मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
लखनऊ : 01 अगस्त, 2023
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित करने हेतु 40 मेगावॉट की सोलर विद्युत उत्पादन परियोजना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 के अनुसार अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित करने हेतु 40 मेगावॉट की सोलर विद्युत उत्पादन परियोजना के लिए ग्राम माझा रामपुर हलवारा एवं ग्राम माझा सरायरासी परगना हवेली अवध तहसील सदर की 66.812 हेक्टेअर (165.10 एकड़) भूमि 01 रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष के सांकेतिक मूल्य की दर से अधिकतम 30 वर्ष के पट्टे पर जिलाधिकारी अयोध्या द्वारा अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग को उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
अयोध्या शहर में सरयू नदी के निकट चिन्हित उक्त भूमि पर 40 मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना हेतु एन0टी0पी0सी0 ग्रीन इनर्जी लि0 को नामित किया जाना प्रस्तावित है।
इस परियोजना से उत्पादित ऊर्जा को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा कॉस्ट बेसिस आधार पर निश्चित टैरिफ/दर प्रति यूनिट पर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि0 द्वारा क्रय किया जाएगा। उत्पादित ऊर्जा को 25 वर्ष तक क्रय करने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि0 एवं एन0टी0पी0सी0 ग्रीन इनर्जी लि0 के मध्य ऊर्जा क्रय अनुबन्ध निष्पादित किया जाएगा। कॉस्ट बेसिस आधार पर निश्चित टैरिफ/दर प्रति यूनिट पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग का अनुमोदन प्राप्त कर लिया जाएगा।
प्रस्तावित सौर ऊर्जा परियोजना की अनुमानित लागत 160 करोड़ रुपये एन0टी0पी0सी0 ग्रीन इनर्जी लि0 द्वारा स्वयं के स्रोतों से वहन की जाएगी। विद्युत निकासी का व्यय राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इस पर लगभग 09 करोड़ रुपये का वित्तीय उपाशय अनुमानित है।
परियोजना की स्थापना हेतु नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) द्वारा एन0टी0पी0सी0 ग्रीन इनर्जी लि0 को सांकेतिक मूल्य 01 रुपया प्रति एकड़ प्रतिवर्ष के लीज रेट पर प्राप्त भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। परियोजना की स्थापना हो जाने से प्रतिवर्ष सस्ती दर पर 70.08 मिलियन यूनिट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिसे अयोध्या की मांग की पूर्ति के लिए ग्रिड में फीड किया जाएगा। परियोजना के क्रियान्वयन से सरयू नदी के निकट अनुपयोगी भूमि का उत्पादक उपयोग हो सकेगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन भी होगा।
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बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के गठन के लिए भूमि क्रय, औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार तथा अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को भूमि क्रय के लिए ऋण के मद में आवंटित 8,000 करोड़ रु0 की कार्य योजना का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के गठन के लिए भूमि क्रय, बुन्देलखण्ड में औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार तथा अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को भूमि क्रय के लिए ऋण के मद में आवंटित 8,000 करोड़ रुपये की कार्य योजना के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
निर्णय के अनुसार 8,000 करोड़ रुपये की ब्याज मुक्त राशि में से 5,000 करोड़ रुपये की धनराशि नवसृजित होने वाले बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के गठन एवं उसके विकास हेतु उपयोग में लायी जाएगी। इस धनराशि में से प्रारम्भिक तौर पर यूपीसीडा द्वारा बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से भूमि क्रय हेतु आवश्यकतानुसार धनराशि जिलाधिकारी झांसी को उपलब्ध करायी जाएगी। प्राधिकरण के औपचारिक गठन तथा प्राधिकरण में कार्मिकों की तैनाती हो जाने पर शेष धनराशि भूमि क्रय एवं विकास कार्यां के लिए नवगठित बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण को उपलब्ध करा दी जाएगी।
स्वीकृत धनराशि में से भूमि विकास के लिए किये जाने वाले कार्यां का अनुमोदन अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जा सकेगा। राजकोष से आहरित धनराशि पर ब्याज अर्जित होने की स्थिति में ब्याज की धनराशि राज्य की समेकित निधि में समय से जमा करने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। यूपीसीडा/बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत ऋण की धनराशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से प्रस्तुत कराया जाएगा।
यू0पी0 ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 के निवेशकों द्वारा पूरे प्रदेश में विकसित भूमि की मांग की जा रही है। इसके लिए भूमि क्रय की आवश्यकता है। अतः अवशेष 03 हजार करोड़ रुपये में से आवश्यकतानुसार भूमि क्रय हेतु धनराशि, बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अतिरिक्त, अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा मांग किये जाने पर कतिपय शर्तां के अनुसार उपलब्ध करायी जाएगी। इसके तहत भूमि लागत का 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा ब्याज मुक्त ऋण के रूप में तथा शेष 50 प्रतिशत धनराशि का वित्त पोषण सम्बन्धित प्राधिकरण द्वारा वित्तीय संस्थाओं/स्वयं के स्रोतों से कराया जाएगा।
समस्त औद्योगिक विकास प्राधिकरण से प्रस्ताव प्राप्त होने पर भूमि क्रय एवं भूमि विकास के कार्यां का अनुमोदन अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं उसके उपरान्त आगामी वर्षां में भी इस मद में प्राविधानित धनराशि के कार्याें को स्वीकृत करने के लिए इस समिति को अधिकृत किया गया है।
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उ0प्र0 राज्य में परिवार के सदस्यों के मध्य निष्पादित अचल सम्पत्ति के दान विलेख पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में छूट दिये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य में परिवार के सदस्यों के मध्य निष्पादित अचल सम्पत्ति के दान विलेख पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में छूट दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में परिवार के सदस्यों पुत्र, पुत्री, पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्रवधु (पुत्र की पत्नी), सगा भाई (सगे भाई के मृतक होने की दशा में उसकी पत्नी), सगी बहन, दामाद (पुत्री का पति), पुत्र/पुत्री के पुत्र/पुत्री के मध्य निष्पादित अचल सम्पत्ति के दान विलेख पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क की अधिकतम सीमा 5,000 रुपये निर्धारित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया है।
