़ के मिट्टी के बर्तन, देश और दुनिया से आए कारोबारियों को लुभा रहे हैं। आयोजन में भाग ले रहे एग्जिबिटर्स का कहना है कि योगीजी के शासन कौशल की जितनी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने गरीब और हम जैसे पारंपरिक कला से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए जितना काम किया, प्रदेश की अब तक की सरकारें नहीं कर पाई थीं। इस तरह के अंतरराष्ट्रीय शो के माध्यम से स्थानीय कलाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और कला से जुड़े लोगों के लिए नए मौके खुलेंगे।
पीतल के बर्तन पर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध मुरादाबाद के खूब सिंह यादव का कहना है कि इस तरह के आयोजन से पारंपरिक कला का विकास होगा। उन्होंने बताया कि उनके पूरे परिवार का जीविकोपार्जन इसी कला के माध्यम से होता है। विधि से स्नातक करने के बाद भी पारंपरिक कला को ही आय का साधन बनाने वाले यादव ने कहा कि योगीजी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पारंपरिक कलाओं और कलाकारों को काफी प्रोत्साहन मिला है। सही मायने में कहें तो उनके जैसा न पहले कोई मुख्यमंत्री हुआ और न भविष्य में होगा। सरकार की तरफ से आज कई स्किल डेवलपमेंट के प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, जिससे हमें अपने उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग और मार्केंटिंग में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शो के माध्यम से विदेशों में अपने उत्पादों को पहुंचाने में मदद मिलेगी।
बनारसी लकड़ी के खिलौने का स्टॉल लगाने वाले रामेश्वर सिंह भी प्रदेश के पहले अंतरराष्ट्रीय ट्रेड शो के आयोजन से काफी प्रभावित दिखे। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि केंद्र में नरेंद्र मोदी जी की सरकार और प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में हम जैसे पारंपरिक कला से जुड़े कारिगरों को काफी प्रोत्साहन मिला है। 2014 में लकड़ी के खिलौनों को जीआई टैग मिलने के बाद से इसकी मांग देश ही नहीं दुनिया में भी काफी बढ़ गई है। इस कला से जुड़े लोगों के आय में भी करीब 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। केंद्र और प्रदेश सरकार की आसान ऋण योजना के माध्यम से हम जैसे छोटे कारीगरों को भी एक बड़े कारोबारी के रूप में पहचान पाने का हक इसी सरकार ने दिया है।
काली मिट्टी के बर्तन बनाने की प्राचीन कला को सहेज रही आजमगढ़ की रीता प्रजापति ने बताया कि योगी सरकार पारंपरिक कलाओं को जीवित रखने और कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए कई बेहतर कदम उठा रही है। कोरोना जैसी भयंकर महामारी के मुश्किल दौर में भी सरकार ने उनके परिवार को इलक्ट्रॉनिक चाक और मिट्टी घोलने की मशीन दी थी। इस तरह के आयोजन से उन्हें अपनी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का मौका मिल रहा है।
बिजनौर के कारोबारी मोहम्मद मतलूब कहते हैं कि पूर्व की सरकार की तुलना में योगी सरकार पारंपरिक कलाओं को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दे रही है। प्रदेश में पहली बार ऐसी सरकार आई है जो हम जैसे छोटे कारीगरों की मदद के लिए भी कई सारे कदम उठा रही है।
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