मथुरा ! नाग टीला यहां पर पूजन करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि राजा जनमेजय के पिता राजा परीक्षित को तक्षक नामक सर्प ने डस लिया था। इससे क्रोधित होकर कुरुक्षेत्र में जनमेजय ने यज्ञ किया। जब तक्षक नहीं मिला तो मंत्रों से सर्पों को भस्म करना शुरू कर दिया। तक्षक जान बचाने को भगवान इंद्र के ¨सहासन से लिपट गए। मंत्रों के प्रभाव के कारण इंद्र का ¨सहासन भी हिलने लगा। इस पर सभी देवता एकत्रित हुए। ब्रह्माजी ने जनमेजय से कहा कि यह क्या कर रहे हो। तुम्हारे पिता को श्राप था। जब राजा जनमेजय को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने मथुरा के नाग टीला पर सर्प दोष निवारण यज्ञ कराया। इस टीले पर नाग बिहारी का मंदिर है। महंत बालकिशन चतुर्वेदी बताते हैं कि इस टीले पर पूजन करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी को यहां पूजन करने का विशेष महत्व है।
मथुरा: नाग पंचमी के अवसर पर भक्तों के द्वारा नाग देवता का पूजन
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