प्रस्ताव के अनुसार यह छूट अग्रिम आदेशों तक के लिए दी जाएगी। बाद में राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव एवं निबन्धित होने वाले विलेखों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर इस छूट को निरन्तर किया जा सकता है।
भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1-ख के अनुच्छेद 33 के प्राविधानों के अधीन उत्तर प्रदेश राज्य में दान विलेखों पर सम्पत्ति के मूल्य पर हस्तान्तरण पत्र की भांति स्टाम्प शुल्क प्रभार्य है। रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा-17 के प्राविधानों के अधीन अचल सम्पत्ति के दान विलेख का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है। भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा-9(1)(क) के प्राविधानों के अधीन राज्य सरकार को पारिवारिक सदस्यों के मध्य निष्पादित होने वाले इस प्रकार के विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में छूट प्रदान करने का अधिकार प्राप्त है।
देश के प्रमुख राज्यों यथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश आदि में पारिवारिक सदस्यों के मध्य निष्पादित अचल सम्पत्ति के दान विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में छूट प्रदान की गयी है। प्रस्तावित छूट प्रदान किये जाने से देश के अन्य राज्यों की भांति प्रदेश में भी पारिवारिक सदस्यों के मध्य निष्पादित दान विलेखों के माध्यम से अचल सम्पत्ति का अन्तरण सहज हो सकेगा, जिससे जनसामान्य को लाभ प्राप्त होगा।
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उ0प्र0 फार्मास्युटिकल एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग नीति-2023 के प्रख्यापन का प्रस्ताव स्वीकृत
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 08.06.2018 द्वारा उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति, 2018 प्रख्यापित की गई थी। इस नीति की अवधि 07 जून 2023 को समाप्त होने एवं राज्य की वर्तमान आवश्यकताओं के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग नीति, 2023 का प्रख्यापन प्रस्तावित है। इस नीति के प्रख्यापन से प्रदेश में फार्मास्युटिकल एवं चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में निवेश एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, आमजन को सस्ती एवं गुणवत्तायुक्त औषधियों की उपलब्धता होगी तथा फार्मास्युटिकल क्षेत्र में प्रदेश एवं देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। नीति की अवधि 05 वर्षों के लिए होगी।
नीति के माध्यम से प्रदेश में फार्मा व चिकित्सा उपकरण पार्कों और मेगा प्रोजेक्ट्स व एस0एम0ई0 पर फोकस किया गया है तथा ए0पी0आई0/फार्मूलेशन लैब, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, आयुष एवं फाइटोमेडिसिन, अनुसंधान व विकास एवं नवाचार व स्टार्ट अप आदि को बढ़ावा दिया जाना है। प्रस्तावित नीति के माध्यम से इस क्षेत्र में निम्नलिखित प्रोत्साहनों को प्रस्तावित किया गया हैः-
निजी फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस पार्क को प्रोत्साहन :
ऽ प्रतिवर्ष 01 करोड़ रुपये की अधिकतम सब्सिडी के अधीन 07 वर्षों के लिए भूमि खरीदने के लिए, लिए गए ऋण पर वार्षिक ब्याज के 50 प्रतिशत की ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में ब्याज सब्सिडी।
ऽ बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु लिए गए ऋण पर वार्षिक ब्याज का 60 प्रतिशत तक ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में 07 वर्ष के लिए प्रति वर्ष 10 करोड़ रुपये अधिकतम 50 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन।
ऽ सामान्य सुविधाओं हेतु लिए गए ऋण पर 05 करोड़ रुपये प्रति वर्ष तक, 07 वर्षों के लिए वार्षिक ब्याज के 60 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति अधिकतम 30 करोड़ रुपये।
ऽ भूमि क्रय पर स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत की छूट और व्यक्तिगत खरीदारों द्वारा भूखण्ड की खरीद पर प्रथम बार स्टाम्प ड्यूटी पर 50 प्रतिशत छूट।
ऽ बुनियादी ढांचे और उपयोगिताओं को विकसित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत अधिकतम 25 करोड़, 05 वर्षों की अवधि में। सड़कों, पार्कों, जल निकासी व्यवस्था को छोड़कर।
इकाइयों को प्रोत्साहन :
ऽ संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिए लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 05 वर्ष के लिए 05 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सब्सिडी, अधिकतम 01 करोड़ रुपये बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल के जिलों में स्थापित इकाइयों को 02 प्रतिशत वार्षिक की दर से अतिरिक्त ब्याज अनुदान 07 वर्ष तक प्रतिपूर्ति की जायेगी। स्व-उपयोग हेतु अधोसंरचनात्मक सुविधाओं हेतु लिए गए ऋण पर देय ब्याज की राशि 05 प्रतिशत की दर से अधिकतम 05 वर्ष की अवधि तक, अधिकतम 01 करोड़ रुपये।
ऽ औद्योगिक अनुसंधान, गुणवत्ता सुधार और उत्पादों के विकास हेतु लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 05 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, अधिकतम 02 करोड़ रुपये। 10 वर्ष के लिए विद्युत शुल्क में 100 प्रतिशत छूट। भूमि की खरीद और भूमि/शेड/भवन के पट्टे पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क में छूट। संयंत्र और मशीनरी के निवेश पर निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत, अधिकतम 200 करोड़ रुपये पूंजीगत सब्सिडी 05 वर्षों की अवधि में किश्तों में प्रदान की जाएगी।
ऽ वर्तमान इकाइयों द्वारा नए पूंजी निवेश के माध्यम से कम से कम 25 प्रतिशत तक अपने सकल ब्लॉक को बढ़ाए जाने पर वर्तमान इकाइयां इस नीति के अन्तर्गत नई इकाई पर लागू होने वाले सभी प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगी।
पर्यावरण संरक्षण सब्सिडी :
ऽ सार्वजनिक उपयोग हेतु ई0टी0पी0 की स्थापना के लिए परियोजना लागत का 40 प्रतिशत, 10 करोड़ रुपये तक।
ऽ शून्य अपशिष्ट प्रोत्साहन वॉटर रीसाइक्लिंग, वॉटर हार्वेस्टिंग और शून्य उत्प्रवाह तकनीक हेतु लिए गए ऋण के ब्याज पर 05 वर्ष तक 50 प्रतिशत वार्षिक प्रतिपूर्ति, अधिकतम 10 लाख रुपये।
