जौनपुर। प्रसिद्ध त्रिलोचन महादेव मंदिर रहस्यों से है भरा
                
जौनपुर। जिले का प्रसिद्ध त्रिलोचन महादेव मंदिर जहां अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है वहीं पर्यटन का भी मुख्य केंद्र है। त्रिलोचन महादेव मंदिर क्षेत्र का सबसे प्रमुख मंदिर है, जोकि भगवान शिव को समर्पित है और एक छोटे से कुंड के सामने बनाया गया है। 

किंवदंतियों के अनुसार यहां भगवान ब्रह्मा ने एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसके बाद शिव यहां प्रकट हुए थे। मंदिर के अंदर एक शिवलिंग और कई छोटे मंदिर हैं जो अन्य देवताओं को समर्पित हैं। माना जाता है कि इस धाम में पवित्र मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है और इसलिए शिवरात्रि या सावन जैसे अवसरों पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां स्थित शिवलिंग के संदर्भ में यह मान्यता है कि शिवलिंग समय के साथ बड़ा होता जा रहा है। करीब 60 साल पहले शिवलिंग की ऊंचाई 2 फीट थी जबकि आज यह ऊंचाई 3 फीट से भी अधिक हो गयी है। इतना ही नहीं, समय के साथ शिवलिंग की चमक भी बढ़ी है तथा शिवलिंग पर भोलेबाबा की तीसरी आंख भी साफ नजर आने लगी है। इस घटना से महादेव पर लोगों की आस्था और भी प्रगाढ़ होती जा रही है। भक्तों की आस्था देख कर मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। इसके अलावा मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण भी कराया गया है। 
     
यह मंदिर रहस्यमयी गाथाओं को समेटे हुए है। ऐसा विश्वास है कि यहां स्थित शिवलिंग कहीं से लाया नहीं गया है अपितु बाबा भोलेशंकर यहां स्वयं विराजमान हुए हैं। कहा जाता है कि मंदिर को लेकर समीपवर्ती दो गांवों रेहटी और डिंगुरपुर में विवाद था कि यह मंदिर किस गांव की सरहद के भीतर है। कई पंचायतें और तर्क-वितर्क हुए किंतु कोई परिणाम न आया। तब दोनों गांवों के बुजुर्गो ने फैसला किया कि यह फैसला स्वयं भगवान भोलेनाथ करेंगे और उन्होंने मंदिर को बाहर से बंद कर अपने-अपने पक्षों का ताला जड़ दिया और घर चले गए। अगले दिन जब पक्षों के लोग मंदिर पहुंचे तो शिव लिंग स्पष्ट रूप से उत्तर दिशा में रेहटी ग्राम की तरफ झुका हुआ था जिसे देख लोग आश्चर्यचकित हो गये। तभी से उस शिव मंदिर को रेहटी गांव में माना जाता है। मंदिर के सामने पूर्व दिशा में रहस्यमयी ऐतिहासिक कुंड भी है जिसमें हमेशा जल रहता है। मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से बुखार और चर्म रोगियों को लाभ मिलता है।

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