प्रदेश में शाला पूर्व शिक्षा को बच्चों के लिए सुलभ, आकर्षक और सुरक्षित बनाने हेतु होगा सभी आंगनवाड़ी केंद्रों का कायाकल्प

यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा बनाई गई है आंगनवाड़ी कायाकल्प की योजना

अंतर्विभागीय समन्वय से बदलेगी आंगनवाड़ी केंद्रों की तस्वीर

जिला स्तरीय अधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण लखनऊ में हुआ आयोजित
लखनऊ: 18 सितम्बर, 2023

प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर अब बच्चों के लिए स्वच्छ पेय जल, बाल सुलभ शौचालय, हाथ धोने की व्यवस्था आदि अन्य बाल मैत्रिक सेवाएँ उपलब्ध होंगी। विद्यालय कायाकल्प की ही भांति प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों का भी कायाकल्प किया जाएगा। इसके लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) का एक दिवसीय राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण सोमवार को बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से किया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बाल सुलभ सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से ‘आंगनवाड़ी कायाकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम को समग्र शिक्षा अभियान और पंचायती राज विभाग के सहयोग से सभी जिलों के जिलाधिकारी एवं सीडीओ के नेतृत्व में जल, स्वच्छता एवं पोषण सेवाओं के सुधार हेतु लागू किया जा रहा है। कार्यक्रम का लक्ष्य नई शिक्षा नीति 2020  एवं पोषण 2.0 के अनुसार बच्चों के लिए शाला पूर्व शिक्षा को सुलभ, सुखद एवं सुरक्षित बनाना है।
आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रदेश की महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा, “आंगनवाड़ी केंद्रों का कायाकल्प बच्चों के विकास को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा। इस कार्य को विभाग के सभी अधिकारियों को मिल कर सुनिश्चित करना होगा और प्रदेश के बच्चों को शिक्षा और पोषण की उचित शुरुआत देने में सहयोग करना होगा”।  
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 1,89,000 आंगनवाड़ी केंद्र हैं जहां छः वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती/स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री सुश्री प्रतिभा शुक्ला ने कहा, “बच्चों को गुणवत्तापूर्व शाला पूर्व शिक्षा देना प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी का सपना है। आंगनवाड़ी कायाकल्प के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों पर दी जाने वाली सुविधाएँ और सेवाएँ को बच्चों के अनुकूल बना कर इस सपने को साकार किया जा सकता है”।
कार्यक्रम में उपस्थित सुश्री अनामिका सिंह, सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने चरणबद्ध तरह से सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के कायाकल्प हेतु अधिकारियों को प्रेरित किया और अंतर विभागीय समन्वय पर जोर दिया।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक, सुश्री सरनीत कौर ब्रोका ने कहा, “आंगनवाड़ी कायाकल्प अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्र परिसर को बाल सुलभ बनाने हेतु 18 बिंदुओं पर कार्य किया जाएगा जिनमें समूह में बच्चों के अनुकूल हाथ धोने की इकाइयाँ, विकलांग बच्चों के लिए रेलिंग के साथ रैंप, स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल का प्रावधान, लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग शौचालय, बिजली की व्यवस्था, परिसर में आवश्यक मरम्मत कार्य एवं नवीकरण आदि शामिल हैं। परिसर पर सेवाओं को बेहतर बनाने के साथ ही, आंगनवाड़ी कायाकल्प कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का क्षमता वर्धन भी किया जाएगा जिससे बच्चों के शुरुवाती वर्षों में उन्हें सर्वाेत्तम सेवाएँ प्रदान की जाएँ”।  
आंगनवाड़ी केंद्रों की मौजूद स्थिति के आँकलन हेतु 186,000 केंद्रों का बेसलाइन सर्वे किया जा चुका है। प्रदेश के प्रत्येक ब्लॉक में एक मॉडल आंगनवाड़ी कायाकल्प लर्निंग लैब विकसित की जा रही है जिससे अन्य सभी केंद्रों के कायाकल्प में सहयोग मिलेगा।
आंगनवाड़ी केंद्रों के कायाकल्प कार्य की निगरानी हेतु रियल टाइम मॉनिटरिंग डैशबोर्ड भी विकसित किया गया है।  
यूनिसेफ़ के वाश ऑफिसर श्री कुमार विक्रम ने कहा, “स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण हर बच्चे का अधिकार है। आकर्षक आंगनवाड़ी केंद्र एवं बाल सुलभ जल एवं स्वच्छता सेवाएँ बच्चों को बीमारियों एवं कुपोषण से सुरक्षित करने में सहायक होंगे और बच्चों को केंद्र पर आने के लिए प्रेरित करेंगी। यह सभी सुविधाएँ बच्चे के शिक्षा, स्वास्थय एवं पोषण की गुणवत्ता को सुनिश्चित करेंगी और उनके विकास में सहायक होंगी”।  
यूनिसेफ द्वारा आंगनवाड़ी कायाकल्प हेतु तकनीकी सहयोग प्रदान किया जा रहा है जिसमें कायाकल्प सुविधाओं का आकलन करना, योजना बनाना, प्रशिक्षण आदि के माध्यम से गुणवत्ता सुनिश्चित करने में सहयोग देना एवं मॉनीटरिंग आदि कार्य शामिल हैं।
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब तक, बस्ती, बरेली, कानपुर, वाराणसी, अलीगढ़, मोरदाबद  और पीलीभीत आदि जिलों में मॉडल आंगनवाड़ी कायाकल्प लर्निंग लैब विकसित किए जा चुके हैं।  प्रदेश के बस्ती जिले में जिलाधिकारी के नेतृत्व 13 मौजूदा आंगनवाड़ी केंद्रों का नवीनीकरण किया जा चुका है एवं 56 आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्य प्रगति पर है।
कायाकल्प के माध्यम से विगत तीन वर्षों में उतरिष्ट कार्य हेतु अधिकारियों को सम्मानित किया गया जिसमें अलीगढ़, वाराणसी, लखनऊ, अमेठी एवं कानपुर नगर शामिल थे।
कार्यशाला में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के उप निदेशक श्री ज़फ़र खान एवं सुश्री अनुपम शांडिल्य सहित यूनिसेफ के अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अनुपम शांडिल्य द्वारा किया गया।

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