ऽ सामान्य बॉयलर परियोजना-निश्चित स्थापना लागत के 35 प्रतिशत (ठोस ईंधन के मामले में) और 50 प्रतिशत (स्वच्छ ईंधन के मामले में) की सब्सिडी, अधिकतम 02 करोड़ रुपये।
अनुसंधान एवं विकास सहायता :
ऽ अनुसंधान एवं विकास (आर0 एण्ड डी0) संस्थानों को समर्थन-परियोजना लागत के 30 प्रतिशत तक अधिकतम 05 करोड़ रुपये। नैदानिकी परीक्षण कुल खर्च का 75 प्रतिशत, अधिकतम 02 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति। स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट। संवीदीय/प्रायोजित अनुसंधान हेतु सहायता परियोजना की लागत का 50 प्रतिशत, भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर अधिकतम 02 करोड़ रुपये प्रति परियोजना। अनुबंध अनुसंधान संगठन इस नीति के तहत व्यक्तिगत इकाइयों के लिए लागू प्रोत्साहन प्राप्त करने के पात्र होंगे।
कौशल विकास :
ऽ श्रमिकों के कौशल उन्नयन हेतु राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (एन0ए0पी0एस0) और मुख्यमंत्री अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (सी0एम0ए0पी0एस0) के तहत पात्र राशि के बराबर 06 माह के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 10 प्रशिक्षु स्टाइपेंड।
पेटेण्ट फाइलिंग और गुणवत्ता प्रमाणन-घरेलू पेटेण्ट के लिए अधिकतम
1.50 लाख रुपये तथा अन्तरराष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए अधिकतम 25 लाख रुपये। आयुष और फाइटोमेडिसिन के लिए वास्तविक पेटेंट फाइलिंग लागत की पूर्ण प्रतिपूर्ति।
गुणवत्ता प्रमाणन-आई0एस0ओ0 प्रमाणीकरण के लिए अधिकतम 75,000 रुपये प्रति इकाई तथा बी0आई0एस0 प्रमाणीकरण व्यय अधिकतम 20,000 रुपये प्रति इकाई। आयुष एवं फाइटोमेडिसिन निर्माण करने वाली इकाइयों को प्रमाणीकरण व्यय की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।
निर्यात के लिए प्रमाणन/अनुमोदन आवेदन व्यय का 50 प्रतिशत, प्रति यूनिट अधिकतम 10 उत्पाद तक 25 लाख रुपये प्रति उत्पाद के अधीन।
नवाचार और स्टार्टअप :
ऽ पूँजी अनुदान-इन्क्यूबेटर की स्थापना के लिए सरकारी मेजबान को 75 प्रतिशत तथा अन्य मेजबान को 50 प्रतिशत तक अधिकतम 01 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति। पट्टा/किराया व्यय पर 25 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष की प्रतिपूर्ति 05 वर्ष के लिए। कार्यालय एवं भूमि के विक्रय/लीज/स्थानान्तरण के प्रथम लेन-देन पर स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट। विद्युत कर में 05 वर्ष तक 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति। मेण्टरशिप सहायता प्रति मेण्टर 02 लाख रुपये की सहायता।
विपणन सहायता-एम0एस0एम0ई0 इकाइयां फार्मा और मेडिकल डिवाइस सेक्टर की एम0एस0एम0ई0 इकाइयां।
ऽ अन्तरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों में प्रतिभाग करने के लिए व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम 05 लाख रुपये।
ऽ आयुष और फाइटोमेडिसिन के लिए एक वर्ष में अन्तरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों में प्रतिभाग करने के लिए व्यय का 75 प्रतिशत, अधिकतम 05 लाख रुपये स्वदेशी प्रदर्शनी/मेलों में प्रतिभाग करने के लिये व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम 02 लाख रुपये।
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उ0प्र0 शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक, 2023 के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक, 2023 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्तावित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन से उच्च शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, व्यावसायिक शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग तथा श्रम विभाग के शिक्षकों के चयन की कार्यवाही नियमित, त्वरित, पारदर्शी एवं समयबद्ध रूप से सुनिश्चित हो सकेगी।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न शैक्षणिक विभागों द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षण/प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए संगत अधिनियमों/नियमावलियों परिनियमों के अधीन संचालित शिक्षण प्रशिक्षण संस्थाओं के अध्यापकों और अनुदेशकों के चयन के लिए अलग-अलग चयन संस्थायें और पद्धतियां हैं।
यथा-राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 द्वारा शासित किसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध या सहयुक्त अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के अध्यापकों का चयन करने के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग स्थापित है। राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 द्वारा शासित किसी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक महाविद्यालयों के अध्यापकों का चयन प्रबन्धतंत्र के माध्यम से करने की व्यवस्था है।
इसी प्रकार इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के अधीन अशासकीय सहायता प्राप्त इण्टरमीडिएट कॉलेजों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों, हाईस्कूलों तथा सम्बद्ध प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों का चयन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से किया जा रहा है। इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के अधीन अशासकीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक इण्टरमीडिएट कॉलेजों या अल्पसंख्यक उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों या अल्पसंख्यक हाईस्कूलों या उनसे सम्बद्ध अल्पसंख्यक प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों का चयन प्रबन्धतंत्र के माध्यम से किया जा रहा है।
बेसिक तथा जूनियर हाईस्कूलों के अध्यापकों का चयन, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम, 1972 के अधीन बनायी गयी नियमावली के अनुसार परीक्षा नियामक प्राधिकारी के माध्यम से किया जा रहा है। श्रम विभाग के अधीन बनायी गयी अटल आवासीय विद्यालय समिति द्वारा अटल आवासीय विद्यालयों के अध्यापकों का चयन किया जा रहा है। व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के अधीन संचालित सर्टिफिकेट स्तरीय राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के अनुदेशकों का चयन उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा किया जा रहा है।
संस्था स्तर की चयन समिति/चयन बोर्ड/चयन आयोग के माध्यम से अलग-अलग प्रकार की चयन की पद्धतियों को लोक कल्याण के अनुकूल पारदर्शी और समरूप बनाकर योग्य अध्यापकों एवं अनुदेशकों का चयन कर उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने हेतु एक समेकित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की स्थापना का उपबन्ध करने के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक-2023 को पारित कराये जाने का प्रस्ताव है।
उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग एक निगमित निकाय होगा। इसका मुख्यालय प्रयागराज में होगा। इस आयोग के प्रभावी हो जाने पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड विघटित हो जाएंगे। विधेयक के प्रख्यापित होने के उपरान्त उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 एवं उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक-2019 (अप्रवृत्त) निरसित हो जाएंगे।
आयोग में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त 01 अध्यक्ष और 12 सदस्य होंगे। अध्यक्ष और सदस्य, पद ग्रहण करने के दिनांक से 03 वर्ष की अवधि तक के लिए अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त होने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करेंगे। कोई व्यक्ति दो निरन्तर पदावधियों से अधिक के लिए अध्यक्ष या किसी सदस्य का पद धारण नहीं करेगा। प्रस्तावित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का व्यय-भार, सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनुदान से और आयोग की अपनी प्राप्तियों से वहन किया जाएगा।
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उ0प्र0 जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा नीति-2023 अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा नीति-2023 को अनुमोदित कर दिया है। यह नीति उत्तर प्रदेश में अन्तर्देशीय समस्त भू-आधारित, वायु-आधारित एवं जल मार्गों, बांधों, जलाशयों, झीलों, नदियों, तालाबों एवं राज्य के अधिकार क्षेत्र के अन्दर विभिन्न जल निकायों एवं भूमि खण्डों पर की जाने वाली सभी साहसिक गतिविधियों पर लागू होगी।
इस नीति के क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। समुचित तकनीकी विशेषज्ञता के लिए नोडल एजेंसी द्वारा एडवेन्चर स्पोर्ट्स यूनिट का सृजन किया जाएगा। एडवेन्चर स्पोर्ट्स यूनिट में पूर्व सैनिकों को समावेशित करने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के साथ एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित किया जाएगा। नीति के अन्तर्गत जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा कराने हेतु अर्ह संचालकों को जिलाधिकारी द्वारा लाइसेंस निर्गत किए जाएंगे। जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा संचालित करने के लिए यह लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होगा। यह नीति राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से 10 वर्षों के लिए वैध होगी।
नोडल एजेंसी द्वारा अधिसूचित भू-खण्ड क्षेत्रों एवं जल स्रोतों पर जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा हेतु निर्वहन क्षमता ज्ञात करने हेतु आवश्यक अध्ययन कराये जाएंगे। तत्क्रम में प्रत्येक अधिसूचित भू-खण्ड क्षेत्रों एवं जल स्रोतों पर जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा के लिए लाइसेंस निर्गमन एवं नवीनीकरण हेतु सुस्पष्ट दिशा-निर्देश (अनुज्ञा पत्र के प्रारूप सहित) निर्गत किए जाएंगे। इस नीति के जारी होने के 60 दिनों के अन्दर नोडल एजेंसी एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एस0ओ0पी0) तैयार करेगी।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के विन्ध्य व बुन्देलखण्ड क्षेत्रों में पहाड़ियां, हिमालय के तराई क्षेत्र में लगभग 16,620 वर्ग कि0मी0 के वन क्षेत्र के साथ अनेक अतिसुन्दर परिदृश्य, वन-विस्तार, बहती नदियां, लुभावने सुन्दर झरने, बांध, जलाशय एवं झीलें हैं। इसके दृष्टिगत प्रदेश में जल आधारित पर्यटन, साहसिक क्रीड़ा तथा जल क्रीड़ा की काफी सम्भावनाएं हैं।
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एग्रीस्टैक (डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर) की स्थापना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने एग्रीस्टैक (डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर) को स्थापित करने हेतु जी0आई0एस0 बेस रियल टाइम क्रॉप सर्वे के माध्यम से क्रॉप सोन रजिस्ट्री तैयार करने की योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
एग्रीस्टैक का उद्देश्य किसानों के लिए सस्ता ऋण, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट, स्थानीयकृत और विशिष्ट लक्षित सलाह, और बाजारों तक सुविधाजनक पहुंच प्राप्त करना आसान बनाना है। एग्रीस्टैक का उद्देश्य सरकार के विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न किसान और कृषि-केन्द्रित लाभदायी योजनाओं की योजना बनाना और उन्हें लागू करने की प्रक्रिया को आसान बनाना है।
अभिलेखों की डायनेमिक लिंकिंग के साथ किसानों का डेटाबेस (फार्मर रजिस्ट्री) के अन्तर्गत प्रदेश के कृषक विवरण को एग्रीस्टैक के अन्तर्गत तैयार किए जा रहे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में संकलित किया जाएगा। इस हेतु कृषि विभाग के दर्शन पोर्टल पर उपलब्ध पंजीकृत कृषकों के डेटाबेस एवं भूलेख के डेटाबेस को समेकित कर फार्मर रजिस्ट्री तैयार की जानी है। उपरोक्त के लिए कृषि विभाग के दर्शन पोर्टल पर नए कृषकों के पंजीकरण हेतु तैयार एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को मुख्यमंत्री जी द्वारा 24 मई, 2023 को लोकार्पित किया गया है, जिसके माध्यम से नए कृषक अपना पंजीकरण कर रहे हैं। इसके साथ-साथ दर्शन पोर्टल पर पूर्व से उपलब्ध 3.34 करोड़ कृषकों के डाटा को आधार ऑथेंटिकेशन द्वारा सुधारा जा रहा है, जिसे फार्मर रजिस्ट्री के लिए आवश्यकतानुरूप उपयोग किया जा सके।
भू-सन्दर्भित ग्राम मानचित्र (जिओ रेफरेन्स विलेज मैप) - प्रदेश के समस्त राजस्व ग्राम से सम्बन्धित राजस्व विभाग के सजरा मानचित्र को रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेण्टर से प्राप्त हाई रेजुलेशन सैटेलाइट मैप के साथ मैपिंग कराकर प्रदेश के समस्त राजस्व ग्राम के सजरा मानचित्र को भू-सन्दर्भित ग्राम मानचित्र के रूप में डिजिटाइज किया जा रहा है। इससे प्रदेश के प्रत्येक खेत का जियो रेफरेसिंग सम्भव हो सकेगा। प्रदेश में भूलेख के अनुसार भू-सन्दर्भित ग्राम मानचित्र के डिजिटाइजेशन एवं अंश निर्धारण का कार्य राजस्व परिषद द्वारा कराया जा रहा है। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेण्टर के माध्यम से हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट इमेज का प्रयोग कर प्रदेश में 24 जनपदों में 90 प्रतिशत से अधिक ग्राम पंचायतों में भू-सन्दर्भित ग्राम मानचित्र तैयार कर लिया गया है। शेष जनपदों में भी यह कार्य वर्ष के अंत तक पूर्ण कर लिया जाएगा।
जी0आई0एस0 बेस रियल टाइम क्रॉप सर्वे (क्रॉप सोन रजिस्ट्री) - क्रॉप सोन रजिस्ट्री के अन्तर्गत प्रदेश के सभी खेतों में बोई गई फसलों का खरीफ, रबी एवं जायद में भारत सरकार द्वारा विकसित मोबाइल ऐप के माध्यम से फसल सर्वेक्षण/पड़ताल की कार्यवाही सम्पन्न कराई जाएगी, जिससे एग्रीटेक के अन्तर्गत क्रॉप सोन रजिस्ट्री के अन्तर्गत जी0आई0एस0 बेस्ड रियल टाइम क्रॉप सर्वे का डाटा प्राप्त हो सकेगा।
यह कार्य प्रत्येक वर्ष खरीफ, रबी एवं जायद में राजस्व विभाग के लेखपाल,
कृषि विभाग के तकनीकी सहायक ग्रुप-सी, गन्ना एवं उद्यान विभाग के क्षेत्रीय कार्मिक, खण्ड तकनीकी प्रबन्धक (बी0टी0एम0) एवं सहायक तकनीकी प्रबन्धक (ए0टी0एम0) एवं आवश्यकता पड़ने पर पंचायत विभाग के पंचायत सहायक एवं कृषि विभाग के प्रोग्रेसिव फार्मर (किसान मित्र) को प्रशिक्षित करते हुए कराया जाना प्रस्तावित है।
जी0आई0एस0 बेस रियल टाइम क्रॉप सर्वे (क्रॉप सोन रजिस्ट्री) को लागू करने हेतु प्रस्तावित क्रियान्वयन क्रॉप सोन रजिस्ट्री एग्रीस्टैक के अन्तर्गत एक बुनियादी रजिस्ट्री हैं, जिसमें जी0आई0एस0 बेस रियल टाइम क्रॉप सर्वे (डिजिटल क्रॉप सर्वे) कर प्रत्येक वर्ष खरीफ रबी एवं जायद में सभी खेतों (सर्वे प्लाट) में भारत सरकार द्वारा तैयार किये गए मोबाइल ऐप के माध्यम से पड़ताल कराए जाने का प्रस्ताव है।
वर्ष 2023-24 में डिजिटल क्रॉप सर्वे के अन्तर्गत देश के 12 राज्यों में पायलेट किया जा रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी सम्मिलित है। उत्तर प्रदेश के कुल गाटा संख्या 7.87 करोड़ के 20 प्रतिशत गाटा को सम्मिलित करते हुए पायलेट योजना के रूप में 21 जनपदों में पूर्ण रूप से तथा 54 जनपदों के 10 राजस्व ग्रामों में डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य संचालित किया जाएगा तथा आगामी वर्षों में सभी जनपदों में समग्र रूप से योजना क्रियान्वित की जाएगी।
योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा विकसित मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रदेश के 21 जनपदों (भदोही, संतकबीरनगर, औरैया, महोबा, हमीरपुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, मुरादाबाद, जालौन, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, अयोध्या, चंदौली, झांसी, बस्ती, हरदोई, देवरिया एवं गोरखपुर) में शत-प्रतिशत जियो रिफरेन्स आधारित खेतों का खरीफ-2023-24 एवं जायद 2023-24 में खसरावार डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाना है। शेष 54 जनपदों मे 10-10 गांव चयनित किए जाएंगे, जिसमें पायलेट आधारित डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाएगा।
डिजिटल क्रॉप सर्वे के अन्तर्गत संकलित डेटा का समय-समय पर सत्यापन आवश्यक होगा। इसके लिए 5 प्रतिशत डाटा को थर्ड पार्टी एजेंसी के माध्यम से सत्यापित कराया जाना प्रस्तावित है। थर्ड पार्टी सत्यापन हेतु राज्य सरकार द्वारा नामित संस्था अथवा अन्य एजेंसी का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टीयरिंग कमेटी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।
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पर्यटन विभाग के बन्द/घाटे में चल रहे/असंचालित पर्यटक आवास गृहों को पी0पी0पी0 मोड पर विकसित व संचालित किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने आर0एफ0क्यू0, आर0एफ0पी0 एवं प्री-बिड कॉन्फ्रेंस के आधार पर समय-समय पर उल्लिखित नियमों एवं शर्तों के आधार पर पर्यटन विभाग के बन्द/घाटे में चल रहे/असंचालित 10 पर्यटक आवास गृहों को सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0 मोड) पर निजी निवेशकों के माध्यम से विकसित व संचालित कराए जाने हेतु उच्चतम निविदादाता फर्मों को इकाई लीज पर दिए जाने एवं फर्म से अनुबन्ध किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
10 पर्यटक आवास गृह के तहत राही पर्यटक आवास गृह सोनौली (महराजगंज), राही पर्यटक आवास गृह बटेश्वर (आगरा), राही पर्यटक आवास गृह गोकुल गांव (मथुरा), राही पर्यटक आवास गृह कालिंजर (बांदा), राही पर्यटक आवास गृह मथुरा (मथुरा), राही पर्यटक आवास गृह राधाकुण्ड (मथुरा), राही पर्यटक आवास गृह साण्डी झील (हरदोई), राही पर्यटक आवास गृह नीमसार (सीतापुर), राही पर्यटक आवास गृह देवगढ़ (ललितपुर) तथा राही पर्यटक आवास गृह भदोही (भदोही) सम्मिलित हैं।
मंत्रिपरिषद ने राही पर्यटक आवास गृह बिठूर, कानपुर, राही पर्यटक आवास गृह गोकुल रेस्टोरेण्ट मथुरा एवं राही पर्यटक आवास गृह शिकोहाबाद, फिरोजाबाद के सापेक्ष अनर्ह पायी गई फर्मों की निविदाओं को निरस्त करते हुए राही पर्यटक आवास गृहों के सापेक्ष शॉर्टलिस्टेड निविदाकर्ताओं (बिडर्स) से पुनः द्वितीय चरण की ई-निविदा उच्चतम निविदा दर के अनुरूप प्राप्त किए जाने के सार्वजनिक निजी सहभागिता निविदा मूल्यांकन समिति के निर्णय को भी अनुमोदित कर दिया है।
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प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों को एडेप्टिव रि-यूज के अन्तर्गत सार्वजनिक निजी सहभागिता मॉडल पर हेरिटेज पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों को एडेप्टिव रि-यूज के अन्तर्गत सार्वजनिक निजी सहभागिता मॉडल पर हेरिटेज पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में स्थित विरासत सम्पत्तियों (ऐतिहासिक धरोहरों, किलों एवं मुख्य ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों) का संरक्षण एवं कायाकल्प कर अनुकूली पुनः उपयोग (एडेप्टिव रि-यूज) में लाए जाने हेतु निजी पूंजी निवेश के द्वार खोले जाने से न केवल प्रदेश में निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा, बल्कि रोजगार सृजन करते हुए पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और भवनों का संरक्षण भी सम्भव होगा। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होगी।
प्रथम चरण में प्रदेश की 09 ऐतिहासिक धरोहरों/किलों को अनुकूली पुनः उपयोग के अन्तर्गत सांस्कृतिक संरक्षण एवं पर्यटन की दृष्टि से पी0पी0पी0 नीति के अन्तर्गत विकसित किए जाने हेतु संस्कृति विभाग से पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित किया जाएगा। इनमें छत्तर मंजिल लखनऊ, चुनार किला मीरजापुर, बरूआ सागर किला झांसी, कोठी गुलिस्तां-ए-इरम लखनऊ, कोठी दर्शन विलास लखनऊ, कोठी रोशन-उद्-दौला लखनऊ, बरसाना जल महल मथुरा, शुक्ला तालाब कानपुर देहात तथा टिकैतराय बारादरी बिठूर कानपुर शामिल हैं। इन्हें म्यूजियम, हेरिटेज होटल, रिजॉर्ट, माइस आदि पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित किया जाएगा।
एडेप्टिव रि-यूज के अन्तर्गत चयनित करने के पश्चात परियोजनाओं का निजी सहभागिता के माध्यम से विकास के लिए समुचित प्रस्ताव (आर0एफ0क्यू0 डॉक्युमेन्ट्स) तैयार कर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। अनुमोदनोपरान्त राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन के माध्यम से निजी निवेशकों के मध्य खुली निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। प्राप्त निविदाओं का मूल्यांकन निर्धारित नियमों एवं शर्तों के आधार पर किया जाएगा।
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ईज ऑफ डूइंग के आधार पर उ0प्र0 राजस्व संहिता-2006 की धारा-219 के अन्तर्गत लोक उपयोगिता की भूमि के पुनर्ग्रहण/विनिमय/श्रेणी परिवर्तन की राज्य सरकार की शक्ति मण्डलायुक्त को प्रतिनिधानित करने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने ईज ऑफ डूइंग के आधार पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा-219 के अन्तर्गत लोक उपयोगिता की भूमि के पुनर्ग्रहण/विनिमय/श्रेणी परिवर्तन की राज्य सरकार की शक्ति मण्डलायुक्त को प्रतिनिधानित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा-80(1) में उद्घोषणा के लिए आवेदन हेतु निर्धारित न्यायालय शुल्क तथा धारा-89 की उपधारा-2 के द्वारा निर्धारित विहित सीमा 5.0586 हेक्टेअर (12.5 एकड़) से अधिक भूमि अर्जन हेतु उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली-2016 एवं सम्बन्धित शासनादेशों में संशोधन के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
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कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट, लखनऊ में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर सेण्टर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोसटिक्स एण्ड रिसर्च फॉर कैंसर स्थापित करते हुए प्रारम्भ किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट, लखनऊ में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर सेण्टर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोसटिक्स एण्ड रिसर्च फॉर कैंसर स्थापित करते हुए प्रारम्भ किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस हेतु इंस्टीट्यूट के परिसर में ही 25,000 वर्गफुट निर्मित क्षेत्रफल उपलब्ध कराया जाएगा।
सेण्टर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोसटिक्स एण्ड रिसर्च फॉर कैंसर को प्रारम्भ किए जाने हेतु कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर तथा कार्किनोस हेल्थकेयर प्राइवेट लि0 मुम्बई के मध्य होने वाले त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन को हस्ताक्षरित करने के लिए मंत्रिपरिषद द्वारा निदेशक, कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट को अधीकृत किया गया है। इससे जुड़े अन्य अनुवर्ती निर्णयों को लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को मंत्रिपरिषद ने अधिकृत कर दिया है।
सेण्टर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोसटिक्स एण्ड रिसर्च फॉर कैंसर की स्थापना से राज्य में कैंसर के क्षेत्र में विश्वस्तरीय शोध व नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, कैंसर के उपचार के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति भी तैयार हो सकेगी। उत्तर प्रदेश देश में पहला राज्य होगा, जो निजी क्षेत्र तथा तकनीकी के क्षेत्र की अग्रणी संस्था आई0आई0टी0 कानपुर के सहयोग से कैंसर के परीक्षण, निदान व रोकथाम की समस्त सेवाओं का एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने में सक्षम होगा।
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केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ की भूमि की लीज समाप्त होने के फलस्वरूप इस संस्थान के प्रदेश के भीतर स्थानान्तरण हेतु राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र, बाबूगढ़, हापुड़ की 150 एकड़ भूमि संस्थान को निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने मेरठ स्थित केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान की रक्षा भूमि की लीज समाप्त होने के फलस्वरूप इस संस्थान के प्रदेश के भीतर स्थानान्तरण हेतु राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र, बाबूगढ़, हापुड़ की 150 एकड़ भूमि केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान मेरठ को निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान रक्षा विभाग की भूमि पर स्थापित है। इस भूमि की लीज की अवधि समाप्त होने के कारण प्रश्नगत संस्थान अन्यत्र स्थानान्तरित किया जाना है। उत्तर प्रदेश में गोवंश के बारे में एक महत्वपूर्ण संस्थान होने के दृष्टिगत इस संस्था को उत्तर प्रदेश में ही बनाए रखना राज्य में गोवंशों के विकास हेतु समीचीन होगा।
भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ फिशरीज, एनीमल हस्बैण्ड्री एण्ड डेयरींग के द्वारा प्रश्नगत भूमि को इस कार्य हेतु समुचित पाया गया है। इसके दृष्टिगत भारत सरकार द्वारा प्रश्नगत भूमि इस कार्य हेतु उपलब्ध कराए जाने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है।
मण्डलायुक्त, मेरठ के माध्यम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बाबूगढ़ प्रक्षेत्र का एक हिस्सा 554.17 एकड़ दिल्ली-लखनऊ रेलवे ट्रैक के पास स्थित है। केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान की पुनः स्थापना हेतु 150 एकड़ भूमि (साईट-1 वाली भूमि, जो रेलवे ट्रैक से लगी है, से पूर्व प्रस्तावित 38.00 एकड़ के स्थान पर 79.04 एकड़ एवं साईट-2 वाली भूमि, जो रेलवे ट्रैक के बाद में है, में से पूर्व प्रस्तावित 112.00 एकड़ के स्थान पर 70.96 एकड़) राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र-बाबूगढ़, हापुड़ से उपलब्ध करायी जानी प्रस्तावित है।
मण्डलायुक्त मेरठ के 26 जून, 2023 के पत्र तथा भारत सरकार के 30 नवम्बर, 2022 के पत्र के दृष्टिगत केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ को राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र, बाबूगढ़, जनपद हापुड़ के पास वर्तमान में उपलब्ध कृषि कृत्य क्षेत्रफल 502 एकड़ भूमि में से केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान मेरठ को 150 एकड़ भूमि निःशुल्क रूप से प्रदान किया जाना प्रस्तावित है।
इस भूमि को केन्द्रीय संस्थान हेतु हस्तान्तरित किया जाना प्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं गोपालकों के दीर्घकालिक हित में होगा। साथ ही, स्थानीय जनता को गो-संरक्षण एवं संवर्धन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होगी तथा उनके पशुओं का नस्ल सुधार आदि हो सकेगा।
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उ0प्र0 सौर ऊर्जा नीति-2022 तथा उ0प्र0 जैव ऊर्जा नीति-2022 के अन्तर्गत सौर ऊर्जा परियोजनाओं/जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए निवेशकों को भूमि उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में
निवेशकों को शासकीय भूमि उपलब्ध कराने में सुगमता के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं/जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए सार्वजनिक उपक्रमों हेतु 01 रुपया प्रति एकड़ प्रतिवर्ष के सांकेतिक मूल्य पर तथा निजी निवेशकों को 15,000 रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष के लीज रेण्ट पर अधिकतम 03 वर्षों के लिए भूमि उपलब्ध करायी जाएगी।
निवेशक के साथ यूपीनेडा द्वारा लीज डीड हस्ताक्षरित की जाएगी। लीज डीड के निष्पादन के लिए देय स्टाम्प शुल्क या अन्य देयताओं का वहन लीज पर भूमि प्राप्त करने वाले निवेशक द्वारा किया जाएगा। लीज अहस्तान्तरणीय होगी और आगे किसी को ट्रांसफर या सबलेट नहीं की जाएगी। लीज पर दी गई भूमि का उपयोग केवल अनुमोदित परियोजना के लिए ही किया जाएगा।
निवेशक द्वारा 01 महीने के अन्दर अपनी फाइनेन्शियल नेटवर्थ, डी0पी0आर0, बैकवर्ड एण्ड फॉरवर्ड लिंकेज तथा अन्य सुसंगत विवरण यूपीनेडा के समक्ष प्रस्तुत करने होंगे। इसके बाद ही उच्चस्तरीय समिति के अनुमोदन के उपरान्त लीज डीड निष्पादित की जा सकेगी।
भूमि उपलब्ध कराए जाने के 02 माह के अन्दर यदि निवेशक द्वारा मौके पर परियोजना के निर्माण/स्थापना की कार्यवाही आरम्भ नहीं की जाती, तो निवेशक को लीज पर दी गई भूमि, यूपीनेडा द्वारा निवेशक को एक सुनवाई का अवसर देकर, उच्चस्तरीय समिति के अनुमोदन के उपरान्त वापस ले ली जाएगी।
निवेशक द्वारा वार्षिक लीज रेण्ट नियमित रूप से अग्रिम के रूप में यूपीनेडा में जमा किया जाएगा। निवेशकों से प्राप्त होने वाले वार्षिक लीज रेण्ट को यूपीनेडा द्वारा सुसंगत लेखा शीर्षक के अन्तर्गत राजकोष में जमा कराया जाएगा। यूपीनेडा द्वारा इसके लिए सभी भूमि का अलग-अलग लेखा बनाकर सुरक्षित रखा जाएगा। लीज एग्रीमेण्ट उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) एवं विकासकर्ता के बीच निष्पादित किया जाएगा।
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पी0एम0 मित्र पार्क योजना के अन्तर्गत टेक्सटाइल पार्क की स्थापना एवं भूमि हस्तान्तरण के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद द्वारा पी0एम0 मित्र पार्क की स्थापना हेतु एस0पी0वी0 को 99 वर्षां की लीज पर दी जा रही भूमि पर देय स्टाम्प शुल्क से छूट दिए जाने का निर्णय भी लिया गया है। यदि भविष्य में राज्य सरकार द्वारा कुछ और भूमि एस0पी0वी0 के विस्तार हेतु दी जाती है, तो उस पर भी देय स्टाम्प शुल्क से शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी।
भारत सरकार के साथ 18 अप्रैल, 2023 को किए गए एम0ओ0यू0 तथा इस सम्बन्ध में भारत सरकार के साथ सभी राज्यों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एस0पी0वी0 के निदेशक मण्डल में कुल 08 सदस्य होंगे। इसमें 03 राज्य सरकार, 03 केन्द्र सरकार तथा 02 स्वतंत्र निदेशक होंगे। अतः एस0पी0वी0 में प्रस्तावित निदेशक मण्डल की संरचना में 03 राज्य सरकार, 03 केन्द्र सरकार तथा 02 स्वतंत्र निदेशक का प्राविधान किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग, आयुक्त एवं निदेशक हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग तथा अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग अथवा उनके द्वारा नामित विशेष सचिव से अनिम्न स्तर के अधिकारी निदेशक मण्डल के सदस्य होंगे।
ज्ञातव्य है कि वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार ने टेक्सटाइल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पी0एम0 मित्र) पार्क योजना आरम्भ की है। इस योजना हेतु उत्तर प्रदेश सहित 07 राज्यों का चयन किया गया है। मंत्रिपरिषद के अनुमोदन से जनपद लखनऊ एवं हरदोई में अवस्थित कुल 1,000 एकड़ भूमि को पी0एम0 मित्र टेक्सटाइल पार्क हेतु कृषि विभाग से हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग को हस्तान्तरित की गयी है। इसके क्रम में 24 फरवरी, 2023 के शासनादेश द्वारा एस0पी0वी0 के गठन सहित अन्य सम्बन्धित दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं।
मंत्रिपरिषद के पूर्व अनुमोदन द्वारा एस0पी0वी0 को निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया था। भारत सरकार एवं अन्य पी0एम0 मित्र राज्यों के साथ हुई बैठकों में यह ज्ञात हुआ कि अन्य राज्यों में एस0पी0वी0 को 90-99 वर्ष की लीज पर भूमि उपलब्ध करायी जा रही है।
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जनपद बस्ती, गोण्डा, मिर्जापुर एवं प्रतापगढ़ में निर्माणाधीन इंजीनियरिंग कॉलेजों को डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ का सहयुक्त कॉलेज बनाए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
जनपद बस्ती, गोण्डा, मिर्जापुर एवं प्रतापगढ़ में स्थापित होने वाले कॉलेजों का पठन-पाठन का कार्य क्रमशः राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज अम्बेडकरनगर, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी लखनऊ, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सोनभद्र एवं कमला नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान सुल्तानपुर में संचालित कराया जाएगा। इन इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण कार्य पूर्ण होने/मूलभूत सुविधाओं के विकसित होने एवं ए0आई0सी0टी0ई0 से विधिवत मान्यता प्राप्त हो जाने पर प्रदेश की अन्य शासकीय अभियंत्रण संस्थाओं की भांति इन कॉलेजों को भी संचालित किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत 07 प्राधिकरणों/विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों को 1,000 करोड़ रु0 सीड कैपिटल के रूप में आवंटित किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत 07 प्राधिकरणों/विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों को 1,000 करोड़ रुपये की धनराशि सीड कैपिटल के रूप में आवंटित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह धनराशि झांसी विकास प्राधिकरण, बरेली विकास प्राधिकरण, गोरखपुर विकास प्राधिकरण, चित्रकूट विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, अलीगढ़ विकास प्राधिकरण, आगरा विकास प्राधिकरण तथा बुलन्दशहर विकास प्राधिकरण को आवंटित की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि नगरीय क्षेत्रों में सुनियोजित व सुव्यवस्थित विकास के साथ-साथ नगरीय जनसंख्या को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराए जाने हेतु मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना लागू है। योजना के अन्तर्गत भूमि अर्जन में आने वाले व्यय का 50 प्रतिशत तक राज्य सरकार द्वारा सीड कैपिटल के रूप में अधिकतम 20 वर्ष की अवधि के लिए दिए जाने का प्राविधान है। नये शहरों का समग्र एवं समुचित विकास मद में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,000 करोड़ रुपये आहरित कर उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण के निवर्तन पर रखे गए हैं। इस धनराशि को 07 प्राधिकरणों/विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को आवंटित किया जाना है।
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जनपद आगरा में रेलवे लाइन निर्माण हेतु सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की 1.0254 हे0 भूमि रेल विकास निगम लि0 को सशर्त स्थायी रूप से समूल्य हस्तान्तरित करने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने तीसरी रेल लाइन परियोजना के अन्तर्गत रेलवे लाइन निर्माण हेतु जनपद आगरा में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उत्तर प्रदेश की कुल आकलित लागत 166.26 लाख रुपये की 1.0254 हे0 भूमि रेल विकास निगम लिमिटेड को सशर्त स्थायी रूप से समूल्य हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
परियोजना के निर्माण से इस क्षेत्र का आर्थिक एवं सामाजिक विकास होगा तथा नये रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
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जनपद बदायूं में मेरठ बदायूं मार्ग के 04 लेन चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण परियोजना का व्यय प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने जनपद बदायूं में मेरठ बदायूं मार्ग (राज्यमार्ग संख्या-18) के चैनेज 162.00 से 207.400 तक 02 लेन विद् पेव्ड शोल्डर चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण (मुख्यमंत्री जी द्वारा की गयी घोषणा के अनुसार चैनेज 162.00 से 207.400 तक 02 लेन से 04 लेन चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण को सम्मिलित करते हुए) (लम्बाई 45.400 कि0मी0) कार्य की स्वीकृत पुनरीक्षित लागत 31678.13 लाख रुपये में जी0एस0टी0 की धनराशि 923.89 लाख रुपये को जोड़कर कुल लागत 32602.02 लाख रुपये (तीन अरब छब्बीस करोड़ दो लाख दो हजार मात्र) के व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
जनपद बदायूं में मेरठ बदायूं मार्ग के 04 लेन में चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य हो जाने से कृषकों को अपनी उपज मण्डी स्थल तक पहुंचाने तथा क्षेत्रीय जनता को जनपद मुख्यालय आने-जाने हेतु सुगम यातायात की सुविधा प्राप्त हो गयी है।
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निजी क्षेत्र के 03 विश्वविद्यालयों की स्थापना विषयक अध्यादेशों का प्रतिस्थानी विधेयक राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित करने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के 03 विश्वविद्यालयों की स्थापना विषयक उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश-2023, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश-2023 तथा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) अध्यादेश-2023 को प्रतिस्थापित किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2023 को विधारण एवं पारण हेतु राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उक्त अध्यादेशों के माध्यम से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 की अनुसूची-2 में संशोधन करते हुए अग्रवन हेरीटेज विश्वविद्यालय आगरा, महावीर विश्वविद्यालय मेरठ तथा एस0डी0जी0आई0 ग्लोबल विश्वविद्यालय गाजियाबाद को क्रमांक 30 के पश्चात सम्मिलित किया गया है।
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निजी क्षेत्र में 02 विश्वविद्यालयों की स्थापना विषयक 02 अध्यादेशों का प्रतिस्थानी विधेयक राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित करने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के 02 विश्वविद्यालयों की स्थापना विषयक उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश-2023 तथा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पांचवां संशोधन) अध्यादेश-2023 को प्रतिस्थापित किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक-2023 को विधारण एवं पारण हेतु राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उक्त अध्यादेशों के माध्यम से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 की अनुसूची-2 में संशोधन करते हुए के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा तथा मेजर एस0डी0 सिंह विश्वविद्यालय, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद को क्रमांक 33 के पश्चात सम्मिलित किया गया है।
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जे0एन0एन0यू0आर0एम0 कार्यक्रम के अन्तर्गत आगरा नगर की सीवरेज योजना फेज-1 पार्ट-1 (सेण्ट्रल एवं ताजगंज जोन) परियोजना की द्वितीय पुनरीक्षित लागत 233.91 करोड़ रु0 अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने जे0एन0एन0यू0आर0एम0 कार्यक्रम के यू0आई0जी0 कार्यांश के अन्तर्गत आगरा नगर की सीवरेज योजना फेज-1 पार्ट-1 (सेण्ट्रल एवं ताजगंज जोन) परियोजना पर सृजित 15.92 करोड़ रुपये की देनदारियों के भुगतान हेतु परियोजना की द्वितीय पुनरीक्षित लागत 233.91 करोड़ रुपये को अनुमोदित कर दिया है।
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